svabभाव मे sudधार
सोमवार, 12 जनवरी 2009
मनुष्य शरीर स्वभाव को सुघारने के लिये मिला है,हम पशु पन्छी पेड़ लता आदि को समझा नही सकते कि तुम ऎसा करो और ऎसा मत करो बिधि निशेध केवल मानुस के लिये है अब प्रश्न है कि स्वभाव मे बिगाड़ क्या हुआ है१ क्या अशुधिय है तो इसका उत्तर है कि जैसे विजातीय वस्तु लगने से कपड़ा मैला हो जाता है ऎसे ही मनुश्य के विजातीय द्रव्य लगा है अब प्रश्न उठ्ता है कि विजातीय द्रव्य क्या है१ तो इसका उत्तर है कि यह जीवात्मा स्वय तो है परमात्मा का अन्श, यह है नित्य एवम अविनाशी परन्तु इसने विनाशी एवम अनित्य वस्तुओ से सम्बन्ध जोड़ लिया है उनको महत्व दिया उनका सहारा लिया वही इसके मैल लगा इसके कारन अशुद्दि आई, अब इसअशुध्यि को कैसे दूर किया जाय तो इसका सरल उपाय है कि यदि नया मैल न लगावे तो पुराना मैल छुट जायेगा क्योकि यह स्वयम तो नित्य और मैल है अनित्य,अनित्य नस्ट होता ही है और नित्य सदा रहता ही है
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