बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट

गुरुवार, 31 मई 2012

बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदलेहमारे हमसफ़र हिन्दुस्तान के बारे में देश की राजनीति को लग चुका है अभिशाप ,गुरु कर रहे है शिष्यों के साथ पाप,अस्पतालों मे हो रही है बच्चों की हेराफेरी,पुलिस को जीने के लिए जरुरी है घूसखोरी,खेलो मे खिलाडियों को रास आ रही है मैच फिक्सिंग , धार्मिक पत्रों के कलाकारों मे बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदले नोट !देश के इसी तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ''हिन्दुस्तान का दर्द'' आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये.....अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-9907048438 फेसबुक पर जुडिए Sanjay Sen Sagar  Create Your Badge लिखिए अपनी भाषा में कॉमनवेल्थ याद रहेगा? कार्टून नेटवर्क कार्टून नेटवर्क • पुरस्कार  • विश्व मानवाधिकार दिवस पर भी कुछ लिखा जाए  • भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता  • हिन्दुस्तान का दर्द के समर्थक ध्यान दें.  • अंदाज़ अपना - अपना  • यह केसा मानवाधिकार जो लागू नहीं हे  • एक चोराहा जिसने देखी भ्रस्ताचार और तोड़ फोड़ की सियासत  • इस्लामिक नया साल पुरे देश और विश्व को मुबारक हो  • हाय केसा हे यह आतंकवाद  • अनजाना शख्श  • पढ़िए सत्ता की सबसे बड़ी दलाली की कहानी  • राजदीप सरदेसाई से एम जे अकबर तक- सब पर्दा डालने में जुटे हैं  • भाई ललित शर्मा का राम राम कोटा के लियें  •   •     Powered By Tech Vyom Thursday, December 9, 2010 पुरस्कार  कोई पुरस्कृत क्यु होता है ? कोई जिंदगी भर बिना इनाम के ही .... इनाम वाला भी  हो जाता है और कुच्छ लोग लगातार ......... नाम - इनाम बटोरते ही रहते हैं तो कुच्छ नाम येसे  भी हैं , जो इनाम की शक्ल  ही बदल देते हैं वे लेते हैं......... तो खबर बनती है ठुकराते हैं...... तो भी खबर बनती है क्युकी जो धूर्त होते हैं ... वो ........बहुत मीठे होते हैं और मीठे फलो मै कीड़े भी जल्दी होते हैं ............... तो बस उनकी मुस्कराहट को तय करने दो .......?. की उनकी मुस्कान कितनी निर्दोष है और फिर वो  मिले तो जानो .....  की उनकी आँखों मै कितनी चमक है ? आखिर मै बस..... मिट्ठा न मिले तो.......... नमकीन से काम चलेगा क्या ? आजकल तो जेबकतरों और उठाई -गीरों को भी इनाम दे दिए जाते हैं ............... तो अब हम केसे तय करे की ........... पुरस्कार केसे दिए जाते हैं ?        You might also like: गूगल डाका डाल रहा है, गूगल की डाकेजनी का वि‍रोध करो "पितृ पक्ष श्राद्ध " में कौओं का अकाल लो क सं घ र्ष !: या सुंदर केवल आशा... लो क सं घ र्ष !: यूं नियति नटी नर्तित हो.... LinkWithin Posted by Minakshi Pant at 11:12 PM 1 comments विश्व मानवाधिकार दिवस पर भी कुछ लिखा जाए विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएगी इस नोटंकी में देश में कथित रूप से राष्ट्रिय स्तरीय और राज्य स्तरीय कई कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रूपये बर्बाद किये जायेंगे लेकिन देश में आज भी मानाधिकार कानून मामले में देश पंगु बना हुआ हे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन वर्ष १९९३ में गठित कर सुप्रीम कोर्ट के जज रंगनाथ मिश्र को इसका अध्यक्ष बनाया गया और इसी के साथ ही राष्ट्रिय मानवाधिकार कानून देश भर में लागू कर दिया गया , रंगनाथ मिश्र ने इस कानून के माध्यम से देश भर में लोगों को न्याय दिलवाया लेकिन फिर सरकार अपने स्तर पर इस आयोग में नियुक्तियां करने लगी और आज देश भर में राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग खुद एक सरकारी एजेंसी बन कर रह गये हें आयोग खुद काफी लम्बे वक्त तक खुद की सुख सुविधाओं के लियें लड़ता रहा और फिर जब राजकीय नियुक्तिया इस आयोग में हुई तो आयोग सरकार के खिलाफ कोई भी निर्देश देने से कतराने लगा , राजस्थान