मेरी जवान बेटी की मौत हो गयी... ये ईश्वर भी साला ऐसी कहानी क्यों लिखता है?
सोमवार, 23 अप्रैल 2012
आयशा धनानी(शाहीन) |
ज्यादा कुछ लिखते नहीं बन रहा है। नहीं कहूंगा कि ईश्वर उसकी आत्मा को शान्ति दे। वो जैसी थी वैसी ही रहे अगर वो मुझे देख सुन सकती है तो यही कहूंगा कि बेटा जी! ्तुम उस दुनिया बनाने वाले की ऐसी तैसी कर देना जो साला इस तरह की कहानियाँ लिख देता है। मैं ये भी चाहता हूं कि अगर तुम भूतनी बन जाओ तो मेरे साथ ही रहना... बेटा तुम्हारे डैडा तुम्हें मिस नहीं करना चाहते तुम तो वैसे भी किसी भूतनी से कम नहीं थीं ऐसा सब वो लोग कहते थे जिनको तुमने अपने मॉडलिंग कैरियर के दौरान रगड़ा था बिना किसी कम्प्रोमाइज के। तुम आ जाओ बेटा... बस आ जाओ
8 टिप्पणियाँ:
dhukhad hai
ईश्वर उसकी आत्मा को शान्ति दे।
ऐसी कहानियां लिख कर भी वो इश्वर है...दुखो के साथ UNHE JHELNE का सामर्थ्य भी चुप-चाप दे देता है!
बेहद दुखद...
कुंवर जी,
हमारी प्यारी बच्ची आयशा के जिस्म को ढेरों मिट्टी के तले दबा कर दफ़न कर दिया गया लेकिन मुझे उसके साथ बिताया एक एक पल जीवंत प्रतीत होता है। वो हमारे हृदय के इस आयाम में हमेशा जीवित है। शायद मैं ही एकमात्र ऐसी हूं जिसे आयशा ने "सलाम" करते हुए अभिवादन करा होगा वरना आयशा और परम्पराएं दो अलग बातें थीं। कार की डिक्की खोल कर उसमें बैठ कर गिटार बजाना आयशा के ही काम हो सकते थे या मनीषा दीदी, भूमिका, भानुप्रिया आदि के साथ मस्त होकर ठुमके लगा कर नाचना तो बस वो ही कर सकती थी।
डॉ.साहब की ही बात दोहराउंगी कि अल्लाह तआला उसे अशांत रहे।
हममें से कोई भी रोएगा नहीं और हमेशा उसकी मस्ती को जीने का प्रयास करेगा।
meri samvednaayae unkae parivaar kae saath haen
ishwar unki aatma ko shanti dae
जय हिन्द !
हे ईश्वर! तू ऐसा क्यों है ?
भाई मैंने आयशा को पहली बार बासित के जन्मदिन पर देखा था, कमाल की लड़की थी। जहाँ लोग हम जैसे लोगों से दूर भागते हैं वो पूरा दिन न सिर्फ़ हमारे साथ रही बल्कि नाची-गायी और खाना भी हमारे साथ खाया। मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है कि वो अब हमारे बीच नहीं रही लेकिन जो सत्य है उसे तो स्वीकारना ही है। आज कुरानख़ानी है मैं सहन नहीं कर पाउंगी इसलिये घर से ही अम्मा को बोल कर फ़ातिहा पढ़वा लूंगी। ईश्वर उसे खुश रखे।
jane chale jate hain kaha.....duniya se jane wale.
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