डाक्टर रुपेश श्रीवास्तव का पुनर्जन्म.........
शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008
डाक्टर रुपेश श्रीवास्तव पेशे से क्या हैं इन्हें भी नही मालूम, डाक्टरी पढ़ ली और बन गए डाक्टर। ब्लॉग में आए और भड़ास भड़ास कर के लगे कुहराम मचाने। डाक्टरी का धंधा न किया क्यूंकी बाजारू बनना इन्हे पसंद नही और लोगों के बारे में फटाफट सिर्फ़ राय नही रखना अपितु उसके लिए पंगे भी लेना इनका पहला और आखिरी शौक भी है। आयुषवेद ब्लॉग के संचालक और लैंगिक विकलांग (किन्नड़ या हिजडे) के ब्लॉग अर्धसत्य के लेखक महा भडासी हैं, और भड़ास ब्लॉग के मोडरेटर, प्रधान मोडरेटर, और संरक्षक रह चुके हैं।
पिछले दिनों भड़ास पर इनकी मृत्यु हो गयी थी तब से ये महोदय ब्लॉग संसार से गायब थे, और इनका गायब होना कई लोगों को साल रहा था की भैये हमारे रुपेश कहाँ गए, कई लोगों को तो रुपेश के मरने से चड्ढी तक परसंकट लग रहा था क्यूंकि ये चड्ढी उतरने में भी महारथ रखते थे। भड़ास पर असमय कालकलवित हो रहे लोगों की लिस्ट देख कर पशोपेश में तो मैं भी था की मेरी मृत्यु भी असमय ही ना हो जाए। मगर अब इसका डर नही।
मैं पुनर्जन्म में विश्वास नही रखता था मगर हमारे डाक्टर साहब कहते थे की वो मर कर भी भड़ास भड़ास करते रहेंगे और उनका कहना सच साबित हुआ, मौत के बाद भी भुत ने अपने होने का एहसास कराया मगर भड़ास का जूनून और नशा क्या ऐसा हो सकता है की मृत आत्मा सिर्फ़ भड़ास के लिए फ़िर से जन्म ले ?
तो मित्रों आपके इन्तजार का पल ख़तम हो गया और भूत ने पुनर्जन्म लिया है, आप सदैव रुपेश जी के आक्रामक अंदाज और चुटकीले भड़ास से यहाँ रु ब रु होते रहेंगे। बस आपको भड़ास के यु आर एल में थोडी सी तबदीली करनी होगी और (http://bharhaas.blogspot.com/) ये लिखना होगा।
हम तो बस जय भड़ास, जय जय भड़ास का घोष करते हैं।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
मने पहले hi चड्डी खोल लोहे कि लंगोट पहन ली है गुरुदेव आगये
कुमार संभव जी मत डरिये, जो वैचारिक और बौद्धिक षंढत्व का ढोल पीटते हैं उन्हें अपनी चड्ढी खतरे में प्रतीत होती है आप तो चाहें वैसे विचरण करिये इस भड़ास के वन्य-पेज पर जैसे शेर चीते बिना चड्ढी के घूमते हैं। भड़ास का रचनात्मक दर्शन बहुत भावुक और सबल है इसे चूतिया चिरकुट लोग न तो निभा सकते हैं न ही आत्मसात कर सकते हैं
जय जय भड़ास
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