क्या संघ का राष्ट्रवाद अंग्रेजों का परस्त था?
बुधवार, 24 जून 2009
लोक संघर्ष के संघर्षकर्ता माननीय सुमन जी एक टिप्पडी में कहा है की संघ का तथाकथित राष्ट्रवाद अंग्रेजों की मदद करने वाला था। वाह कितना महान अध्ययन है महाशय का ये तो इन्होने रिसर्च करने का नया टोपिक दे दिया। अब तक इस ऐतिहासिक खोज से महरूम भारतीयों को सुमन जी महाराज का सुक्रिया अदा करना चाहिए । संघ और बीजेपी के दार्शनिकों को सुमन जी के ज्ञान से कुछ नया सीखना चाहिए। क्यूंकि शायद उन्हें भी ये बात नही पता होगी की वे जिस पार्टी या संगठन का झंडा बुलंद करने में लगे हैं। वाह अंततः एक अंग्रेज परस्त संगठन है। मात्र विदेशी मूल की होने पर सोनिया गाँधी का पुरजोर विरोध करने वाली पार्टी का अतीत सुमन जी ने सामने किया है। इसका मतलब यह हुआ की इनको विरोध करने का कोई ओचित्य ही नही था? अरे भाई सुमन जी के मुताबिक जो पार्टी ख़ुद अंग्रेजों की मददगार रही हो वाह कैसे किसी विदेशी का विरोध कर सकती है। कहते हैं की ज्ञान की कोई सीमा नही होती ..लेकिन जिसने भी अपने ज्ञान की सीमा को समझ लिया वाह पुरे कांफिडेंस के साथ सुमन जी की तरह टिप्पडी दे सकता है की अरे फलां देशभक्त तो रात में अंग्रेजों के तलवे चाटता था? मैं सुमन जी से निवेदन करता हूँ की सुमन जी इस बात के प्रमाण को सार्वजनिक करें की कैसे संघ का तथाकथित राष्ट्रवाद अंग्रेजों की मदद कर रहा था! अगर उनके पास इस बात का प्रमाण नही है तो अब उन्हें सफाई का मौका दिए बिना हकीकत से रूबरू कराने की जिम्मेदारी किसकी? क्या संघ और बीजेपी की तरफ़ से ही इन्हे जबाब मिलना चाहिए..चाहे कुछ भी हो लेकिन इन्हे ये बताना चाहिए की किस आधार पर और किस अध्ययन में इन्होने इस तथ्य को पाया ..हमें सुमन जी के तथ्यों का इंतजार है...
2 टिप्पणियाँ:
sri manoj sahab,
maine tathyo ko ek jagah ikattha karne k liye keh diya hai sabhi tathy ikathha hone k baad ek nai post samarpit kardi jayegi .
sadar,
suman
यानि पहले राय बना लेना निष्कर्ष निकाल लेना फिर अपनी राय को सही साबित करने के लिए तथ्य एकत्रित करना. क्या बात है!
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