टीम अन्ना और टीम राहुल-सोनिया (कांग्रेस सरकार ) के मध्य हुए सुलह समझौते के लिए दोनों टीमों को बधाई....!!!!

गुरुवार, 31 मई 2012

कांग्रेस सरकार ने सफलता से अन्ना हजारे की आड़ में जनता की आँखों में धुल झोंक कर विदेशों से काले धन को लाने का मुद्दा दबा दिया है. साथ ही विदेशी व्यस्थाओं के विरोध को भी विराम दे डाला है. अमेरिका और पूंजीवादी शक्तियां भी जनतंत्र की इस जीत (?) पर  वाह वाह कर रही है.

जब स्वामी रामदेव के प्रदर्शन पर रात में लाठी चार्ज हुआ था तो अमेरिका के लिए वह भारत का आतंरिक मुद्दा था. लेकिन अन्ना के मामले में उन्होंने हस्तक्षेप करना उचित समझा क्योंकि इस आन्दोलन से उनकी पूंजीवादी व्यवस्था को कोई खतरा नहीं है. जबकि स्वामी रामदेव से उन्हें खतरा था, और भारत की सभ्यता संस्कृति को बचने से आसुरी शक्तियों को गहरा आघात पहुँच रहा था.
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टीम अन्ना और टीम राहुल-सोनिया (कांग्रेस सरकार ) के मध्य हुए सुलह समझौते के लिए दोनों टीमों को बधाई....!!!!

 इस सुलह समझौते में एक दूसरे की नेकनीयती, सत्यनिष्ठा, राष्ट्रप्रेम तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की प्रचंड प्रतिबद्धिता को लेकर 
दोनों टीमों के एक दूसरे के प्रति परस्पर प्रगाढ़ विश्वास एवं गहरी समझदारी (understanding) ने ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. 

हम अकारण ही यह नहीं कह रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में अपनी इस महान संयुक्त मुहिम...!!! की राह में आने वाली देशघाती साजिशों,षड्यंत्रों की बाधाओं को दोनों टीमों ने
जिस प्रकार जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए  जबरदस्त संयुक्त कोशिशें की उन्हें समस्त देश ने देखा-सुना है.

इस देश में जनता के धन की जघन्य लूट कर स्विस बैंकों में जमा लाखों करोड़ रुपयों के कालेधन की झूठी कहानी और उस धन को लूटने के जिम्मेदारों को जेल भेजने ,उस कालेधन को वापस लाने की मूर्खतापूर्ण देशविरोधी मांग को लेकर जिस प्रकार एक भगवा पहनने वाला आदमी मैदान में कूद पडा था.

उसके इस षड्यंत्र की अग्नि में राहुल-सोनिया टीम की कप्तान उसके नौजवान उपकप्तान के साथ ही साथ कई महत्वपूर्ण खिलाडियों के भी झुलसने के स्पष्ट सन्देश-संकेत मिलने लगे थे.

उस से देश का संकट चरम पर पहुँच गया था. देश के मन में गहरी चिंताए पनपने लगी थी. हालंकि वो पूरे विश्वासके साथ ये कहकर देश की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश करता रहा की टीम अन्ना उसके साथ है,लेकिन टीम अन्ना ने ऐसा कहने का अपराध कभी नहीं किया और जब वो भगवाधारी अपनी उस मांग को लेकर दिल्ली पहुंचा तो अन्ना टीम ने उस से स्पष्ट दूरी बनाकर, उसकी मांग के समर्थन में एक भी शब्द नहीं बोलकर उस भगवाधारी देशद्रोही के मंसूबे पूरे ना होने देने के पुरजोर प्रयास किये थे.

 राहुल-सोनिया टीम (कांग्रेस सरकार) ने बहुत चालाकी के साथ उस देशद्रोही जालसाज से सारी न्यायिक औपचारिकताएं पूर्ण करवा कर, उस को बाकायदा अनशन की अनुमति देकर, एक दिन बहलाने-फुसलाने के बाद दुसरे दिन रात डेढ़ बजे उसके अनशन शिविर में सो रहे उसके खूंख्वार साथियों के उपर पुलिसिया कुत्तो की फौज भेजकर पूरी शक्ति के साथ उस भगवाधारी देशद्रोही के उन देशघाती मंसूबों को पूरी तरह कुचल देने में कोई कमी बाक़ी नहीं रखी थी. इस बात के भी पूरे प्रबंध कर दिए थे की उस देशद्रोही की आवाज़ के संकट को सदा के लिए शांत और समाप्त कर दिया जाये. लेकिन वो जालसाज देशद्रोही भगवाधारी स्त्रियों के वस्त्रों में किसी तरह बच निकला.



