जो मासूमों को मारता है वह न हिंदू न मुसलमान.....
सोमवार, 19 जनवरी 2009
सफलता का मंत्र देने वाले भाईसाहब संभव हो कि आपको ये मेरा लीचड़पन जान पड़े,हो सकता है कि आपको लगे कि मुस्लिमों के बारे में लिखने से मेरी भी फटती है किन्तु आपकी धारणा की परवाह करे बिना बताउंगा कि भड़ास धूल झाड़ने का मंच है यहां फट्टू लोगों की भीड़ की आवश्यकता नहीं है सो तुष्टिकरण वगैरह जैसे टोटकों से दूर हैं हम सब। आपसे एक भड़ासाना निवेदन है कि आतंकवादी सिर्फ़ आतंकी होता है क्योंकि दाढ़ी रखने या टोपी लगा लेने से कोई मुस्लिम नहीं बन जाता जैसे चोटी रखने और तिलक लगाने से कोई हिन्दू नहीं बन जाता। भड़ास का मंच बुरों के लिये महाबुरा और अच्छों के लिये प्रेम से भरा है। जो भी मासूमों और निर्दोषों का खून बहाता है वह चाहे किसी भी जाति धर्म या ओहदे का हो हम उसको सिर्फ़ गाली देने में यकीन नहीं रखते बल्कि उसको उसकी हरकत के लिये कड़ी सजा में विश्वास रखते हैं। मुस्लिम होना आस्था की बात है कि आप एकेश्वरवाद को मानें और ये मानें कि हजरत मोहम्मद साहब ईश्वर के प्रिय संदेश वाहक हैं तो इसके लिये मुस्लिम के साथ कोष्ठक में आतंकवादी लिखना उचित नहीं है, जो भोसड़ी वाला(गाली ऐसे दी जाती है ...... या ----- लगा कर आधी गाली देने से भड़ास नहीं निकल पाती) मासूमों को मारता है चाहे उसका मकसद कुछ भी हो वह किसी भी धर्म का नहीं होता तो उस फटैल को आप हिंदू या मुसलमान कैसे लिख सकते हैं। जिसकी गांड में इतना दम नहीं है कि उन लोगों से सीधे जाकर अपनी बात कह सके जो उसको आतंक का रास्ता अपनाने को बाध्य करते हैं मेरी नजर में वह धार्मिक नहीं हो सकता। मैं खुलेआम आज इस मंच से लिख रहा हूं कि यदि किसी की जायज़ और नैतिक मांग व हक़ की बात सामान्य वाद से और संवैधानिक प्रयासों से बात नहीं सफल नहीं होती तब आतंकवाद का अंतिम विकल्प सर्वथा उचित है, कुछ अर्थों में भड़ासी भी इस मार्ग को अंततः अपनाने हैं जब कोई विकल्प शेष नहीं रहता। आपने सकुचाते हुए मकबूल फिदा हुसैन के बारे में लिखा है कि वह देवी-देवताओं के गंदे चित्र बनाता है तो वह दंड का पात्र है। मान्यवर जरा शिवपुराण से लेकर लिंगपुराण तक उठाइये आपकी श्लील और अश्लील की परिभाषा निर्धारित करिये। अगर हम अपने देवी-देवताओं की कार्टून फिल्में बनाएं तो मनोरंजन हो जाता है कोई दूसरा बना दे तो हम धर्म रक्षक की ड्यूटी बिना पगार लिये करने लगते हैं। बस करें बहुत हो गया ये धर्म के नाम पर हिंदू और मुसलमान का चूतियापा। न तो हिंदू एक हैं न मुसलमान, हिंदू आपस में ब्राह्मण-चमार,ठाकुर-बनिया करके एक दूसरे की मार रहे हैं और मुसलमानों में तो बहत्तर फिरके हैं जो आपस में जूझ रहे हैं। अरे मेरे भाई एक ही प्राणी बनाया कुदरत/ईश्वर ने और वो है "होमो सेपियन्स" यानि कि मानव तो बस यही बने रहकर सभ्यता का विकास करने का प्रयास करे चलो। जो भी अब भड़ास को मुख्य समस्याओं से हटाने का प्रयास करेगा उसे जमकर पेला जाएगा..... है न गुरू!!!
जय जय भड़ास
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