डा.रूपेश श्रीवास्तव ने मुखौटाधारियों को रगेदा तो बिलबिलाना रोना जारी है

शुक्रवार, 27 मार्च 2009


कशिश गोस्वामी भड़ासियों की फ़ेहरिस्त में खुद शामिल है और मेरे बारे में दूसरे ब्लाग पर प्रशंसा लिख रही है अगर ये बेवकूफ़ भड़ास पर भी इस आलेख को लिखे तो मैं हरगिज न हटाउंगा, लेकिन एक पोकल हड्डी के सियार में इतना साहस नहीं होता है तो वो जीवन भर ऐसा न कर पाएगा, इन ढक्कनों की सदस्यता तो तब ही समाप्त होगी जब ये खुद ही भड़ास छोड़ कर पिछले पाखंडी की तरह भाग जाएंगे। चिरकुट! तेरी पोस्ट की लिंक मैं खुद लगा रहा हूं ताकि लोग जान सकें कि तू कितने पानी में है और तेरी क्या औकात है, तुझमें गाली देने का साहस कहां है कि तू गलत बात का विरोध भी कर सके मैं तो ठोंकने तक का दम रखता हूं कीड़े! गाली तो दूर है कभी मौका लगे तो ये भी दिखा दूंगा कि निरा शास्त्र वाला चिकित्सक नहीं हूं सर्जरी ही नहीं पोस्टमार्टम भी कर सकता हूं और तेरे जैसे नासूरों के लिये तो जरूर शस्त्र उठाउंगा।
आप देखिये कि संजय सेन जो कि खुद मानता है कि वह हिंदुस्तान का (सिर)दर्द है और मुर्दा हो चुकी भड़ासblog के नाम बदल-बद्ल कर परेशान हो चुके लालची बनिया यशवंत सिंह भड़ास के सही अस्तित्व में आ जाने से कैसे बौखलाए हुए हैं कि वो कशिश गोस्वामी जो कि खुद ही संजय सेन का एक फर्जी परिचय है,बेचारे में खुद अपने नाम से लिखने का साहस तो है नहीं इसलिये कभी व्योम श्रीवास्तव बनता है और कभी कशिश गोस्वामी, अरे पाजी! अपना नाम तो बदल लेकिन बाप का भी बदले ले रहा है। मेरी भाषा तो तुम जैसे नीच और पापी, मुंहचोर लोगों की फ़ाड़ने के लिये ही है सर्जरी का टूल है वो बेटा...। तेरी सहलाने वाले भी मुझसे परिचित कहां हैं उनमें साहस कहां है सच का सामना करने का इसलिए तू उस चूतियम सल्फ़ेट की हड्डियों वाले लालची बनिये को तेल लगा और वो तुझे मूत न पीने देगा बेटा किस गलतफ़हमी में है तू?
इस लिंक पर जाकर मेरी प्रशंसा में लिखा आलेख अवश्य पढ़िये जो कि फर्जी आई.डी. से लिखा गया है कशिश गोस्वामी नामक ब्लागर की असलियत ये तस्वीरें खोल रही हैं कि ये किन सिद्धांतो को मानती हैं(ये संजय सेन चिरकुट ही है और मुझे लिखता है कि मैं १००-१५० फर्जी नामों से लिखता हूं, सही ही है मेरे एक करोड़ ब्लाग हैं जिन्हें मैं दस लाख नामों से लिखता हूं, अरे चिंदीचोर तुझमें है बूता..???)
भड़ास से बदल कर नाम भड़ासblog क्यों करना पड़ा ये पूंछने का साहस है किसी में?
अरे दलिन्दरों! जिन बेचारों को जरूरत है आयुषवेद की वो तुम चूतियों के रोकने से कहां रुकेंगे, तुम ऐसे ही तेल-चटाई का धंधा करते रह जाओगे जीवन भर... लगता है बच्चों ने ट्यूशन आना भी बंद कर दिया है। कशिश गोस्वामी हो या व्योम श्रीवास्तव के नाम से लिखो तुम्हारी चड्ढी तो बेटा हम भड़ास पर उतार कर दुनिया को दिखाएंगे कि सही मायनों में "हिजड़ा" कौन है?
अबे ढक्कन! दम है तो जैसे मैंने भड़ास4मीडिया का लिंक लगा रखा है जैसे उठाईगीर-लुक्खों का पुलिस स्टेशन में लगाते हैं वैसे तू भी भड़ास का लिंक लगा कर रख फिर देख कि तेरी क्या औकात है...
हंसी आ रही है तेरे गोबर पर अबे चूतिये अगर इतना पढ़ाई-लिखाई के समय स्कूल में लिखा होता तो आज दो रोटी के लिये यशवंत सिंह जैसे चिरकुट को तेल न लगाना पड़ता।
हा..हा..हा...
जय जय भड़ास




3 टिप्पणियाँ:

RAJIV MAHESHWARI ने कहा…

डा.रूपेश श्रीवास्तव मेने दोनों ब्लॉग देखे है. पर जिस तरह की भाषा / गुस्से का आप प्रयोग कर रहे है. इस का कोएई अच्छा सन्देश नही जाता . येशा लगता है "हिंदुस्तान का दरद" आपके बारे में सही कहा रहा है. आप ने कही भी उनकी बात का खंडन नही किया है ........सिर्फ और सिर्फ गालिया दी है. गाली देने से मन हल्का हो सकता है ...... दिमाग नहीं ....
इस लेख को पड़कर लगता है की आप या तो पागल है या फिर हो जायेगे. अगर इन सब से बचाना है तो ब्लागबाजी छोड़कर
नामर्दी की दवाई बेचो मेरे भाई.

जय भडास ....जय भडास

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

वाह वाह रुपेश जी
क्या बात है .
जे भड़ास

मनोज द्विवेदी ने कहा…

Ye sala anpadh gawar hai..jab iske pichhe bhi lat padegi tab ise asali dard ka ahsaas hoga..

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