किसी और की लिखी शायरी न जाने क्यो मुझे लग गई

गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009


मेरी किस्मत मे गम गर इतने थे ,
दिल भी या रब कई दिए होते !!!

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dard batane say ab darr lagta hai ,
mere gamo ka usnane falsafa bana diya

1 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

अरे मेरा भाई तो इतनी गम्भीर शायरी भी चुरा लाता है मजाक मजाक में कि हंसी नहीं आ रही...
अमित भाई ऐसा सामान मत चुराया करिये जो आपके मुस्कराते होंठो पर गम्भीरता का पेंट लगा दे
जय जय भड़ास

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