लंठ लंठई और लंठाधिराज
मंगलवार, 23 दिसंबर 2008
पुरानी कहावत है दोस्तों - लंठ न छोडे लंठई , कोटिक मिले अलंठ । इसका सीधा सा तात्पर्य है की लंठ अपनी लंठई कभी नही छोड़ता, भले ही उसे सही लोग मिले। ये फार्मूला इस समय भारत , पाकिस्तान और अमेरिका पर लागु किया जाए तो नज़ारा कुछ इस तरह का बनता है। सबसे बड़ा लानत कौन ? हमारी सरकार। लंठई कौन कर रहा है? पाकिस्तान सरकार । सबसे बड़ा लंठाधिराज कौन ? अरे वही जूते खाने वाला अमेरिका। अब आप ही देखिये कुछ पाकिस्तानी सरफिरों की बाबत मुंबई में आतंकियों ने खून बहाया। एक जिन्दा एविडेंस भी हमारे पास है जो बार-बार जोरदार तरीके से अपने पाकिस्तानी होने का सबूत दे रहा है। हमारी सरकार इतनी लंठ हो गई है की सरे सुबूत लेकर पाकिस्तान की बजाये वॉशिंगटन जा रही है। पाकिस्तान सरकार तो नाडा खोलकर लंठई करने पर उतारू है और हो भी क्यों न उसे पता है की लंठों से कैसे निबटा जाता है। क्योंकि वह ख़ुद सबसे बड़ी लंठई करता रहा है। अब देखिये लंठाधिराज क्या कर रहे हैं ? जैसे ही इनको पता चला की एक लंठ ने घोर लंठई कर डाली तो तुंरत इसने लंठ्रानी राइस को लंठ नगरी का दौरा करने भेज दिया। गुमगिन माहौल में भी लंठ्रानी का अभूत पूर्व स्वागत किया गया। लंठारानी काली बिल्ली म्याऊ- म्याऊ करके वापस चली गई। बोल गई की बहुत हो गई लंठई अब सुधर जाओ। लेकिन साहेब लंठ जो ठहरा वह कब सुधारने लगा ! लगा लंठई पर लंठई करने अभी भी लंठई अनवरत जरी है... हमारी लंठ सरकार लंठ तो थी ही अब लगता है की लकवा भी मार गया है। इसीलिए तो बयां पे बयां दिए जा रहे है। पाकिस्तान की लंठई तो जग जाहिर है, लेकिन हमारी लंठई अभी शुरू हुई है , देखिये अंतुले को जबर्जुस्त लंठई कर गया। अब बयां से भी मुकर गया है , ये हुई न लंठो वाली बात......लेकिन भईये सरकार जी से येही बिनती है की अपनी लंठई से जनता को चुत्तिया मत बनाओ। बयानबाजी वाली लंठई छोडो और पाकिस्तान से राज्नायिनिक सम्बन्ध ख़त्म करो। रेल, हवाई और सड़क मार्ग बंद करो। व्यापर, कारोबार बंद करो। तब कही जाकर पाकिस्तान की लंठई कुछ कम की जा सकती है॥ फर्जी में युद्ध का माहौल बनाकर जो लंठई की जा रही है उससे लंठाधिराज तो खुश हो सकता है। लेकिन इस देश की आम जनता नही। जब तक लंठाधिराज से चिपके रहोगे तब तक बस लंठई होगी और कुछ नही.....
जय भड़ास जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
मनोज जी आपने वाकई बहुत गहरे रोष को व्यक्त करा है, हम सब अगर इसी तरह से लेखन को प्रखर करे रहे तो शायद अधिकारियों और मंत्रियों पर दबाव बन सकेगा।
जय जय भड़ास
bahaut umda likha hai aapne..jaari rakhe!!!
यार मुझे लंठ शब्द का अर्थ नही मालुम लेकिन सुनने में बड़ा सुन्दर लग रहा है और बोलने में तो मजा आ रहा है... लंठ..लंठ...लंठ...लंठ..:)
जय जय भड़ास
जय लंठ महाराज की,
पेले रहिये.
जय जय भड़ास
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