बहुरुपिया ब्लोगर संजय सेन सागर!

शनिवार, 14 फ़रवरी 2009


हम पत्रकारों में हमेशा एक स्वस्थ बहस होती है। छपास रोग को लेकर, क्यूंकि हम ऐसे महानुभावों से मिलते रहते हैं जिन्हें ये बीमारी लगी है। किसी भी तरीके से वे छापना चाहते हैं। लेकिन भाईसाहेब ब्लोगरों का ऐसी बीमारी का होना दुःख की बात है। ब्लोगर तो अपना ब्लॉग बनाकर कुछ भी लिख सकते हैं, ख़ुद को छाप सकते हैं। फिर उन्हें कई ब्लॉग बनाने की क्या जरुरत आन पड़ी। आप ये प्रश्न हिंदुस्तान का दर्द के ब्लोगर संजय सेन सागर उपनाम बहुरुपिया ब्लोगर से पूछ सकते हैं। फर्जी फोटो और फर्जी नाम से ये एक ही व्यक्ति कई ब्लोगर बना हुआ है। ख़ुद लिखता है और ख़ुद ही कमेन्ट देता है। जनाब एक पोस्ट डालेंगे तो तुंरत ही २-३ छद्म कमेन्ट भी दल देंगे। शुरुआत में इसने सेक्स बेचने की कोशिश की थी। एक छद्म नाम से ब्लॉग बनाया जिसपर नंगी तस्वीरों और अगम्यगाम्य कहानिया थी। हिंदुस्तान का दर्द पर ये उस नाम से कमेन्ट देता था और लोग जब ब्लोगर का प्रोफाइल खोलते तो गन्दी तस्वीरों वाला ब्लॉग खुल जाता। ये प्रयोग ज्यादा सफल नही हुआ, लेकिन बन्दे ने हार नही मानी और छद्म नाम से ब्लोगर बनता रहा। फिर हिंदुस्तान का दर्द ब्लॉग को फेमस करने के लिए इसने फर्जी इनामी प्रतियोगिता करायी। कुछ लोग झांसे में आए जरुर लेकिन परिणाम घोषित होने के बाद कुछ पत्रकार टाइप लोगों की खोपडी घूम गई। कहा गया है सच्चाई छुप नही सकती बनावट के वसूलों से और खुसबू आ नही सकती है कागज के फूलों से। सो इनका भी भांडा फूटना ही था, फ़ुट गया! देखिये मेरा ये मानना है की अपने को बुद्धिमान समझना सबसे बड़ी बुद्धिमानी हो सकती है लेकिन औरों को निहायत मुर्ख समझना संसार की सबसे बड़ी बेवकूफी होती है। और येही बेवकूफी संजय सेन सागर ने कर दी है। सभी पाठकों और ब्लोगर बंधुओं से अनुरोध है की ऐसे लोगो का क्या किया जाना चाहिए। इसपर अपने विचार जरुर दे।

3 टिप्पणियाँ:

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

मनोज भाई बस एक ही विचार है कि अबकी बार इस आदमी ने गलत आदमी से पंगा ले लिया है जो इसे नंगा करके रख देगा
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

मनोज भाई,
आप ने सही कहा और आपकी साड़ी बैटन से इसकी सचाई का पता चलता है, वैसे भी निकम्मे नालायक बेकार और दलालों के लिए ब्लॉग एक धंधा ही बन गया है. यशवंत का भड़ास कई फर्जी ब्लोगरों से अपने दावे तो करता ही है इसी कड़ी में संजय सेन सागर का पाँच हजार का तुक्का और महिला के नागेपन का उपयोग.
बस इसकी नंगई उजागर करना है.
जय जय भड़ास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

ऐसे ही लोगों के लिये भाई जे.पी.नारायण के स्वर्गीय ब्लाग "बेहया" पर उन्होंने लिखा था
राम-नाम सुंदर करतारी। छापो-छापो नंगी नारी
जय जय भड़ास

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