डा.रूपेश के नए बच्चे करेंगे पुराने सवाल
शुक्रवार, 9 जनवरी 2009
मनीषा दीदी की नयी पोस्ट जो उन्होंने अर्धसत्य पर लिखी आप सबकी नज़र कर रही हूं......
क्या सारी समस्याएं समाप्त हो गयी हैं? हरगिज नहीं...लेकिन अब वो समस्याएं हमें अब हमारी एकजुटता और प्यार के आगे बौनी नजर आने लगी हैं। कुछ समय पहले तक राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेन्स जैसी चीजें लगता था कि हमारे अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए ये बहुत जरूरी हैं लेकिन अब से डा.रूपेश जैसे भाई का साथ और बाबूजी(श्री जे.सी.फिलिप) का मार्गदर्शन हमें ये बता रहा है कि हम जल्द ही एक स्वीकार्य पहचान के साथ समाज में समान संवैधानिक अधिकारों के साथ खड़े होंगे। डा.रूपेश ने सभी लैंगिक विकलांग बच्चों को पिता की हैसियत से अपना नाम देकर सभी बच्चों के भीतर एक नई आत्मा फूंक दी है, सारे बच्चे अलग-अलग की बोर्ड लेकर दिन में अक्सर मांग कर आने के बाद अभ्यास करते मिलते हैं; जल्द ही सारे सरकारी विभागों में इन बच्चों के द्वारा भेजी गई एप्लीकेशन्स दिखेंगी......। सूचना प्राप्ति के अधिकार का प्रयोग करते हुए सरकार से जाना जाएगा कि हमारे जैसे लैंगिक विकलांगों के लिए क्या सरकार ने कुछ विचार करा है अथवा नहीं? हमारी कानूनी स्थिति के क्या संदर्भ है? हमारी नागरिकता की पुष्टि कैसे करी जाती है? जो लैंगिक विकलांग चुनाव में अपना नामांकन भरते हैं या जो वोट देते हैं वो किस परिचय से ऐसा कर पाते हैं? इत्यादि...इत्यादि...।
3 टिप्पणियाँ:
इसे कहते हैं नए युग का सूत्रपात.... सब ही बच्चे बहुत उत्साही और गजब के ऊर्जावान हैं खास तौर पर मेरी बच्ची दिव्या रूपेश की तो बात ही निराली है...
जय जय भड़ास
जब मैं कभी-कभी अपनी फौज के साथ किसी आफिस में पहुंच जाती हूं तो बाबुओं से लेकर अधिकारी तक बगलें झांकते-खुसुर-फुसुर करते नजर आते हैं, सब की हवा तंग है भड़ासी भाई लोग...
जय जय भड़ास
आपा,
हमारे बच्चों में ये जागरूकता मनीषा दीदी और डाक्टर रुपेश के कारण है, इन्होने जो दीया जलाया है उसे ये बच्चे मशाल का रूप दे चुके हैं और आने वाले दिनों में ये शोलों में तब्दील होने वाली हैं.
आमीन
जय जय भड़ास
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