लो क सं घ र्ष !: हिंदू आतंकी संगठनों की घुसपैठ
मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009
मालेगांव की आतंकी घटना में हिंदू आतंकी संगठनों के साथ सैन्य अधिकारियों का सम्बन्ध भी प्रत्यक्ष रूप से था । उसी प्रकार मडगांव (गोवा) विस्फोट में आरोपी कार्यकर्त्ता (हिंदू सनातन संस्था) ने बड़े-बड़े नेताओं, पुलिस अधिकारी सहित न्याय व्यवस्था में भी पकड़ मजबूत कर रखी है । मुख्य बात यह है कि गोवा विधि आयोग अध्यक्ष रमाकांत खलप व गोवा के गृह मंत्री रवि नायक ने इस बात को बड़ी साफगोई से माना है । प्रश्न यह उठता है चाहे हिंदू आतंकी संगठन हो या अन्य आतंकी संगठन हो। अगर उनका प्रभाव सेना से लेकर न्याय व्यवस्था तक है और उनके अधिकारी इन संगठनों के आदेश से कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं तो देश के लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बनाये व बचाए रखना मुश्किल होगा । साम्राज्यवादी शक्तियां ऐसे संगठनों को मदद देकर देश को गृह युद्घ की स्थिति में झोंक देना चाहती है जिससे देश में हमेशा अशांति बनी रहे । दूसरी तरफ़ पुलिस विभाग के लोग फर्जी एनकाउंटर करके जनता में वाहवाही लूटने का काम करते हैं । अभी लखनऊ में एनकाउंटर विशेषज्ञयों की फायरिंग प्रक्टिस में निशाने टारगेट पर लगे ही नही । आतंकवाद का दमन करने के नाम पर बने सरकारी सशस्त्र बल भी फर्जी घटनाओ के आधार पर ही वाहवाही लूट रहे हैं । पुलिस के एक क्षेत्राधिकारी ने अपने सरकारी असलहे से हाथी के ऊपर गोलियाँ चलाई थी और एक भी गोली हाथी को नही लगी थी । इससे यह साबित होता है कि यह लोग लोगों को पकड़ कर एनकाउंटर के नाम पर उनकी हत्या कर रहे हैं। आज जरूरत इस बात की है कि इन आतंकी सगठनों के ख़िलाफ़ ईमानदारी से वैचारिक स्तर से जमीनी स्तर तक संघर्ष की आवश्यकता है अन्यथा विदेशी साम्राज्यवादी शक्तियां इस देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचा सकती है ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
2 टिप्पणियाँ:
मेरा मानना है कि आतंक का मार्ग प्रतिक्रिया से उपजता है। आखिर क्यों कोई हिंदू, मुसलमान, सिख या कोई अन्य आतंकी बन जाता है? हमें जड़े तलाशनी होंगी। आतंक के कारण धर्म के आवरण में होते हैं अंदर क्या है ये दिखता ही नहीं या दिखाया ही नहीं जाता। भड़ास आतंक के विरुद्ध है ये अंतिम उपाय रहता है अपनी बात मनवाने या सहमति छीनने का....
जय जय भड़ास
डाक्टर साहब से सहमत,
आतंक किसी कौम धर्म या महजब से जुडा हुआ नहीं हो सकता, कोई धर्म हमें आतंक नहीं सिखाता.
तो फिर ये आतंक आया कहाँ से?
निसंदेह हमारे समाज से उत्पन्न हुए असंतोष से सो हमें आतंकी नहीं अपितु आतंक के कारण को तलाश कर जड़ मूल से विनाश करना होगा.
जय जय भड़ास
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