लोकसंघर्ष: --अनूप मंडल सही लिखते है..

बुधवार, 24 जून 2009

श्री अनूप मंडल द्वारा उठाये गए सवाल काफ़ी हद तक सही है । भाषा यदि सही कर दी जाए तो यह महत्वपूर्ण आलेख है । हम इस सन्दर्भ में कुछ लोगो के पास गए और अनूप मंडल द्वारा उठाई गई बातो को उनके सामने रखा, उसकी पुष्टि हुई । इस लिए अनूप मंडल बधाई के पात्र है । कोई भी धर्म अपने मानने वालो से नकली दवाएं बेचने के लिए ,मिलावट करने के लिए निर्दोष लोगो की जान लेने के लिए नही कहता है । लेकिन अब यह देखने में आ रहा है की धर्म के अगुवाई करने वाले लोग अपने समर्थको से नही कहते है की इमानदारी से जीवन यापन करो , नौकरी कर रहे हो तो घूस मत खाओ, शिक्षक हो तो शिक्षा माफिया मत बनो, वकील हो तो दलाली मत करो । honesty is the best policy यही जीवन का मूल मन्त्र अगर बन जाए तो काफ़ी कुछ समस्यायें हल हो सकती है लेकिन परउपदेश कुशल बहुतेरो का जमाना है ।
अनूप मंडल को पुनः नमस्कार ।

12 टिप्पणियाँ:

अनोप मंडल ने कहा…

सुमन साहब बड़ा ही सुखद आशचर्य है कि आप खुल कर सामने आ रहे हैं क्योंकि आप जान पाए होंगे कि अब तक हमारी बातों को किस कदर मीडिया ने दबाकर रख दिया था। रही बात भाषा की तो बोली-भाषा में तो हमें गंवार अनपढ़ और तोतला हकला मान लीजिये लेकिन मूल भाव पर ध्यान दें तो आपको समस्या की जड़ दिखाई देने लगेगी। जैन खुद को हिंदू नहीं कहते लेकिन विश्वहिंदू परिषद और बजरंग दल जैसी संस्थाओं में घुसपैठ बराबर बनाए रखते हैं और ऐसा ही अन्य धर्मों को मानने वालों से भी मीठे बने रहते हैं लेकिन उन्हें आपस में लड़ाने का काम भी ये ही करते हैं। हम अनूप मंडल के सब गरीब जन भड़ास परिवार और भड़ास के निर्भीक संचालकों का दिल से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने किसी प्रलोभन में आए बिना हमारी बातों को दुनिया के मंच पर लाया है। अभी तो शुरूआत है बहुत पोलें खोलनी हैं। आपका सहयोग और प्रेम बना रहे।
सादर नमन
जय जय भड़ास
जय नकलंक
जय लोकसंघर्ष

Abhishek Mishra ने कहा…

आप को अनूप मंडल ने कितने मे ख़रीदा है, क्योकि अनूप मंडल पर कोई भी सही टिप्पणी करेगा तो वो बिका हुआ माना जायगा

satish 'kundan' ने कहा…

अबे पगला गए हो क्या इन लोगो की उलटी सीधी बातो से

पूर्णिमा वर्मन ने कहा…

पत्रिका का कोई जानकर अनूप मंडल मे भी है क्या ?
मेरे कहने का मतलब की किसी धर्म को बदनाम करने वालो के साथ ये पत्रिका दे बड़ा ही आश्चर्य हो रहा है .
अनूप ने अब तक सिर्फ किसी न किसी रूप मे सभी बुरायीओ के लिए सिर्फ जैन लोगो को ही जिमेदार ठराया है , क्या बाकि सभी धर्म के लोग ढूध के धुले है , मुझे तो लगता है कुछ ही दिनों मे ये पागल लोग अमेरिका पर हुए लादेन के हमले के लिए भी घुमा फिर कर जैन लोगो को ही जिमेदार बना देगे की किसी जैन ने ही पैसे दे कर ये हमला करवाया है

Jayshree Varma ने कहा…

अनोप मंडल के सब गरीब जन, बातो को घुमा फिर क्यों रहे हो , सीधे सीधे बताओ की जैन फेरबदल करवाने में माहिर हैं और शब्दकोशों के शब्दों में हेराफेरी कर देते हैं तो इस बारे में ठोस प्रमाण क्या है ?