में भी मानवाधिकार आयोग हे लेकिन कई ऐसे मामले हें जिनमे सरकार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी हे जब योग और कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी स्तर पर होती हे और वेतन भत्ते सरकार से उठाये जाते हें तो जिसका खायेंगे उसका बजायेंगे की तर्ज़ पर कम होता हे और स्थिति यह हे के देश में १९९३ में बने कानून के तहत आज तक किसी भी हिस्से में मानवाधिकार न्यायालय नहीं खोली गयी हे जबकि अधिनियम में हर जिले में एक मानवाधिकार न्यायायलय खोलने का प्रावधान हे लेकिन सरकार ने नातो ऐसा किया और ना ही पद पर बेठे आयोग के अध्यक्षों ने इस तरफ सरकार पर दबाव बनाया जरा सोचो जब आयोग खुद ही अपने कानून को देश में लागु करवा पाने में असमर्थ हे तो फिर दुसरे कल्याणकारी कानून केसे लागू होंगे । राजस्थान में पुलिस नियम अधिनियम २००७ में पारित हुआ इस कानून के तहत पुलिस और जनता की कार्य प्रणाली पर अंकुश के लियें समितियों और आयोग के गठन का स्पष्ट प्रावधान हे लेकिन आज तक तीन वर्ष गुजरने पर भी समितिया गठित नहीं की गयी हें जबकि थानों पर अंकुश के लियें इन समितियों का गठन विधिक प्रावधान हे इसी तरह मानवाधिकार कानून के तहत जिलेवार प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की गयी हे । देश के थानों में आज भी प्रताड़ना का दोर जारी हे हालात यह हें के हिरासत में मोतों का सिलसिला थमा नहीं हे सरकारी मशीनरी कदम कदम पर मानवाधिकारों का शोषण कर रही हे लेकिन आयोग के दायरे सीमित हें स्टाफ और सदस्य सीमित हें जिला स्तर पर कोई प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किये गये हें और आयोग मात्र कार ड्राइवर और भत्तों का बन कर रह गया हे कुछ मामलों में आयोग कठोर रुख अपनाता हे तो उसकी पलना नहीं होती हे कोटा जेल के अंदर इन दिनों नियमित हिरासत में मोतें हो रही हें और हालात यह हें के राजस्थान और राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने कोटा जेल में मानवीय व्यवस्थाएं करने के लियें एक दर्जन से अधिक मेरी सोसाइटी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर राज्य सरकार और कोटा के अधिकारीयों को निर्देश दिए हें मुझे गर्व हे के मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने के लियें मेरी सोसाइटी ह्यूमन रिलीफ सोसिईती १९९२ में बनी और फिर १९९३ में आयोग और राष्ट्री मानवाधिकार कानून बना राजस्थान में कोटा से राष्रीय मानवाधिकार आयोग में सबसे पहली शिकायत मेरी दर्ज की गयी और इस शिकायत पर बाबू इरानी पीड़ित को न्याय दिलवाकर एक थाना अधिकारी को अपराधी बना कर मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश दिए गये और मुआवजा भी दिलवाया गया । कल विश्व मानवाधिकार दिवस पर अप सभी ब्लोगर बन्धु जिलेवार मानवाधिकार कोर्ट खोलने ,समितिया गठित करने पुलिस आयोग और समितिया गठित करने , न्यायालयों और थानों में कमरे लगवाने के मामले में एक एक ब्लॉग अवश्य लिख कर नुब्ग्र्हित करने ताकि देश में कम से कम इस कानून की १७ साल बाद तो क्रियानाविती हो सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान You might also like: लो क सं घ र्ष !: मेजबान होटल लखनऊ में लोकसंघर्ष पत्रिका के ... लो क सं घ र्ष !: क्या पतन समझ पायेगा... शिकारी .............. लो क सं घ र्ष !: या सुंदर केवल आशा... LinkWithin Posted by Akhtar Khan Akela at 9:33 PM 0 comments भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता  तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ''हिन्दुस्तान का दर्द'' आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये.....अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-9907048438 फेसबुक पर जुडिए Sanjay Sen Sagar  Create Your Badge लिखिए अपनी भाषा में कॉमनवेल्थ याद रहेगा? कार्टून नेटवर्क कार्टून नेटवर्क • पुरस्कार  • विश्व मानवाधिकार दिवस पर भी कुछ लिखा जाए  • भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता  • हिन्दुस्तान का दर्द के समर्थक ध्यान दें.  • अंदाज़ अपना - अपना  • यह केसा मानवाधिकार जो लागू नहीं हे  • एक चोराहा जिसने देखी भ्रस्ताचार और तोड़ फोड़ की सियासत  • इस्लामिक नया साल पुरे देश और विश्व को मुबारक हो  • हाय केसा हे यह आतंकवाद  • अनजाना शख्श  • पढ़िए सत्ता की सबसे बड़ी दलाली की कहानी  • राजदीप सरदेसाई से एम जे अकबर तक- सब पर्दा डालने में जुटे हैं  • भाई ललित शर्मा का राम राम कोटा के लियें  •   •     Powered By Tech Vyom Thursday, December 9, 2010 पुरस्कार  कोई पुरस्कृत क्यु होता है ? कोई जिंदगी भर बिना इनाम के ही .... इनाम वाला भी  हो जाता है और कुच्छ लोग लगातार ......... नाम - इनाम बटोरते ही रहते हैं तो कुच्छ नाम येसे  भी हैं , जो इनाम की शक्ल  ही बदल देते हैं वे लेते हैं......... तो खबर बनती है ठुकराते हैं...... तो भी खबर बनती है क्युकी जो धूर्त होते हैं ... वो ........बहुत मीठे होते हैं और मीठे फलो मै कीड़े भी जल्दी होते हैं ............... तो बस उनकी मुस्कराहट को तय करने दो .......?. की उनकी मुस्कान कितनी निर्दोष है और फिर वो  मिले तो जानो .....  की उनकी आँखों मै कितनी चमक है ? आखिर मै बस..... मिट्ठा न मिले तो.......... नमकीन से काम चलेगा क्या ? आजकल तो जेबकतरों और उठाई -गीरों को भी इनाम दे दिए जाते हैं ............... तो अब हम केसे तय करे की ........... पुरस्कार केसे दिए जाते हैं ?        You might also like: गूगल डाका डाल रहा है, गूगल की डाकेजनी का वि‍रोध करो "पितृ पक्ष श्राद्ध " में कौओं का अकाल लो क सं घ र्ष !: या सुंदर केवल आशा... लो क सं घ र्ष !: यूं नियति नटी नर्तित हो.... LinkWithin Posted by Minakshi Pant at 11:12 PM 1 comments विश्व मानवाधिकार दिवस पर भी कुछ लिखा जाए विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएगी इस नोटंकी में देश में कथित रूप से राष्ट्रिय स्तरीय और राज्य स्तरीय कई कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रूपये बर्बाद किये जायेंगे लेकिन देश में आज भी मानाधिकार कानून मामले में देश पंगु बना हुआ हे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन वर्ष १९९३ में गठित कर सुप्रीम कोर्ट के जज रंगनाथ मिश्र को इसका अध्यक्ष बनाया गया और इसी के साथ ही राष्ट्रिय मानवाधिकार कानून देश भर में लागू कर दिया गया , रंगनाथ मिश्र ने इस कानून के माध्यम से देश भर में लोगों को न्याय दिलवाया लेकिन फिर सरकार अपने स्तर पर इस आयोग में नियुक्तियां करने लगी और आज देश भर में राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग खुद एक सरकारी एजेंसी बन कर रह गये हें आयोग खुद काफी लम्बे वक्त तक खुद की सुख सुविधाओं के लियें लड़ता रहा और फिर जब राजकीय नियुक्तिया इस आयोग में हुई तो आयोग सरकार के खिलाफ कोई भी निर्देश देने से कतराने लगा , राजस्थान में भी मानवाधिकार आयोग हे लेकिन कई ऐसे मामले हें जिनमे सरकार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी हे जब योग और कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी स्तर पर होती हे और वेतन भत्ते सरकार से उठाये जाते हें तो जिसका खायेंगे उसका बजायेंगे की तर्ज़ पर कम होता हे और स्थिति यह हे के देश में १९९३ में बने कानून के तहत आज तक किसी भी हिस्से में मानवाधिकार न्यायालय नहीं खोली गयी हे जबकि अधिनियम में हर जिले में एक मानवाधिकार न्यायायलय खोलने का प्रावधान हे लेकिन सरकार ने नातो ऐसा किया और ना ही पद पर बेठे आयोग के अध्यक्षों ने इस तरफ सरकार पर दबाव बनाया जरा सोचो जब आयोग खुद ही अपने कानून को देश में लागु करवा पाने में असमर्थ हे तो फिर दुसरे कल्याणकारी कानून केसे लागू होंगे । राजस्थान में पुलिस नियम अधिनियम २००७ में पारित हुआ इस कानून के तहत पुलिस और जनता की कार्य प्रणाली पर अंकुश के लियें समितियों और आयोग के गठन का स्पष्ट प्रावधान हे लेकिन आज तक तीन वर्ष