इसके बाद भी उसको पकड कर उसी रात जहाज से सीधे उसके आश्रम पहुँचाने के बाद उसके दिल्ली प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, उसके सैकड़ों महिलाओं,बच्चों,बूढों और नौजवान घायल लेकिन खूंख्वार साथियों को सबक सिखाने के बाद ही राहुल-सोनिया टीम शांत और संतुष्ट हुई थी.



हालंकि उसकी इस कारवाई को कुछ मूर्ख और दुष्ट देशवासियों ने गैरकानूनी कहा था, दुर्भाग्यवश इस देश का सर्वोच्च न्यायालय भी उस देशद्रोही भगवाधारी और उसके धूर्त साथियों की कालेधन वाली झूठी कहानी के षड्यंत्रों को संभवतः भांप नही सका. और उसने पुलिसिया कुत्तों की कार्रवाई को अपने तीखे सवालों के कटघरे में खडा कर दिया.



उन सवालों के चक्कर में फंसे कुत्ते आज भी परेशान घूम रहे हैं. जबकि राहुल-सोनिया टीम और उसके पुलिसिया कुत्तों पर उस कार्रवाई को लेकर लगाए गए आरोप बिलकुल निराधार थे, क्योंकि यदि वह जनता की आवाज़ को कुचलना ही चाहती तो अन्ना टीम के साथ भी बिलकुल वही सलूक करती, जो उसने उस भगवाधारी और उसके समर्थकों के साथ किया था. लेकिन क्या उसने ऐसा किया...? बिलकुल नहीं. इसके विपरीत बिना अनुमति के सारे प्रतिबंधों को तोड़ने की खुली घोषणाएं 2 दिन पहले से ही कर रही अन्ना टीम को केवल अनशन स्थल ही नहीं पूरी दिल्ली में, जहाँ वो चाहे वहाँ घूम-घूम कर सारे प्रतिबंधों को तोड़ने की पूरी छूट दी.



अन्ना को गिरफ्तार करने के बाद उस भगवाधारी की तरह दिल्ली से दूर भेज देने के बजाय दिल्ली में ही रखा और उसके समर्थकों को जेल के फाटक और उसके सामने की सडक तक जाम कर नारेबाजी करने की पूरी छूट दी. किसी समर्थक को काटना तो दूर, पुलिस के कुत्तों ने भौंक कर डराना भी पाप सामान ही समझा.



क्योंकि अन्ना टीम राहुल-सोनिया टीम के मंसूबों को जानती थी.उसकी नेकनीयती को पहचानती थी इसीलिए अन्ना टीम ने भगवाधारी के खिलाफ कार्रवाई से जनाक्रोश को ना भड़कने देने के लिए पुलिसिया कुत्तों की कार्रवाई  की निंदा में एक दिन का धरना देकर जबर्दस्त "डैमेज कंट्रोल" की कोशिश की.


लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रखा की उस भगवाधारी द्वारा देश को सुनायी समझायी जा रही लाखों करोड़ के कालेधन की झूठी और देशघाती कहानी के समर्थन, उस कहानी से सम्बन्धित मांगो से पूरी तरह दूरी बना कर रखी जाये और उस कहानी को वहीं खत्म होने दिया जाए. इस प्रकार दोनों टीमों ने अपने परस्पर तालमेल से कालेधन की झूठी कहानी और देशघाती आरोपों के जाल से राहुल-सोनिया टीम के प्रमुख दिग्गजों की रक्षा कर देश को संकट से बचाने का महान कार्य किया. इसके अतिरिक्त भी अन्ना टीम ने ऐसी कई और सावधानियां बड़ी सूझ-बूझ के साथ बरतीं.




सुरेश कलमाडी, ऐ.राजा, दयानिधि मारन सरीखे राहुल-सोनिया टीम के प्रतिभावान खिलाडियों के चमत्कारिक प्रदर्शन से अभिभूत मीडिया विशेषकर न्यूजचैनल जब राहुल-सोनिया टीम के इन विलक्षण खिलाड़ियों के चमत्कारिक "भारत निर्माण" प्रदर्शन के मीठे सपनों की मधुर नींद का आनंद ले रहे थे तब ही डा. सुब्रह्मनियम स्वामी और राम जेठमलानी सरीखे सिरफिरों ने कुछ उलूल-जुलूल तथ्यों,तर्कों,साक्ष्यों को पता नहीं किस प्रकार प्राप्त कर उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटा दिया और ये सभी निराले और निर्दोष खिलाड़ी जेल के भीतर पहुँच गए.



लेकिन अन्ना टीम ने इसकी गंभीरता को समझा और अप्रैल माह में अपने अनशन की पहली पारी प्रारम्भ करने से पूर्व ही स्पष्ट घोषणा कर राहुल-सोनिया टीम का संतुलन बिगाड़ने वाले डा. सुब्रह्मनियम स्वामी और राम जेठमलानी सरीखे सिरफिरों को अपने अनशन से दूर और बाहर रहने की कठोर चेतावनी जारी कर दी थी.



