मैं यशवंत दादा को जानता हूं भले ही वे कुटिल और मक्कार हैं लेकिन...........
शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009
अग्नि बेटा! जहां तक निजी तौर पर मैं यशवंत दादा को जानता हूं भले ही वे कुटिल और मक्कार हैं लेकिन चरित्र के मामले में अच्छे से लगते हैं लेकिन क्या सत्य है वो तो ईश्वर ही जाने और वह लड़की जिसने इन पर आरोप लगाया था। मैं इस प्रकरण में इनके पक्ष में इसलिये हूं क्योंकि उस लड़की को तो न देखा है न ही जानता हूं बहुत संभव है कि उस लड़की ने झूठा आरोप लगाया हो पर यह भी संभव है कि गलती हुई हो इंसान ही तो हैं,ये गलती तो हमारे देवताओं तक से हुई है जैसे कि मैंने एक जगह पढ़ा था कि जगत निर्माता ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के पीछे कामासक्त होकर भागे थे। बेनामी कमेंट्स के द्वारा हमें लगातार गालियां दी जा रही हैं और कहा जा रहा है कि भड़ास ने आखिरी तीर चला दिया हैपता नहीं क्यों वे बेनामी कमेंट्स दे रहे हैं जबकि मैंने तो उनकी पंखों वाली भड़ास पर "मंथन"शीर्षक की पोस्ट में अपने नाम से कमेंट करा था जो कि उन्होंने अस्वीकार कर दिया क्योंकि आप जानते हैं कि पोस्ट में तो तकनीकी तौर पर एडिटिंग करी जा सकती है लेकिन टिप्पणी में हरगिज नहीं उसे बस या तो माडरेटर प्रकाशित करे या अस्वीकार करे सो उनमें इतना साहस नहीं था कि प्रकाशित करते तो हटा दी होगी। जबकि खुद अपनी टिप्पणी प्रकाशित कर रखी है जिसमें लिखा है कि अब वो उस पोस्ट में दी हुई सलाह पर विचार करेंगे। बेनामी कमेंट्स हम भड़ास पर अस्वीकार कर देते हैं चाहे पक्ष में हों या विपक्ष में क्योंकि भड़ास पर लीचड़ और मुंहचोर लोगों का हम स्वागत नहीं करते। इसलिये निवेदन हैं कि यदि आप टिप्पणी करने वाले अपनी पहचान के साथ नहीं लिख सकते तो बस पोस्ट को पढ़ ही लें प्रतिक्रिया न भेजें। कल भाई संजय सेन का सागर से मुझे बड़ा हड़बड़ाया हुआ स्वर लिये फोन आया कि भाईसाहब ये यशवंत जी ने क्या कर दिया...??? मैंने पूछा कि क्या हो गया???? मन में आशंकाएं आने लगीं....... लेकिन संजय सेन जी ने तत्काल बताया कि मोहल्ला पर एक पोस्ट आयी है कि यशवंत जी ने ब्लात्कार करा है, मैंने उन्हें बताया कि भाई ये घटना तो पिछले वर्ष के मई की शायद २५ तारीख की है आपको आज कैसे दिख रही है वो पलट कर बोले हो सकता है कि क्या दोबारा बलात्कार कर डाला...,इस बात पर मैंने उन्हें जोर देकर कहा कि आप उस पोस्ट की तारीख देखिये वह पुरानी पोस्ट होगी मैं मोहल्ला पर जाता नहीं क्योंकि मैं खुद जब भड़ास के उस मंच पर था तो उसे "कमाठीपुरा" कह चुका हूं तो अब उस मोहल्ले में दस्तक नहीं दूंगा आप कन्फ़र्म करिये तब मुझे कहें थोड़ी देर में उनका उत्साह और सनसनी शान्त हो गयी और बुझे से स्वर में बोले कि हां ये पुरानी पोस्ट है। मैंने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि भाई मैं मात्र सैद्धांतिक तौर पर उनका विरोधी हूं हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है कि मैं इस तरह के सस्ते दुष्प्रचार में सहभागी बन जाऊं। मेहरबानी करके इस सैद्धांतिक विरोध को निजी लड़ाई का रूप देने की परिस्थितियों व तत्त्वों से बचिये वरना भड़ासियों और बेनामी कमेंट करके हमें गालियां देने वालों में क्या अंतर होगा। किंतु एक बात से इंकार नहीं कर सकता कि जिस तरह उन्होंने उस मंच से हम भड़ासियों की सदस्यता एक के बाद एक समाप्त करी थीं उसके चलते भड़ासियों में स्थायी आक्रोश है जिस पर मैं बस उन्हें गुस्सा थूक देने के लिये कह रहा हूं भले ही यह थूकना यशवंत दादा के मुंह पर ही हो...बाद में हम ही अपने रुमाल से उनका मुंह पोंछ लेंगे उनमें सुधार आने पर...............................
