यशवंत की क्षद्मता और तानाशाही जारी, भड़ास से लोगों को बाहर निकलने का सिलसिला जारी।
रविवार, 15 फ़रवरी 2009
विचार की आजादी और उल्टियों को आत्मसात करने की हिम्मत ने ही भड़ास को एक विचार वाला मंच बनाया था। आम लोगों से सरोकार और हमेशा से सिर्फ़ आमजन का हिमायती भड़ास और उसकी आत्मा को यशवंत ने बलात्कार कर ब्लॉग जगत को घिनोना बना दिया है।
अपने गोरे चहरे के पीछे छीपी कालिख से ब्लॉग जगत को कला कर दिया, साबित कर दिया की यशवंत अपनी दूकान चलने के लिए किसी की भी दलाली कर सकता है।
पहले पत्रकारिता की दलाली, जागरण ने जूता मार कर बाहर निकाला........
लाइव एम् को बाजार में बेचने की कोशिश और रंजन जी से यहाँ भी लात खाया........
अपनी कुटिल बुद्धि और शातिर दिमाग की भोलेपन और गवई का स्वांग भर कर लोगों की संवेदना पर भीबाजार खड़ा कर लिया।
भाई लोगों ये अपुन नही कह रिया है बल्की ये जमीनी हकीकत है इस बहुरूपिये की। हरे दादा, पंडित नीरव, मनीष राज, मनीषा दीदी, मुनव्वर आपा, डाक्टर भैया, रजनीश भाई और ना जाने कितने के बाद अबकी बारी आयी कनिष्का की, इन सभी के विचारों के बूते एक मंच तैयार हुआ जिसका नम था भड़ास। यशवंत ने इन सभी को अपनी लालागिरी पर शहीद कर अपनी दूकानदारी चला ली और जिस पत्रकारिता से लात मार कर बाहर किया गया वो बन बैठा उसका दलाल।
कहने को यहाँ पर लेखकों के लेखन की जिमेदारी लेखक की होती है, मगर इस बहुरूपिये ने किसी भी लेखक को भड़ास से हटाने के बाद उसके पोस्ट नही हटाये। (चेतो भडासी तुम्हारा लेखनी भी इसकी दलाली की भेंट चढेगा) । ब्लॉग को करीब से जानने वाले जानते हैं की भड़ास का मतलब क्या है और भड़ास की आत्मा क्या है और आज यशवंत क्या कह कर अपना मुखौटा बदलने की कोशिश कर रहा है ( बगल के पोल वाले जगह पर पढने पर शायद यशवंत को गालियों का आभास ना हो क्यूँकी बकचोदी गाली नही होती है।)
जिसने व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप के लिए कनिष्का जी से सफाई दे रहा है वहीँ उसी पोस्ट पर व्यक्तिगत आरोप की टीप्पणी इस बहुरूपिये दलाल का पोल खोल रही है। अविनाश जी की बीवी तक को जिसने अपने व्यक्तिगत लदी में घसीटा था वोह आज शरीफ बन रहा है। बलात्कार का आरोपी आज शरीफ बन रहा है। बिल्ली आज कह रही है की मैं चूहे नही खाता !!!
वाह वाह रे यशवंत।
बेचो लोगों की भावना !!!!
बेचो लोगों की संवेदना !!!!
बेचो भड़ास की आत्मा !!!!
2 टिप्पणियाँ:
अग्नि बेटा आपको ये नहीं पता कि इस कुबुद्धि ने हमारे भड़ास को पुनर्जन्म दे देने की बौखलाहट में कितने सारे नकली लोगों को पंखो वाली मुर्दा भड़ास से चिपका दिया ताकि दुनिया में सबसे बड़ा होने की उपलब्धि लोगों के आगे जो इसने हम सबकी ताकत से हासिल करी थी कायम रख सके उसी भ्रम में नये बच्चे पंखे बनते जाते हैं। इसे तो ये तक नहीं पता कि कनिष्का लड़का है या लड़की और क्या करता है इसे तो बस अपनी तानाशाही कायम रखनी है तो बस हटा दिया बिना किसी लोकतांत्रिक सलाह मशविरे के और गालियों को अब अपने लोमड़्पन के कारण दिमाग का जाहिलपन बता रहा है बनिया साधु बनने का ढोंग कर रहा है और हमें बेनामी गालियां लिखता है खबीस कहीं का...
अब भड़ास निकालने से पहले भड़ासियों को इस चूतिये से सहमति लेनी होगी कि उल्टी करें या नहीं...
जय जय भड़ास
अग्नी जी,
आपका बाण तो सच में बड़ा ही नुकीला और पैना है, वैसे आपने सौ फीसदी सच लिखा है, कहने को कमुनिटी ब्लॉग, उलटी करने का न्योता भी, उलटी की जवाबदेही उलटी करने वालों पर मगर सम्पादकीय का दायित्व इस बहुरूपिये का.
जरा इसकी शैतानी तो देखिये लोगों को हटा देता है, ना ही लेखनी की जिम्मेदारी लेता हो और ना ही उसे अपने ब्लॉग से हटा देता है.
हम तो कनिष्का का स्वागत करेंगे अगर वो भड़ास से जुड़े.
ऐसे ही फाड़े रहो इस दल्ले को.
जय जय भड़ास
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