हम सब के सपनों का भारत

गुरुवार, 2 अगस्त 2012



क्या है भारत स्वाभिमान

भारत स्वाभिमान का गठन किया गया ५ जनवरी २००९ में | इसके गठन के पीछे कुछ उद्देश्य हैं, क्या है वो उद्देश्य ?

  1. पहला उद्देश्य है - भारत में जो व्याप्त आर्थिक और राजनैतिक भ्रष्टाचार है उसको समाप्त करना |
  2. दूसरा उद्देश्य है - हमारी जो कर व्यवस्था (Taxation System) है उसको पूरी तरह से बदलना |
  3. तीसरा उद्देश्य है - भारत की शिक्षा व्यवस्था का संपूर्ण रूप से स्वदेशीकरण करना, भारतीयकरण करना |
  4. चौथा उद्देश्य है - भारत की न्याय व्यवस्था का संपूर्ण रूप से स्वदेशीकरण करना, भारतीयकरण करना |
  5. पाँचवा उद्देश्य है - हमारी अर्थव्यवस्था का संपूर्ण रूप से स्वदेशीकरण करना, भारतीयकरण करना |
  6. छठा उद्देश्य है - हमारी भारत देश में घुस गयी सामाजिक कुरीतियों का जडमूल से नाश करना, जैसे शराब, तम्बाकू, सिगरेट, गुटखा आदि |
  7. सातवाँ उद्देश्य है - भारत देश के पर्यावरण को और ज्यादा बेहतर बनाना |
  8. आठवाँ उद्देश्य है - हमारे देश में गरीबी, भुखमरी और बेकारी ने जिस तरह से जड़ जमा लिया है उनको पूरी तरह से समाप्त करना | और
  9. नौवाँ उद्देश्य है - इस देश की जनसँख्या को नियंत्रित करना |
इन नौ उद्देश्यों को लेकर भारत स्वाभिमान का गठन किया गया था | इन नौ उद्देश्यों में ६४ विभिन्न क्षेत्र आ जाते हैं जिनमे भारत स्वाभिमान सुधार के लिए प्रतिबद्ध है |

अब आपके मन में ये प्रश्न होगा कि क्या स्वतंत्रता के ६४ सालों में इन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाई है ? हमलोग अध्ययन करते हैं, अभ्यास करते हैं, आप भी थोडा-बहुत देश को जानने और समझने का माद्दा रखते है, काफी कुछ आप देश के बारे में पढ़ते हैं, चिंतन करते हैं | हमारा अध्ययन और आपकी समझ दोनों को मैं जोड़ दूँ तो ऐसा लगता है कि स्वतंत्रता के ६४ साल बाद भी हम उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पाए हैं जिनकी पूर्ति के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी गयी | हमारे देश के क्रांतिकारियों ने जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता लायी, वो उद्देश्य अभी भी अधूरे हैं | अगर मैं कुछ क्रांतिकारियों का नाम लेकर कहूँ तो भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक, जिनकी गिनती सबसे कम उम्र में फाँसी के फंदे पर चढ़ने वाले क्रांतिकारियों में होती है, अमर शहीद भगत सिंह, अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद, अमर शहीद उधम सिंह, अमर शहीद खुदीराम बोस, अमर शहीद सचिन्द्र नाथ सान्याल, अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, अमर शहीद अशफाकुल्लाह, अमर शहीद अजीमुल्लाह, आदि ऐसे एक दो नहीं सात लाख बत्तीस हजार शहीदों ने अपना सब कुछ बलिदान किया, उन सभी शहीदों के जो सपने थे वो सपने अभी भी पुरे नहीं हुए हैं | मैं जब इन सब शहीदों के द्वारा छोड़े गए दस्तावेजों को देखता हूँ तो बहुत दुःख होता है कि इन सारे शहीदों का मानना था कि भारत स्वतंत्र हो और स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों द्वारा पैदा किये गए सारे समस्यायों का समाधान भारत के अपने तरीकों से किया जाये | अंग्रेजों द्वारा पैदा की गयी भारत की गरीबी, भुखमरी, बेकारी, भ्रष्टाचार, सामाजिक छुआछूत, उंच-नीच की समस्या आदि का समाधान हमारे शहीद चाहते थे | कहाँ हुआ वो सब, ये तो और सुरसा के मुंह की तरह बड़ा ही होता जा रहा है |