इसी प्रकार हसन अली को पकडकर उसका सच देश के सामने लाकर राहुल-सोनिया टीम के कुछ और महत्वपूर्ण खिलाडियों को मुश्किल में डाल चुके डिप्टी इनकमटैक्स कमिश्नर(अब रिटायर्ड) विश्वबंधु गुप्ता को अपने अनशन स्थल जन्तर-मंतर से खदेड़ दिया था.



राहुल-सोनिया टीम की "धर्मनिरपेक्षता" की पिच को गुजरात में अपनी "साम्प्रदायिक" नीतियों से खोद रहे नरेंद्र मोदी सरीखे "निकृष्ट" नेता की ग्रामोन्मुख विकासपरक असाधारण उपलब्धियों के "सफ़ेद झूठ"...!!! के खिलाफ जबर्दस्त हल्ला बोलते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार पर गुजरात में लागू शराबबंदी के बावजूद सवेरे 6 बजे से ही लाइन लगवाकर शराब बिकवाने सरीखा सच्चा और ऐसे ही अन्य अनेक प्रकार के गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों की असाधारण बौछार लगातार 4 दिनों तक सार्वजनिक मंचों से, मीडिया मंचों से करके नरेंद्र मोदी को सबक सिखाने का जोरदार प्रयास अन्ना टीम ने निर्भीकता के साथ किया था. इस तरह राहुल-सोनिया टीम के शत्रुओं के देशघाती मंसूबों को ठीक-ठाक तरीकों से कुचल कर अन्ना टीम ने अपने मित्रता-दायित्व का कुशल निर्वहन किया था.



इसके बाद ऐ.रजा को क्लीन चिट देने, पूरे 2G घोटाले को झूठा सिरफिरा आरोप सिद्ध करने का सद्साहस दिखने वाले "सत्यनिष्ठ" "सदाचारी" कपिल सिब्बल के साथ मिलकर अन्ना टीम ने भ्रष्टाचार को मिटाने की मुहिम की पहली पारी शुरू की थी.



इस पारी के लिए आर्थिक दान करने वालों की सूची में सबसे ऊपर नाम जिंदल अल्युमिनियम का था जिसका मालिक कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल का परिवार है और जिसने इस मुहिम की शुरुआत के लिए ही 25 लाख रुपये दान दिया था. अतः राहुल-सोनिया टीम ने भी इस मुहिम के लिए टीम अन्ना की मदद मैं किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी थी.



हालांकि येदुरप्पा के खिलाफ जांच करने वाले अन्ना टीम के संतोष हेगड़े ने इस कम्पनी को कर्नाटक में हजारो करोड़ की खनन लूट के मुख्य जिम्मेदारों में इस कम्पनी को भी चिन्हित कर रखा था. लेकिन इन सभी बाधाओं को पार कर दो महीनों तक पारी प्रसन्नता पूर्वक चलती रही. मीटिंगों के दौर चलते रहे हर मीटिंग के बाद दोनों टीमें मुस्कुराती हुई निकलकर एक दुसरे की नेकनीयती और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतिबद्धिता की प्रशंसा के पुल बांधती रहीं थीं. 



इस मुहिम को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाने के लिए ही राहुल-सोनिया टीम ने दूसरी पारी से पहले माहौल गर्म कर पारी जमाने के जो जानदार प्रयास किये उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है.


भारत,भारतीय,भारतीयता के सिद्धांत के राष्ट्रभक्त कट्टर अनुयायी न्यूज़ चैनलों ने भी इस मुहिम को सफल बनाने के लिए जिस प्रकार जी तोड़ मेहनत की उसके लिए ये देश सदा उनका आभारी रहेगा.



ये न्यूज चैनलों का ही कमाल था की जिस अन्ना टीम के आह्वान पर पहले दिन केवल 1500 आदमियों की भीड़ पहुंची थी वहीं दूसरे दिन ये संख्या 25000 पहुँच गयी थी.



इस जबर्दस्त जागरूक पत्रकारिता ने बहुचर्चित फिल्म "पीपली लाइव" और उसके मुख्य पात्र "नत्था" की कहानी को पुनः जीवंत कर दिया.



देशभक्ती के गीतों के पार्श्व संगीत के माहौल में अन्ना की तुलना गाँधी और जयप्रकाश के साथ करने की(किसी किसी ने ईसामसीह तक बनाया), उनसे भी ऊंचा दिखाने की "पराक्रमी" पत्रकारिता का एक नवीन और रोचक इतिहास न्यूज चैनलों ने लिखा.

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