प्रेम तेरे रूप अनेक !!!!
शनिवार, 7 फ़रवरी 2009
प्रेम नाम है विश्वास का, भरोसा और आस्था के साथ कदम से कदम मिला कर चलने का, जिसमे साथी के शारीरिक सुन्दरता या गैर सुन्दरता, सम्पूर्णता या विकलांगता कोई मायने नही रखता। साथ चलने और कंधे से कंधा मिला कर जीवन को संग बिताने के साथ एक दुसरे को ना कम ना ज्यादा बस प्रेम, शायद ये ही प्यार है।मैं प्यार को विस्तृत नही कर सकता, इतनी अकाल नही है मेरी मगर इन तस्वीरों से अविभूत हुए बिना नही रह सका सो बस आपके सामने प्रेम के विभिन्न रूपों में से एक रूप ये भी.....एक परिवार प्यार से मालामाल, मुस्कुराते चेहरे से कमी का कोई आभास नही।शारीरक विकलांगता मातृत्व में बाधक नही, जिम्मेदारी सहयोग साथ साथ।
5 टिप्पणियाँ:
Mind fresh ho gaya bhaisaheb. duniya aise logo ke dum par hi kayam hai. apke prayas ke liye dhanyabad....
रजनीश भाई मुझे पूरा यकीन है कि प्रेम शारीरिक विकलांगता क्या बल्कि शारीरिक उपस्थिति का भी मोहताज नहीं है। इस पोस्ट के लिये साधुवाद...
जय जय भड़ास
मन मे हजारो सवाल उठा दिए भाई आपने /
क्या हम जिस प्रेम की बात करते है वो कही भी इस समर्पण के आगे टिकता है /
मेरा सलाम एसे आपसी प्यार और समर्पण के लिए
दिल प्रसन्न हो गया और मन पर तमाम जो आग्रह शरीर और प्रेम को लेकर छाए थे इस पोस्ट को देख कर निवारण हो गये। आपको दिल से शुक्रिया....
जय जय भड़ास
बड़े भाई,
रिश्तों की इस शानदार अभिव्यक्ती के लिए तेरे कु भौत भौत शुक्रिया.
स्स्स्साला इस टुच्चे के ज़माने में वीरू रिश्ते की अहमियत ही ख़तम हो रेली है.
बढ़िया दिखाया भाई.
जय जय भड़ास
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