एक भारतीय सियाचिन सैनिक का अपनी मरी हुई माँ को लिखा हुआ खत

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012


 प्रणाम माँ,
माँ बचपन में मैं जब भी रोते रोते सो जाया करता था तो तू चुपके से मेरे
सिरहाने खिलोने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आके रखा है और
कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो और खिलोने नहीं देगी ! लेकिन इस मरते हुए
देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी
! परी क्या .. यहाँ ढाई हजार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता !
मात्र 14 हज़ार रुपए के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो
अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के लिए !
रात भर जगते तो हम भी हैं लेकिन अपनी देश के सुरक्षा के लिए लेकिन वो जगते हैं
लेट नाईट पार्टी के लिए !
हम इस -12 डिग्री में आग जला के अपने आप को गरम करते हैं . लेकिन हमारे देश के
नेता हमारे ही पोशाकों, कवच, बन्दूकों, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके
अपनी जेबे गरम करते हैं !
आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिकों की संख्या को न्यूज़ चैनल नहीं
दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश के राष्टीय शोक की
तरह दिखाया जाता है !
हर चार-पांच सालों ने हमें एक जगह से दुसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है
लेकिन यह नेता लाख चोरी करलें बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए
जाते हैं !
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनितिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर
बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती हैं लेकिन वो आये दिन अपने अपने
भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते हैं, कितने ही लोग भूखे मरते हैं, कितने
ही किसान आत्महत्या करते हैं, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं. लेकिन
उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाता.
निचे अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बाटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद
सैनिकों की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया.

मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके ! यह हमें केवल याद करते
हैं 26 जनवरी को और 15 अगस्त को ! बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन,
युवराज की फ़िक्र रहती है !
हमारी हालत ठीक वैसे ही उस पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बेल पर भी
कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है !

मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके !
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की अगले जन्म में मुझे अगर इस
देश में पैदा करे तो सेनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना
करे !
यहाँ केवल परिवार वाद चलता है, अभिनेता का बेटा जबरदस्ती अभिनेता बनता है और
नेता का बेटा जबरदस्ती नेता!

प्रणाम-
लखन सिंह (मरे हुए देश का जिन्दा सेनिक) !
भारतीय सैनिक सियाचिन .

1 टिप्पणियाँ:

Satyaprakash Maurya ने कहा…

लखन सिंह जी आप ज़िन्दा देश के ज़िन्दा सैनिक हैं देश आप जैसे जीवित लोगों के हृदय स्पंदन से ही धड़कता है और आपकी साँसों से ही श्वसन करता है।
जय भड़ास

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