डॉ. रुपेश श्रीवास्तव यादों के झरोखों में, अनमोल तस्वीर जो शायद मेरे दुनिया से जाने के बाद भी मेरे लिए रत्न बना रहेगा.
गुरुवार, 10 मई 2012
डॉ. रुपेश कभी नहीं मर सकता, ये वो नश्वर है जो विचारों के साथ भड़ास भड़ास आत्मा तक में वास करता है, इन हँसते हुए चेहरे को देख कर कौन कह सकता है की मात्र 40 साल का यह युवा हृदयाघात से दुनिया छोड़ सकता है, तस्वीरों के सहारे भड़ास पिता को याद करने की के कोशिश...
मनीषा दीदी अपने लाडले भाई को इडली खिला रही है |
सिर्फ रुपेश भाई नहीं मैं भी और हठ करके निवाला मैंने भी लिया था |
अपने गुरुदेव की वो हँसी, अब कभी नहीं देख पाऊंगा, वाकई में दीदी और गुरुदेव के गोद में एक नन्हा बच्चा सा ही तो बना हुआ था. |
हरभूषण भाई और डॉ. साहब के बीच मंथन मुंबई के वाशी स्टेशन पर. |
यहाँ दो भडासी, तो भाई, दो शरीर मगर एक प्राण, विचारों की एक्लिप्त्ता ने हमें कभी महसूस ही नहीं होने दिया की रुपेश और रजनीश दो अलग अलग इंसान है. |
माँ का लाडला, मुनव्वर आप के आगे हम दोनों ही बच्चे से बन जाते थे, वाकई आपा का प्यार और मातृत्व ने हम दोनों को आपा का पुत्र बना दिया था. |
5 टिप्पणियाँ:
अचंभित करने वाली खबर, डाक्टर रूपेश को विनम्र श्रद्धांजलि |
.
बेहद दुखद और अप्रत्याशित खबर। रूपेश भैया का इस तरह से चले जाना हजारों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। सभी से स्नेह करने वाले , बेहद विनम्र और सहनशील व्यक्तित्व के धनी थे भाईसाहब। बीमार माँ की सेवा उन्होंने उनकी भी माँ बन कर की थी। इस ब्लॉग-जगत में भाड़े का सच्चा प्यार मुझे रूपेश भैया ने दिया। हर पग पर उन्होंने मेरा साथ दिया, मेरा मनोबल बनाए रखा। जीवन एक संघर्ष है और इस युद्धभूमि में निरंतर लड़ते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना है , ये उन्ही से सीखा। भड़ास परिवार में मुझे शामिल करके मेरा मान बढाया। इस परिवार के संजय कटियार, मुनेन्द्र भाई, मनीषा दीदी और मुनव्वर आपा ने मुझे बहुत प्यार दिया।
दूसरों के दुःख को अपना समझने वाला, और सदैव सहायता को तत्पर रहने वाला तो बस एक था और वो हैं मेरे रूपेश भैया।
भैया अश्रुपूरित आखों को आपको विदा दे रही हूँ। हर जनम में मेरे भाई बनकर आना। आप मेरी स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगे।
I LOVE YOU BHAIYA.... I WILL MISS YOU......
.
बड़े भाई का सच्चा प्यार दिया रूपेश भैया ने। सभी ब्लॉगर्स की तरफ से इस सच्चे चिकित्सक और ब्लॉगर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
हे भगवान !!! सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा। रुपेश भैया चले गए, यह कैसे मान लूं मैं?
अभी कुछ समय पहले तक तो उनकी आवाज़ फोन पर सुनी थी।
ऐसा लगता है वे अभी फोन कर कहेंगे, "दिवस भाई, गुंड बोल रहा हूँ...ही ही ही..."
मुझे याद है जब पहली बार मैंने उनसे पूछा था की रुपेश भैया आप करते क्या हैं? तो उनका सीधा सटीक जवाब था, "पार्ट टाइम डॉक्टर और फुल टाइम गुण्डा हूँ मैं...ही ही ही..."
न जाने उनकी वह "ही ही ही..." वाली हंसी कहाँ खो गयी?
रुपेश भैया, आपने एक बार किसी ब्लॉग पर कहा था कि "रुपेश, दिव्या, दिवस, मनीषा दीदी व मुनव्वर आपा सब एक हैं।"
हाँ भैया, हम एक हैं। आप सदैव हमारे ह्रदय में जीवित रहेंगे। रुपेश भैया, आप सदैव याद आएँगे।
रुपेश भैया, अब कुछ कह नहीं पा रहा, गला भर रहा है।
I LOVE YOU RUPESH BHAIYA...
रूपेश जी ने हिन्दी चिट्ठाकारिता मे अभिव्यक्ति की नई क्रान्ति के उद्घोषक थे। उनके जाने से हिन्दी ब्लोगिंग को एक आपूरणीय क्षति हुई है। रूपेश जी को मेरे ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
एक टिप्पणी भेजें