dr amit jain ने कहा…

डॉ साहब रजनीश भाई का ये कमेंटJune 22, 2009 7:28 am को ----- अनूप मंडल का बन गया बण्डल भाग -३ ---- से पहले वाली पोस्ट मे किये है आप वहा से इस बात की पुस्ती कर सकते है , वासी वो पूरी पोस्ट कमेन्ट के पहले लिखे हुई है

dr amit jain ने कहा…

अरे कही का कोमेंट कही लग गया

Randhir Singh Suman ने कहा…

sriman ji,
dharm ka arth hai dharan karne yogy agar dharm ki dharmik kitabo mein likha bahut accha accha ho aur aur unke samarthko ka acharan vyavhaar mein yah ho . usko kya kaha jayega .rahi meri baat main anoop mandal ya kisi bhi blogger ko vyaktigat roop se janta hi nahi hoon khareed farokht karna bada asaan hai lekin mandal sahab ki taraf se jo bhi baatein uthai gayi hai uska bhi koi spastikaran nahi diya gaya hai . aur na koi uska spatikaran ho sakta hai dharm bhaavnatamak savaal hai astha ka savaal hai . mai kisi ki bhavna aur astha ko thes nahi pahuchana chahta hoon lekin sri anoop sahab ki kaafi baatein saty hai .nayi jankariyo k liye aur saty k shodhan k liye yah prakriya avashyak hai .

sadar
suman

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

पूर्णिमा वर्मन जी, Jayshree Varma,जी,Abhishekजी, Mishra,अमित जैन (जोक्पीडिया ), आपकी बातो से सहमत होते हुऐ बता रहा हू कि कुछ लोग बिना कोई ठोस प्रमाण दिऐ जैन धर्म के प्रति रोष बनाऐ हुऐ है। इसका अर्थ यह है कि उनके मन मे द्वैश जन्म से भरा गया है इतिहास के नगण्य जानकार है ।

अनुपमडल नाम का सगठन का इतिहास कोई लम्बा नही है करीब २०-२५ वर्षो से राजस्थान के सुमेरपुर एवम सिरोही जिले से शुरु हुआ यह मण्डल धिरे धिरे जोधपुर एवम कुछ सदस्य मुम्बई मे है। कई वर्षो से जैन धर्म का विरोध करते आऐ है। यह किस इतिहास कि बाते करते है ? उनका क्या इतिहास है ? जैन को यह राक्षक्ष बता रहे है ? सर्व कराऐ देश भर मे कि राक्षस कोन है ? पता चलेगा। मनगढत इतिहास रचने से कोई इतिहासिक नही होता है। पहले स्कुल जाकर अध्यन करे ।

दीनबन्धु ने कहा…

अरे मुनिवर महावीर सेमलानी पधारे.... मन में जन्म से द्वेष कैसे भरा है क्या ये जन्म के समय अनूप मंडल के लोगों का ETG निकलवाते हैं जिससे इन्हें पता चल जाता है। सत्य की प्राचीनता और नवीनता के ऐतिहासिक तराजू में नापतौल करने आए हैं मुनिवर अपनी ब्लाग गैजेट्स की दुकान छोड़ कर। अरे कपट मुनि!अब तक आप उस मुद्दे पर क्यों चूं नहीं करे जहां से ये बात शुरू हुई थी,डा.रूपेश ने दो तस्वीरें एक सवाल के साथ डाली थी जो कि सवाल मुनेन्द्र सोनी भाई का था शायद। उस पर एक भी शब्द बोलने की बजाए दुनिया भर का प्रपंच कर रहा है और बता रहा है कि हमारा इतिहास पुराना है इसलिये हम अच्छे हैं तो मुनि महाराज तुमसे ज्यादा अच्छे तो डायनासोर थे उनका इतिहास तुमसे ज्यादा पुराना था और सांप भी तुमसे ज्यादा पुराने हैं। स्कूलों और धर्म की पुस्तकों में तो तुम लोगों ने अपनी कपटलीला छिपा रखी है। अब तुम्हारी बखिया उधेड़ी जा रही है तो अनूप मंडल का इतिहास बताने आ गये। अब राजस्थान से मुंबई होते हुए ये सच के गरीब रखवाले पूरे संसार में फैलेंगे और तुम जैसों की फटेगी। तुम पाखंडी हो पहले डा.साहब की पोस्ट का उत्तर दो बाद में नाटक करो
जय जय भड़ास

