योग एवं आयुर्वेद मात्र मदारियों और गंवारों की पद्धतियां नहीं हैं : E.T.G. तकनीक

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

आयुर्वेद एवं योग के जानकारी रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने "इलैक्ट्रोत्रिदोषग्राम" के अविष्कार पर सुखद आश्वर्य व्यक्त करा है। यह एक क्रांतिकारी खोज है जो कि शरीर में कफ़-पित्त-वात की स्थिति बताने के साथ ही कफ़-पित्त-वात के जो पांच-पांच भेद हैं उन्हें भी बताती है कि देह में ये कितने प्रतिशत मौजूद हैं, मल,मूत्र,स्वेद(पसीना),वीर्य,मांस,अस्थि आदि की उपस्थिति की बाकायदा कंप्यूटराइज्ड जानकारी लगभग बीस पन्नों पर छाप कर उपलब्ध कराने की बात इस जादुई यंत्र का चमत्कार है। यदि किसी योग या आयुर्वेद के अभ्यासी को यह मशीन जानकारियां देती रहे कि देह में सप्त धातुओं,मल व दोष किस स्थिति में हैं तो योग एवं आयुर्वेद को मात्र मदारियों और गंवारों की पद्धतियां कह कर मजाक बनाने वालों के मुंह पर ताला लग जाएगा। लीजिये आप सुधीपाठक भी इस चमत्कारिक यंत्र के आविष्कारक डा.देशबंधु बाजपेयी जी बयानी इसे चरणबद्ध क्रम में पढिये ताकि पता चल सके कि कौन हैं वो पाखंडी और मुखौटाधारी माफ़िया जो कि इस यंत्र की तकनीक को आम आदमी तक लाने में कहीं न कहीं अवरोध बने हुए हैं.......
विकास का प्रथम चरण
विकास का द्वितीय चरण
विकास का तीसरा चरण
विकास का चतुर्थ चरण
विकास का पांचवां चरण
विकास का छठवां चरण
अब तक जो कुछ भी डा.बाजपेयी ने लिखा है इस विकास के क्रम में वह आपके सामने प्रस्तुत है।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

डाक्टर साहब,
घर की मुर्गी दाल तो होती है, मगर अगर घर में ही दाल के भी दलाल पैदा हो जाएँ तो क्या करें?
भाई वाजपेयी के प्रयास को सफलता मिले और हमारा भड़ास परिवार अपनी संपदा को अक्षुनन रखे की शुभकामना के साथ.
जय जय भड़ास

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