एक भडासी हूँ (परिचय) (अतीत के पन्ने से......)
बुधवार, 29 अप्रैल 2009
ना किसी के आँख का नूर हूँ, ना किसी के दिल का करार हूँ।
जो किसी के काम ना आ सके वो एक मुश्त गुबार हूँ।
सफलता असफलता के पैमाने मुझपे ना लगाएं क्योँकी दोनों ही मुझे पे फिट नहीं बैठते हैं।
मधुबनी, बिहार जन्मस्थान है। मगर मिथिला के सपूतों में से नहीं हूँ. दिल्ली में एक सोफ्टवेयर कंपनी में अभियंता हूँ. बनना कुछ और चाहता बन कुछ और गया, जीवन की तलाश जारी है क्योँकी भडास ख़तम नहीं हुई है। पता नहीं ये भडास किस पर है, कभी कभी लगता है की खुद पे ही सबसे ज्यादा है।
बेकार निकम्मे के कंधे पे बोझ देने के लिए शुक्रिया। गधे को भी लायक समझा, कोई वादा नहीं कोई शपथ नहीं बस अपने दिल अपने दिमाग और अपनी इमानदारी से समझोता नहीं। दद्दा और रुपेश भाई का शुक्रिया और तमाम भडासी बिरादर का आभार।
जय जय भडास
1 टिप्पणियाँ:
ये हैं हमारे भड़ास मंच के माडरेटर भाई रजनीश के.झा का आग़ाज़... आज आप इन्हें और इनके तेज तर्रार तेवरों को बखूबी जानते पहचानते हैं
जय जय भड़ास
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