Unknown ने कहा…

Jain saints guides people not to pollute air, water and land.Jain saints are not using any vehicles. They walk bare footed.All over the world only jain saints are not using any vehicles which are fuelled. Internal combustion engines used in vehicles , railway locomotives were invented by european scientists. Otto invented Petrol Engine. Diesel invented diesel engine. James Watt invented steam engine. Rankine developed cycle on which modern thermal power plants are working. All these engines/power plants use fuels like Petrol, Diesel, Coal, Neptha, Coke , natural gas etc. Combustion products of these fuel pollute the air. Jain saints preach people to do everything by physical body only. they are not using any vehicle and they also advise people not to use vehicles. This is with the aim of not polluting air. Refrigerator and Air conditioner were also invented by europen scientists. In fridge and A.C. gases like Freon 11/12/22 were used. After using these gases for long duration of time people came to know that it is damaging ozone layer.So they put ban on it. And advocated use of hydro chloro fluro group refrigerants. Jain saints do not use fridge and A.C. They also preach not to use such appliances. This is also with the aim not to disturb climate. So if true jainism is followed no any air will get polluted. Jain saints use water for bathing only few days. This is also in connection with to save water and to maintain its cleanliness. Jain saints are not using toilets with drainage facilities. Because use of such toilet pollute water and land. They are using "wada" and they bury excreta under ground. This results into saving of water and also maintaining its cleanliness. Otherwise this water is to be treated and no any treatment can make the water of original quality. So following jainism also saves water and minimises water getting polluted. Jain saints preach not to use chemicals , fertilizers and pesticides. As fertilizer they suggest to use cattle dung and human excreta . They also recommended using cow urine as pesticide. New research has proved that use of urine as pesticide and cattle dung as fertilizer saves earth from getting deteriorated and this use of dung and eurine increases production of crop. So following jainism also results into saving ground from getting deteriorated. Jainism also preach not to use root vegetables like potato, onion, garlic. Use of this root vegetables by human being results into increased quantity of methane in gas released while farting . Methane is most responsible gas for global warming. So jainism also prevents air getting polluted by methane and hence saves the earth by global warming. Jainism believes in Jio aur Jinedo. Jainism says people to be vegans or vegetarians. Jain people do not use any non vegetarian food item. When any animal is slaughtered its pain is transmitted in the form of waves. One research report told that those locations have observed more and frequent earth quakes where animals are slaughtered in very large quantity. For example at Manokamna Temple in Nepal so many animals are slaughtered on name of sacrifice for goddess.Nepal witnessed major earthquake just few years back. So this illiterate Anop Mandal followers should note the truth and should follow jain principles if they really believe in welfare of the world. Most of these Anop Mandal people are meat eaters . They also consume alchohol. Consumption of meat and liquor deteriorates ones intellectual. Jainism prohibits use of meat and liquor. So following jain principles only can save the earth and its climate. Jains worship Rushabhdev as their first tirthankar of present era. The same Rushabhdev has been shown as incarnation of lord Vishnu in Bhagwat Puran as well as incarnation of lord Shiva in Shiv Puran

