दुःख अफ़सोस और गुस्सा

सोमवार, 28 मई 2012

दुःख अफ़सोस और गुस्सा सब एक साथ था, जब पिछले दिनों हमारे मित्र चन्दन जी ने हमें मोबाइल पर बताया की भाई रुपेश नहीं रहे बीती 9 मई को वो हमें अलविदा कह गए मै उस वक़्त इलाहाबाद में था मुझे विश्वास नहीं हुवा मेरी इधर काफी दिनों से भाई रुपेश से कोई बात चित भी नहीं हुई थी, मैंने डरते डरते मुनव्वर आपा को कॉल किया और उनसे खैरियत पूछने वाला ही था की उनके रोने की आवाज़ आयी, उनसे बात हुई पर ऐसा लगता है की रुपेश भाई अभी भी हमें पढ़ रहे हैं और उनका कमेन्ट भी आने वाला है ,,,,,,,क्या विश्वास कर लिया जाये की महाभडासी,आलोचक ,रचनाकार,मित्र अब हमारे बीच नहीं रहे..... 

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Regards

M.Ghufran Siddiqui
http://awadhvasi.blogspot.com

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