सबसे घटिया कुरियर सर्विस -प्रोफ़ेशनल कुरियर

सोमवार, 23 मार्च 2009

दिनांक 4/3/09 को मैंने प्रोफ़ेशनल कुरियर की पनवेल(नई मुंबई) शाखा से कुछ दवाएं एक मरीज को उत्तरप्रदेश के मशहूर शहर इलाहाबाद भेजी। इस कुरियर सेवा में ४८ कार्य के घंटों में आपका पार्सल या पत्रादि पहुंचाने का वादा रहता है। मैंने भी इसकी सेवा ली और 205/1k/2k, आनंद पुरम, कसारी-मसारी, चकिया, इलाहाबाद के पते पर श्री चरण सिंह को दवाएं भेज दीं, रसीद का नंबर है - 435028143। तीन-चार दिन बीते, एक सप्ताह बीता, दस दिन बीत गये और मैं रोज ही पनवेल शाखा के चक्कर मार कर परेशान कि आखिर दवाएं कहां चली गईं। मैंने इस बीच इलाहाबाद की शाखा का पता व फोन नंबर भी मांगा तो मुझे जो तीन नंबर्स दिये गये उनमें से एक भी नंबर मौजूद ही नहीं है। आज उन्नीस-बीस दिन बाद मुझे बताया गया कि आपका पार्सल वापिस आ गया है क्योंकि पता अधूरा है। जबकि सच तो ये है कि इलाहाबाद में योगेश कुरियर नामक कोई कुरियर है जो प्रोफ़ेशनल का काम सम्हालता है जिसका न तो कोई स्थायी कार्यालय है न ही कोई स्थायी फोन नंबर। मैंने प्रोफ़ेशनल कुरियर के मुख्यालय से उसका नंबर लिया तो कुछ अलग ही मोबाइल नंबर दिया गया, उधर वाला सुअर बोलता है कि मोबाइल नंबर नहीं था इस लिये वापस कर दिया अब कोई इन चूतियों को समझाए कि जिनके पास खाने को नहीं है वही डाक्टर रूपेश से इलाज करवाते हैं क्योंकि मुफ़्त में दवाएं मिल जाती हैं तो क्या अब आयुषवेद परिवार को हर मरीज को दवा के साथ एक मोबाइल भी भेजना पड़ेगा? हुआ यूं कि उनका डिलीवरी ब्वाय गया ही नहीं और पार्सल वापस आ गया। अब मुझे पनवेल वाला चूतिया कहता है कि दीजिये मैं फिर से भिजवा देता हूं इस पर आप सोच सकते हैं कि एक भड़ासी क्या कर सकता है, लगातार साले सुअर को एक घंटे तक बिना रुके गालियो की जो भैरवी सुनायी तो रोने लगा कि इसमें मेरा क्या कुसूर है। मुझसे बोला कि आप अपने पैसे वापस ले लीजिये मैने बिना सोचे उसे कह दिया कि साठ रुपये अपने पिछवाड़े पुंगी बना कर डाल ले।
उधर मरीज बेचारा सोच रहा होगा कि डाक्टर साहब ने दवाएं ही नहीं भेजी। इधर ये साले हरामी मेरा खून जला रहे हैं भेजा फिरा हुआ है इन दुष्टों के कारण जो मेरे जैसे "भले" आदमी से गालियां खा रहे हैं लेकिन इन्हें गालियां देना ही नहीं बल्कि दो जूते भी लगा देना चाहिये था जो मैंने नहीं करा। गैरजिम्मेदारी की हद पार कर दी सालों ने.........। भड़ास निकली नहीं है अब कल स्पीड पोस्ट से ही दवाएं भेजूंगा और कान पकड़ता हूं कि कभी किसी कुरियर से दवा न भेजूंगा (कम से कम प्रोफ़ेशनल कुरियर से तो हरगिज नहीं)।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

mark rai ने कहा…

उधर मरीज बेचारा सोच रहा होगा कि डाक्टर साहब ने दवाएं ही नहीं भेजी। इधर ये साले हरामी मेरा खून जला रहे हैं भेजा फिरा हुआ है इन दुष्टों के कारण जो मेरे जैसे "भले" आदमी से गालियां खा रहे हैं लेकिन इन्हें गालियां देना ही नहीं बल्कि दो जूते भी लगा देना चाहिये था जो मैंने नहीं करा....

in kathano se aapaki becharagi saaf jhalkati hai

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