अमर शहीद भगत सिंह जब जेल में थे तो उनसे मिलने गए कुछ लोगों के कहने पर उन्होंने एक घोषणा-पत्र तैयार किया था, उस घोषणा पत्र के कुछ बिंदु आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि आप समझ सके कि भगत सिंह के लिए इस देश की स्वतंत्रता का क्या मतलब था ......


  1. इस घोषणा पत्र का पहला ही बिंदु था कि ....आजादी मिलते ही, अंग्रेजों द्वारा स्थापित सारी व्यवस्थाएं बदल जानी चाहिए |
  2. दूसरा बिंदु था कि ....अंग्रेजों ने इस देश में लुट के माध्यम से जितना धन लुटा और अपने देश ले गए हैं, उस धन की वापसी की व्यवस्था करनी चाहिए |
  3. तीसरा बिंदु था कि ......भारत देश के गरीबों के गरीबी पुर्णतः ख़त्म होनी चाहिए |
  4. चौथा बिंदु था कि .....इस देश से बेरोजगारी मिट जानी चाहिए |
  5. पाँचवा बिंदु था कि ....... गरीब से गरीब व्यक्ति को भी इस देश में सम्मानपूर्वक जीवन बिताने का अधिकार होना चाहिए |   
इस प्रकार के २८-२९ बिंदु उन्होंने अपने उस घोषणा पत्र में लिखा था | ठीक ऐसा ही घोषणा पत्र चंद्रशेखर आजाद ने १९२४ में तैयार किया था | अभी मैं पत्र को ज्यादा लम्बा नहीं करना चाहता इसलिए मैं अब सीधे आप सब से ये प्रश्न करता हूँ कि "क्या अंतर आया है भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के समय के सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक परिस्थितियों और आज की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक परिस्थितियों में ?" उत्तर है कुछ भी नहीं | भगत सिंह भी गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, सामाजिक भेदभाव ख़त्म करने की बात कर रहे हैं और आज हम सब भी इन्ही समस्याओं से जूझ रहे हैं और इन्हें ख़त्म करने की बात कर रहे हैं | वजह क्या है ? वजह ये है कि १५ अगस्त १९४७ को सत्ता तो हस्तांतरित हो गयी लेकिन स्वतंत्रता नहीं आयी | गोरे अंग्रेजों के हाथ से सत्ता काले अंग्रेजों के हाथ में चली आई, बाकी कुछ बदला नहीं | और उसी स्वतंत्रता की प्राप्ति के लड़ाई, हमारे शहीदों का अधूरे सपनों को पूरा करने की लड़ाई को भारत स्वाभिमान के आन्दोलन के नाम से हम सब जानते हैं, और भारत स्वाभिमान का ये स्पष्ट कहना है कि सत्ता और सिंहासन हमें नहीं चाहिए लेकिन भारत को भारतीयता से सीची हुई व्यवस्था और अनुकूल परिस्थितिया प्रदान करेंगे जिससे कि एक सुजलाम-सुफलाम भारत का निर्माण किया जा सके | राजनैतिक महत्वाकांक्षा रखने वालों से विनम्र निवेदन है कि वो इस आन्दोलन का समर्थन तो करे लेकिन इसमें शामिल ना हो क्योंकि हमारा उद्देश्य सत्ता पाना नहीं है बल्कि वर्तमान राजनीति का शुद्धिकरण करना है | और रही बात "व्यवस्था परिवर्तन" की तो परिवर्तन तो बहुत छोटा शब्द है, हम भारत स्वाभिमानी "भारत की व्यवस्था का सकल और सघन रूपांतरण" करना चाहते हैं और हम उन सभी क्रांतिकारियों के सपनों का भारत या कहें हम सब के सपनों का भारत बनाना चाहते हैं |
जय हिंद
राजीव दीक्षित  

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