कांग्रेस के राज मे कुल आठ हज़ार टेट्रा ट्रक खरीदे गए और एक ट्रक के पीछे 60 लाख रूपये ज्यादा दिये गए तो आपलोग कुल रकम का अंदाज़ा लगा लीजिए कि आखिर सोनिया गाँधी क्यों खामोश रही ?

शनिवार, 19 मई 2012


रक्षामंत्री को टेट्रा ट्रक महाघोटाले मे इस्तीफ़ा देने की जरूरत नहीं है क्योकि "मैडम" को उनका "मुँह दिखाई" एकदम समय समय पर मिलता रहा |

मित्रों, दो दिन पहले कर्नाटक के पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के ही नेता डॉ के ह्नुम्न्थ्पा जो माने जाने मजदूर नेता भी है और टेट्रा बीएमइएल की कर्नाटक की फैक्ट्री जिसमे टेट्रा ट्रक बनते है उसमे लेबर यूनियन के प्रमुख भी है उन्होंने जब देखा कि जिस ट्रक को टेट्रा कम्पनी श्रीलंका और दूसरे देशो को सिर्फ 40 लाख मे बेचती है ठीक उसी ट्रक को रक्षामंत्रालय एक करोड रूपये मे खरीद रहा है |

फिर उन्होंने सारे दस्तावेजो के साथ सोनिया गाँधी , प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय को कुल पाँच पत्र लिखे | यहाँ पर सोनिया गाँधी से एक बड़ी "खूबसूरत गलती " हो गयी .. उनके ऑफिस से ह्नुम्न्थ्पा को सभी पत्रों के एक्नोलेज्मेंट मिलते रहे | लेकिन सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री ने इतने बड़े और गम्भीर मामले को दबाए रहे ..ये दो साल पहले की बात है |

ह्नुम्न्थ्पा ने दो पत्र सेनाप्रमुख को भी लिखा था लेकिन नियमानुसार सेना प्रमुख किसी भी ऐसे सामान की खरीद जिसकी खरीद रक्षा मंत्रालय करता है उस पर कोई करवाई नही कर सकते .. सेना उन्ही मामलो पर सीधी करवाई कर सकती है जिन चीजों की खरीद सेना सीधे करती है | फिर सेना प्रमुख ने हनुम्प्था के पत्र को रक्षामंत्री को उचित करवाई करने के लिए फारवर्ड कर दिया |

फिर जब सेना प्रमुख के मामले मे ये मामला भी उछला और सेना प्रमुख ने सारे नियम छोडकर सारे शिकायत सीधे सीबीआई को भेज दी क्योकि केन्द्र सरकार ने सेनाप्रमुख के आरोपों की सीबीआई जाँच की सिपारिश की है ..तब जाकर ये मामला खुला |

लेकिन जैसा कांग्रेस का संविधान है की गाँधी परिवार को बचाने के लिए पालेले खजेले सामने आ जाते है .. ठीक इस बार भी ऐसा हुआ .. केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद [ जिनके नाम मे ही पहले गुलाम है फिर आजाद . ] अचानक सामने प्रकट होकर कहने लगे कि मैडम ने उन्हें ये पत्र उचित करवाई के लिए दिये थे |

मित्रों अब इस भ्रष्ट सोनिया गाँधी के झूठ को समझिए :-

1- सोनिया गाँधी के राजनितिक सचिव अहमद पटेल है जो सोनिया गाँधी के ऑफीस से सारे राजनितिक मामले को डील करते है तो फिर सोनिया गाँधी ने अपने पत्र अपने राजनितिक सचिव को न देकर स्वास्थ्य मंत्री को क्यों दिया ? स्वास्थ्य मंत्रालय का इस मामले से क्या लेना देना है ?

2- सोनिया गाँधी ने वो सारे पत्र सीधे प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री को क्यों नही सौपे ?

3- सेना प्रमुख जिस रि. लेफ्टिनेंट जनरल पर आरोप लगा रहे है वो राहुल गाँधी के राजनितिक सचिव कनिष्क सिंह का एकदम सगा रिश्तेदार है ..फिर भी राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी अब तक इस मामले पर चुप क्यों है ?

4- चलो अगर मान भी लेते है कि सोनिया गाँधी ने सच मे वो सारे पत्र गुलामनबी आजाद को दिये थे तो फिर एक ऐसे पत्र मे जिसमे सीधे सीधे बीस लाख करोड का घोटाला सामने आ रहा हो फिर भी सोनिया गाँधी ने बाद मे गुलाम नबी से करवाई के बारे मे क्यों नही पूछा ? क्यों दो साल तक सोनिया गाँधी चुप रही ?

5- पूरी दुनिया जिस ट्रक को ४० लाख मे खरीदती है अगर रक्षा मंत्रालय उसी ट्रक को एक करोड मे खरीदता है और ह्नुम्न्थ्पा के अनुसार उन्होंने सोनिया गाँधी को तीन देशो के इनवाईस भी साथ मे भेजे थे फिर भी सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री खामोश क्यों रहे ?

6- कांग्रेस के राज मे कुल आठ हज़ार टेट्रा ट्रक खरीदे गए और एक ट्रक के पीछे 60 लाख रूपये ज्यादा दिये गए तो आपलोग कुल रकम का अंदाज़ा लगा लीजिए कि आखिर सोनिया गाँधी क्यों खामोश रही ?

7- जो इंसान सोनिया गाँधी से उन्ही की सरकार की शिकायत कर रहा है उसी इंसान को कांग्रेस अपना राज्यसभा उमीदवार क्यों बनाना चाह रही थी ? क्या सोनिया गाँधी लालच देकर ह्नुम्न्थ्पा का मुँह बंद करवाना चाहती थी ?

मित्रों , हमारे देश के प्रधानमंत्री हो या रक्षामंत्री सब उपर से ही ईमानदारी का लबादा ओढ़े हुए है और ये दोनों अंदर से उतने ही घाघ है | 

साभार :- श्री जीतेन्द्र प्रताप सिंह जी 


समय है अभी भी जाग जाओ और देशद्रोहियों को पहचान जाओ ... ये भ्रष्ट कांग्रेसी देश के गद्दार इस देश को धोखा दे रहे हैं और हमारी रक्षा करने वाली सेना का भी मनोबल तोड़ रहे हैं , सेना में भी दलाली और भ्रष्टाचार कितने शर्म की बात है ... जागो भारतियों जागो 



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आपने स्वयं और अपने परिवार के लिए सब कुछ किया, देश के लिए भी कुछ करिये,
क्या यह देश सिर्फ उन्ही लोगो का है जो सीमाओं पर मर जाते हैं??? सोचिये...... 

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