बेनामी ने कहा…

अनूप मंडल बनियो से नफरत करता है। व् जैनों को बनिया बताता है। जबकि वर्ण व्यवस्था तो हिन्दू ( वैदिक) धर्म की देन है।
जैन धर्म का उदगम् प्राचीन भारतीय श्रमण संस्कृति में है जो अनादि काल से वैदिक संस्कृति के सामानांतर भारत में विद्यमान थी। जैन धर्म के सभी संस्थापक क्षत्रिय थे।
वैदिक (हिन्दू) धर्म में 4 वर्ण है : - ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य ( बनिया) व् शुद्र । जैन धर्म ऐतिहासिक रूप से जन्म निर्धारित वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध रहा है। वर्ण व्यवस्था का पोषक ब्राह्मण समाज रहा है।
मध्ययुग व् मुस्लिम काल के दौरान जब परिस्थितियां विपरीत हो गयी तो जैन लोगो ने व्यवसाय को अपना लिया।
आज भी बनिया 90% हिन्दू व् केवल् 10% जैन है। आप सिर्फ जैनों को क्यों निशाना बनाते हो , हिन्दू बनियो , क्षत्रियो व् ब्राह्मणों को क्यों नहीं ? क्योंकि आपको पता है अगर उनको निशाना बनाया तो पिछबाड़े में जबर्दस्त ठोकर पड़ेगी।
लेकिन जैनों को निशाना बनाना बहुत आसान है क्योकि जैन संख्या में कम (अल्पसंख्यक) व् अहिंसक है ( गाय की तरह इसलिए उनको काटना आसान है)
आपको सलाह दी जाती है कि जैन धर्म के इतिहास व् शिक्षाओं का गहन अध्ययन करे ताकि आपको ज्ञानप्राप्त हो सके।
जलवायु व् धरती की समस्याओं के लिए विकसित देशों का औद्योगीकरण जिम्मेदार है ( अमेरिका , रूस , चीन , यूरोप वहाँ बनिए नहीं है)। भारत एक विकासशील राष्ट्र है आप क्या चाहते हो भारत बिकास न करे नए उद्योग धंधे न लगे , लोगो को रोजगार न मिले ।
आप मार्क्सवादी विचारधारा के समर्थक हो परंतु बनियो को राक्षस बताते हो जबकि मार्क्सवादी बिचारधारा राक्षसों को भारत का मूल नागरिक मानती है जिनको बाहर से आये आर्यो ने खदेड़ दिया।
जैन धर्म अहिंसा ( मन , वचन व् कर्म से ) का धर्म है। जबकि अनूप मंडल की किताब " जगतहितकरणी " जगत हित के नाम पर " द्वेष , हिंसा व् सँघर्ष " का प्रचार करती है जबकि जगत का हित तो " अहिंसा , सहअस्तित्व , प्रेम , सम्मान व् विकास " में है।
जैन धर्म में तो द्वेष व् नफरत को हिंसा (मन हिंसा) ही माना गया है जोकि अधर्म है।
अनूप मंडल के संस्थापक स्वयं को चौहान (क्षत्रिय) बताते है परंतु मुस्लिमों व् अंग्रेजों का महिमामंडन " जगतहितकरणी " में करते है। जबकि मुहम्मद गोरी ( मुस्लिम) ने ही पृथवीराज चौहान का वध किया था। मुस्लिमों ने भारत में अमानवीय अत्याचार किये ( मंदिर तोड़े, औरतों के साथ बलात्कार किये , धन लूट कर ले गए) , मुस्लिम आताताईयो से वचने के लिए औरतों ने जौहर किया और "जगतहितकरणी" कहती है " हिन्दू मुस्लिम भाई भाई ये जैन कौम कहाँ से आयी"
" जगतहितकरणी " अंग्रेजों (किंग जॉर्ज) का महिमामंडन करती है जबकि अंग्रेज़ी राज में भारत का जबर्दस्त आर्थिक व् सामाजिक शोषण हुआ।
जब भारत में स्वतंत्रता का आंदोलन चल रहा था ( जिसमें जैन भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे थे) व् मुस्लिम पाकिस्तान का राग आलाप रहे थे तब अनूप मंडल मुस्लिमों व् अंग्रेजो का महिमा मंडन कर रहा था।
जब अंग्रेजी राज की नीतियों की वजह से भारत में समस्याएं पैदा हो रही थी ( ब्रिटेन / इंग्लैंड में विश्व की प्रथम औद्योगिक क्रांति हुयी थी व् 1920 में ब्रिटेन बिश्व का मुख्य औद्योगिक राष्ट्र था व् वहाँ बनिया नहीं थे) तब अनूप मंडल जलवायु समस्याओं के लिए बनिये ( मुख्यतः जैनों) को सभी समस्याओं का दोषी बताकर अनपढ़ व् भोले भाले लोगों को मुर्ख बना रहा था।
हद हो गयी पाखण्ड की। आज अनूप मंडल निर्दोष व् अहिंसक जैन मुनियों को मारकर (????) क्षत्रियता का परिचय दे रहा है।

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