गुजरने पर भी समितिया गठित नहीं की गयी हें जबकि थानों पर अंकुश के लियें इन समितियों का गठन विधिक प्रावधान हे इसी तरह मानवाधिकार कानून के तहत जिलेवार प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की गयी हे । देश के थानों में आज भी प्रताड़ना का दोर जारी हे हालात यह हें के हिरासत में मोतों का सिलसिला थमा नहीं हे सरकारी मशीनरी कदम कदम पर मानवाधिकारों का शोषण कर रही हे लेकिन आयोग के दायरे सीमित हें स्टाफ और सदस्य सीमित हें जिला स्तर पर कोई प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किये गये हें और आयोग मात्र कार ड्राइवर और भत्तों का बन कर रह गया हे कुछ मामलों में आयोग कठोर रुख अपनाता हे तो उसकी पलना नहीं होती हे कोटा जेल के अंदर इन दिनों नियमित हिरासत में मोतें हो रही हें और हालात यह हें के राजस्थान और राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने कोटा जेल में मानवीय व्यवस्थाएं करने के लियें एक दर्जन से अधिक मेरी सोसाइटी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर राज्य सरकार और कोटा के अधिकारीयों को निर्देश दिए हें मुझे गर्व हे के मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने के लियें मेरी सोसाइटी ह्यूमन रिलीफ सोसिईती १९९२ में बनी और फिर १९९३ में आयोग और राष्ट्री मानवाधिकार कानून बना राजस्थान में कोटा से राष्रीय मानवाधिकार आयोग में सबसे पहली शिकायत मेरी दर्ज की गयी और इस शिकायत पर बाबू इरानी पीड़ित को न्याय दिलवाकर एक थाना अधिकारी को अपराधी बना कर मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश दिए गये और मुआवजा भी दिलवाया गया । कल



फ़्रांस की अरेवा कंपनी द्वारा महाराष्ट्र के जैतपुर में १६५० मेगावाट की दो नाभिकीय रिएक्टर स्थापित किया जायेगा .यह एक अच्छी खबर है .पर्यावरण मंत्रालय ने भी कुछ शर्तों के साथ इसकी स्थापना की इज़ाज़त दे दिया है .भारत को इस वक्त उर्जा की बहुत जरुरत है ,पेट्रोलियम के भण्डार यहाँ पर बहुत ही सीमित है तथा यह अपनी आवश्यकता का ७५ प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम आयात करता है .साथ ही कोयला के भण्डार भी सीमित ही है जो आगे आने वाले ४० -५० वर्षों में समाप्त हो जायेंगे .इस प्रकार भारत के पास बहुत सीमित   विकल्प है जिसमे परमाणु ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में स्थापित हो सकता है .परमाणु ऊर्जा को स्वेत इंधन कहा जाता है क्योंकि इससे पर्यावरण को नुक्सान नहीं होता है .भारत के पास पनबिजली ,सौर्य उर्जा ,पवन उर्जा का भी विकल्प है और भारत सरकार के अंग उसके विकास के लिए काम भी कर रहे है .दिक्कत की बात यह है की ये सभी स्रोत मिलकर भी ऊर्जा संकट को दूर नहीं कर सकते और इनके विकास की गति भी धीमी है .कोयले के प्रयोग से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या सामने आ रही है .परमाणु ऊर्जा के उपयोग से इसका समाधान हो सकता है .इससे कोयले और पेट्रोलियम पर हमारी निर्भरता भी कम होगी और विदेशी मुद्रा की बचत भी हो सकेगी .
परमाणु ऊर्जा की सबसे बड़ी समस्या इसकी सुरक्षा को लेकर है .परमाणु दुर्घटना होने पर लाखो लोगो की जाने जा सकती है और साथ ही साथ रेडिओ एक्टिव किरणों के वायुमंडल में विखरने के कारण भावी पीढी  को भी इसका दंश भुगतना पड़ेगा  .दुर्घटना के बाद मुआवजा राशि कितनी होगी,इसको लेकर भी विवाद बना हुआ है .अभी हाल ही में भारतीय संसद द्वारा परमाणु दुर्धटना मुआवजा आपूर्ति विधेयक पारित किया  गया है .इन सभी समस्याओं का समाधान खोज कर परमाणु ऊर्जा को एक वेहतर विकल्प के रूप में तैयार किया जा सकता है .इसी सन्दर्भ में फ़्रांस के साथ हुआ परमाणु समझौता काफी महत्वपूर्ण है ,इससे निश्चित रूप से भारत में ऊर्जा संकट के समाधान में कुछ मदद मिलेगी .भारत में अभी परमाणु ऊर्जा का कुल उत्पादन ४७२० मेगावाट है ..इसे द्रुत गति से बढाने की आवश्यकता है .

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