जय जय भड़ास
6 टिप्पणियाँ:
भाई डा.साहब, आप क्यों उम्मीद रखते हैं कि ये गंदा आदमी सुधर जाएगा? आपने देखा है कि ये किस तरह बेनामी कमेंट्स लिख कर गंदी गालियां दे रहा है और ऊपर से शराफ़त का नाटक रचाए हुए है। जिस दिन ये दिल्ली में रिक्शा चलाने लगेगा तब भकुआना सीख जाएगा अपने आप ही...
जय जय भड़ास
अब एक दो दिन इस मुद्दे को विराम दीजिये ताकि उसे अपनी सहलाने का मौका मिले और उसके हिमायतियों को भी असलियत पता चलने के बाद प्रतिक्रिया करने और विचार करने का समय मिले तब तक अन्य जरूरी बातों पर भड़ास निकालते हैं फिर इसे रगेदेंगे क्योंकि इसने बेनामी कमेंट में डा.रूपेश और रजनीश सर को धमकी दी है।
जय जय भड़ास
Guruji! ek kahawat hai.
WHEN CHARACTER IS GONE
EVERYTHING IS GONE...
to janab ke pas bacha hi kya hai?
chhod dijiye ise apne hal par..
गुरुदेव,
आप जानते हैं या नही ये आपकी राय है, मगर सबकी नही हो सकती है. इसके व्यक्तिगत चरित्र सी आप भी परिचित हैं, लोगों के बारे में इसकी राय आपसे छुपा नही है फ़िर भी हम आपके विचार नही बदलेंगे क्यूंकि ये आपके निजी है.
जहाँ तक यशवंत की बात है, तो उसके चरित्र और शब्द हमारे पार उसके कमेन्ट उस से हुई बातें बहुत कुछ मेरे पास मौजूद है जो सारी सफेदी को साफ़ करने के लिए काफ़ी है.
मैं अग्नि से सहमत हूँ, उस समय हमने भड़ास का साथ दिया था, आज भी हम भड़ास के साथ हैं. बस पहचान में हमने चुक की जिसका खामियाजा हमें ही भुगतना होगा. मगर हमारे सम्मान, स्वाभिमान और हमारे विचार का व्यवसाय करने का खामियाजा यशवंत को चुकाना ही होगा.
जय जय भड़ास
रुपेश जी मैं अच्छी तरह से जानता था की मैं जो बात आपसे फ़ोन पर कर रहा हूँ! आप उसकी कल पोस्ट जरुर बना देंगे!! मुझे खुसी है की आप मेरी आशाओं पर खरे उतरे!
कम से कम इतने दिनों में आपको तो समझ गया !! आपके हुनर की तारीफ करनी पड़ेगी जो गोबर को भी मेहंदी में मिलाकर लगा जाता है,मजा आया !!
जय जय भड़ास............
@ संजय सेन जी अच्छा लगता है कि आप भी सामने आ ही गये। गोबर,मेंहदी और गू में तो हम अंतर जानते हैं लेकिन जिस तरह से आपने फोन करके मुझसे ये कहलवाना चाहा था कि यशवंत एक चरित्रहीन व्यक्ति हैं भले ही वो मुझे बेनामी कमेंट्स से मां-बहन की गालियां दें.... जो कि मैं कह नहीं सकता क्योंकि मैं अब तक इस हद तक मजबूत हूं कि उनकी तरह लीचड़ और बेनामी कमेंट न दूं और आपकी तरह फोन पर अलग चेहरा और ब्लाग पर अलग चेहरा न रखूं यदि मैंने आपसे हुई वार्ता में कुछ झूठ लिखा हो तो अवश्य बतायें सारे पाठकों को मेरे पास आपके फोन का टेप है अगर आप कहेंगे तो पाडकास्ट बना कर डाल दूंगा ताकि सब सुन सकें हमारी बाते...।फिर आप तो उसी जमात में थे हमें भी ये आपके ब्लाग को देख कर ही पता चला कि आपने पंखों वाली भड़ास का लिंक लगा रखा है। हमें कोई परेशानी नहीं है आपका भी मुखौटा नोचना हमारी मुहिम में शामिल कर लेंगे,ठीक है न अगर आप भी उसी सोच से सहमति रखते हैं तो? आपने अच्छा करा कि स्वयं ही भड़ास से अपनी सदस्यता समाप्त कर दी वरना मुझे खुद आपका मुखौटा सारे पाठकों के सामने नोचना पड़ता। गोबर आपने करा था तो ये मिश्रण हमारी सोच की मेंहदी में लगाने लायक न रह गया अब हाथ पर तो ये विचार रच नहीं सकता इसलिये यहां लीप दिया,आशा है कि आपका मजा कायम रह पायेगा...... जारी रखियेगा...शुरूआत आपने करी है
जय जय भड़ास
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