यशवंत की तानाशाही जारी, ब्लोगर को हटाया मगर अपने दडबे से नाम ना मिटाया।
बुधवार, 1 अप्रैल 2009
भड़ास से लोगों को निकालने का सिलसिला जारी है, यशवंत जिसे चाहे उसे सदस्य बनाये जिसे चाहे हटाये और अपनी इस मनोवृत्ति के कारण भड़ास से लोगों ने या तो पलायन कर लिया या फ़िर लिखना बंद कर दिया। मगर जरा इसकी ढिठाई तो देखिये भले ही इसने लोगों को भड़ास से हटा दिया या लोग ख़ुद इसके संडास के दुर्गन्ध से चले गए हूँ मगर अपने कुनबे में नाम की तादाद ऎसी की जैसे यहाँ का कुनबा बढ़ रहा हो। इस क्षद्म वेश के बहुरूपिये की विभिन्न रूपों में से एक रूप ये भी है। संडास पर इसके डाले बहुतो ब्लॉग का अस्तित्व ही नही है मगर वोह यशवंत के गोबर का हिस्सा है।
अमिताभ बुधोलिया फरोग यानी की गिद्ध की भड़ास से सदस्यता समाप्त कर दी, ना ही किसी को पता ना ही कोई सुचना और ना ही कोई संदेश बस हटा दिया मगर जरा तस्वीर पर नजर डालें तो गिद्ध भड़ास पर नजर आता है।
यशवंत ने इस तरह के कुकृत्य को कई बार अंजाम दिया है और लोगों के लेख से अपने संडास को बढ़ाने का दावा करने वाले इस बहुरूपिये ने अपने फायदे के लिए बस इन लेखकों के लेख को बेचा और अपना तबेला बनाया है।
आइये यशवंत के इस कुकृत्य के लिए हम धन्यवाद दें।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
अग्नि बेटा तुम ऐसा क्यों सोचते हो कि ये आदमी ही सुअर है जो इसने मुनव्वर आपा,मनीषा दीदी,रफ़ाई चाचा,रजनीश भाई,कनिष्का और मेरे जैसे कितने लोगों की सदस्यता बिना किसी चर्चा के समाप्त कर दी लेकिन इसके बावजूद इस गलीज़ कीड़े के हिमायतियों और पंखो की कमी कहां है... दिन ब दिन हरामियों का जमघट बढ़ रहा है लेकिन इससे एक अच्छी बात ये हो रही है कि दुनिया के सारे हरामियों को लोग एक जगह देख कर पहचान सकते हैं। इसने कनिष्का के ब्लाग कबिरा खड़ा बजार मेंको भी तो कनिष्का को बेइज्जत करके भगा देने के बाद भी लगा रखा है अपनी दुकान में ये बात मैंने खुद कनिष्का को बतायी लेकिन उन्होंने कोई विशेष प्रतिक्रिया करी ही नहीं। यशवंत जैसे माफ़िया को डंडा करने की ताकत बस भड़ासियों में ही है इसलिए पेले रहो इस साले को बिना मौका दिये...
जय जय भड़ास
हम तो आज से 8-9 महीने पहले ही यसवंत को पहचान गये थे और उसी समय खुद ही वह जगह छोड़ कर निकल गये थे लेकिन मेरा 3-3 ब्लौग का पता मेरे नाम के साथ अभी भी वहां शोभा बना रहा है.. हमने कभी भी उसे अपना ब्लौग का नाम हटाने को इसलिये नहीं कहा क्योंकि बेबात की गाली खाना और बेबात का झंझट लेना मुझे ठीक नहीं लगा.. यहां भी बेनाम बनकर लिख रहा हूं.. उम्मीद करता हूं बुरा नहीं मानेंगे..
मैं ज्यादा तो कुछ नही जानता लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो यशवंत के ब्लाग पर भी लिखते हैं और भड़ास पर भी तो अगर वो उन्हें भगा रहा है इसमें उसका दोष नहीं है इन लोगों को खुद सोचना चाहिये कि क्या ये सही है। वो तो भड़ास के माडरेटर हैं जो खुद व्योम और कशिश गोस्वामी के नाम से लिखने वाले हरामी संजय सेन तक की सदस्यता नहीं समाप्त करते ये इनका भड़ासी अंदाज है लेकिन यशवंत जैसे चूतिया चिरकुट क्या जानें कि भड़ास क्या है इसलिये घबरा कर ऐसे लोगों को लतिया देते हैं तो रोना नहीं चाहिये। अरे भाई एक आइडियोलाजी बना कर रखो तो रोना न पड़े
जय जय भड़ास
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