परम्परा हमारी प्यार से डूबी हुई आकंठ...

गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

देखिये दीदी ने तोड़ा उपवास मेरे हाथों खीर खाकर........

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

डोक्टर साहब,
दीदी से पहले तो आपने ही तोड़ लिया उपवास ;-)
दीदी को ढेरक बधाई.
जय जय भड़ास

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

मामू आपने ध्यान दिया न कि मनीषा आंटी ने डा.अंकल को गर्म खीर खिला दी अंजाने में तो जब डा.अंकल ने खीर खिलाई तो उसे फूक मार कर ठंडा करा.... सच्ची बड़े प्यारे हैं डा.अंकल.. हैं न..

दीनबन्धु ने कहा…

दीदी आपके अगले जन्मदिन पर मैं भी अवश्य आपके पास रह पाऊंगा,शुभकामनाएं

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