बंगाल का बोकाचोदा पुलिस पहले निर्णय पर पहुँच जाती है, या फिर ये ममता का आदेश है की निर्णय के लिए अदालत की प्रतीक्षा मत करो.
गुरुवार, 5 जुलाई 2012
एशियाड गोल्ड मेडलिस्ट है पिंकी, लैंगिक विभेद के आरोप.....अगर पिंकी महिला नहीं है तो बगाल पुलिस का ये बुड्ढा साला चूतिये का पट्ठा का हाथ देखिये, ये पिंकी के स्तन को दबाते हुए न्यायालय ले जा रहा है, न्याय का मंदिर जिसमें जज है क्या वो लैंगिक विकृति मानसिकता का नहीं है जो इस एक मात्र फोटो से निर्णय दे सकता है मगर नहीं वाकई में बंगाल की मुख्यमंत्री और बंगाल का न्यायालय राष्ट्र के गौरव को अपनी रखैल समझता है.
दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक़......
कोलकाता दोहा एशियाड में गोल्ड मेडल लाने वाली एथलीट पिंकी प्रमाणिक पर अभी यह आरोप ही है कि वह पुरुष है और उसने एक महिला से दुष्कर्म किया है, लेकिन नार्थ 24 परगना जिले पुलिस ने मान लिया है कि वह पुरुष है और उस पर लगे आरोप भी सही हैं। पुलिस के इस नजरिये को वह तस्वीर बयां कर रही है जिसमें पिंकी को किसी आतंकी की तरह दबोचे दिखाया गया है। यह तस्वीर पिंकी को बारासात कोर्ट में पेश करने के लिए ले जाते वक्त की है। इस तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि पुरुष कांस्टेबल पिंकी से बदसलूकी कर रहे हैं। एक युवा आइपीएस ने इन तस्वीरों को देखने के बाद कहा कि इस मामले में पुलिस मैन्युअल का साफ उल्लंघन किया गया है। किसी भी महिला की गिरफ्तारी और उसकी पेशी के दौरान कम से कम एक महिला पुलिस का रहना अनिवार्य है। इस मामले में पुलिस ने इसका ख्याल नहीं रखा। आखिर अधिकारियों ने कांस्टेबल को इस बात की छूट कैसे दी कि वे किसी महिला को अपनी बाहों में दबोच कर लाएं? वरिष्ठ अधिवक्ता इब्राहिम कबीर ने कहा कि पिंकी प्रमाणिक को पेशी पर ले जाने के लिए महिला कांस्टेबल को ही भेजा जाना चाहिए था।
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