हम भड़ासिन शिक्षिकाएं

शनिवार, 20 दिसंबर 2008



बांए से दांए- श्रीमती कृष्णा शर्मा व मुनव्वर आपा
दो भड़ासी शिक्षिकाएं जिनमें एक भड़ासिन तो दूसरी महाभड़ासिन हैं इनमें से मुनव्वर आपा(मुनव्वर सुल्ताना) को तो अपनी तेज़-तर्रार पैनी लेखनी के कारण खाली (कु)ख्याति हासिल कर चुकी हैं और दूसरी हैं नव भड़ासिन कृष्णा शर्मा जी। अब देखिये कि इनके मिलने से आगे क्या-क्या होने वाला है किसकी खुली हुई सिलाई पर टांके कसे जाएंगे और किसकी सिलाई फाड़ी जाएगी:)


3 टिप्पणियाँ:

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

आप दोनो महान भड़ासिन शिक्षिकाओं को प्रणाम

दीनबन्धु ने कहा…

शिक्षिकाएं हैं या दर्जिने बस सिलाई खोलने उधेड़ने की ही बात करी जा रही है:) या फिर दिशा और दशा के संबंध में संकेत है ये टांके और सिलाई की भाषा....
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

देरुदेव,
महा भड़ासिन और नव भड़ासिन को साथ देखा कर नए आवाज की आगाज का श्री गणेश लगता है, कोहराम मचना तो तय है, दीनबंधु भाई, ये शिक्षिका उनकी श्रेणी में आतीं हैं जो सिक्षा का ज्ञान किस तरीके से देना है के सारे महारथ जानती हैं, टाँके और सिलाई इनके इन्ही हथियारों में से एक है.
जय जय भड़ास

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