भड़ास का प्रयास आयुषवेद डॉट कॉम

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

एक लम्बे समय से भड़ास की टीम इस विषय में प्रयासरत थी कि कुछ ऐसा कर लिया जाए कि कम से कम बीमारी-आज़ारी में खर्च होने वाली मेहनत की कमाई पर रोक लगायी जा सके और साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में सक्रिय मेडिकल माफ़िया का जाल तोड़ा जा सके। इस दिशा में भड़ास ने एक चिट्ठे के द्वारा सलाह मशविरे की शुरूआत करी है जिसे आप सब "आयुषवेद"(http://aayushved.blogspot.com) के नाम से जानते हैं। इंटरनेट के अनुभवों से गुजरते हुए धीरे-धीरे भड़ास का सहयोगी चिट्ठा आयुषवेद काफ़ी लोकप्रिय और लोगों का चहेता बन गया है क्योंकि आयुषवेद की अपनी एक ऐसी टीम है जिसमें कि लोग स्वयंसेवकों के रूप में सक्रिय रहते हैं। विशेष बात ये है कि आयुषवेद की टीम के सभी स्वयंसेवक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व सक्षम हैं यानि आयुषवेद हमारे लिये आय का स्रोत न बन कर सेवा कार्य का मंच बन गया। आदिवासियों से जड़ी-बूटियां उचित मूल्य पर प्राप्त करके उन्हें भी आत्मनिर्भरता प्रदान करी जाती, इसके साथ उन्हें वन-संवर्धन के बारे में समझाया जाता कि यदि वन हैं पेड़ हैं तो हम हैं वरना हम भी खत्म हो जाएंगे इसलिये नये पेड़ रोपित करने की भी प्रेरणा दी जाती रही है। हमारे ये प्रयास पर्याप्त संतोष देने वाले रहे हैं। आयुर्वेदिक औषधियां जो कि GMP certified(भारत सरकार द्वारा निर्धारित उत्तम औषधि निर्माण का मानक) हैं तैयार रोगियों तक बिना किसी लाभ के मात्र उत्पादन मूल्य पर स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी जाती हैं। इस प्रकार रोगियों को जो औषधि प्राप्त होती है वह बाजार में बिकने वाली औषधियों की अपेक्षा अत्यंत कम मूल्य, विश्वसनीय, शुद्ध रहती है। चूंकि आयुषवेद औषधियों का व्यापार तो करता नहीं है इसलिए हमारे प्रयास आर्थिक लाभ के लिये न रह कर रोगी के शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए हुआ करते हैं। आयुषवेद परिवार अपने रोगियों को औषधि भेजते समय ये लिख कर भेजता है कि ईश्वर करे कि आप शीघ्र स्वस्थ हो जाएं और आपकी औषधियों की आवश्यकता समाप्त हो जाए। दिल से करी इस दुआ का भी असर निष्फल नहीं जाता है और रोगी जल्द ही स्वस्थ हो जाते हैं। हमारे ऐसा करने से जिनके पेट पर लात पड़ी है वो स्वास्थ्य की दुकानें चलाने वाले तो रो-रो कर हमें गालियां दे रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं कि भड़ास ने बनियागिरी शुरू कर दी, दुकान खोल ली है। उन के लिये इतना संदेश है कि हमारी दुकान पर वो ही लोग आएंगे जिन्हें सचमुच जरूरत होगी और जो सब जगह से ऐसीतैसी करा चुके होंगे। हमारी दवाओं से स्वस्थ होने की कोई गारंटी नहीं है हम बस एक बात की गारंटी दे सकते हैं कि जो पैदा हुआ है वो मरेगा इस बात के अलावा किसी बात की गारंटी कहां है दुनिया में? हम किसी को न्योता नहीं दे रहे जिसे आना है आए, जो स्वस्थ है वो क्यों आएगा? मैं दिल से चाहता हूं कि एक दिन मैं खुद अपने हाथ से सबके स्वस्थ होने और मेडिसिन माफ़िया के चक्रव्यूह को धूलधूसरित करके आयुर्वेद को पुनः गौरव दिला कर आयुषवेद को समाप्त कर दूं। अभी
चिट्ठे के माध्यम से हमने पाया कि यदि इसी कार्य को आयुषवेद चिट्ठे के साथ ही निजी डोमेन लेकर एक वेबसाइट के माध्यम से करे तो तकनीकी तौर पर अधिक सहूलियत होती है। देर किस बात की थी "आयुषवेद" नाम का डोमेन लेकर आयुषवेद डॉट कॉम(www.aayushved.com) का शुभारंभ कर दिया गया है। यह वेबसाइट अभी निर्माणाधीन है यानि कि इस पर अभी आवश्यक सामग्री चढ़ाई जा रही है जो कि जल्द से जल्द संपन्न हो जाएगी। आप सभी भड़ास के चाहने वाले विद्वजनों से निवेदन है कि आयुषवेद की टीम को अपनी शुभेच्छा व आशीर्वाद देने के लिये अवश्य एक बार इस पते पर जाएं और आवश्यक सुझाव दें। आपके सुझाव और सलाहें सिर माथे पर स्वीकारी जाएंगी।
जय जय भड़ास

6 टिप्पणियाँ:

अन्तर सोहिल ने कहा…

आयुषवेद परिवार और आपको बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें, आदरणीय रुपेश जी आप बहुत सराहनीय कार्य कर रहे हैं। आप को जल्द से जल्द अपने प्रयासों में सफलता मिलेगी।

प्रणाम स्वीकार करें

मनोज द्विवेदी ने कहा…

Guruji apke is nek kary me bhagwan bhi samil hai.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

आप सभी का हार्दिक धन्यवाद
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

पर्संश्नीय ,साहसिक कार्य करने के लिए इश्वर आप को आप के कार्य में सफल करे , ये मेरे दिल की आवाज है

अनोप मंडल ने कहा…

आदरणीय डा.रूपेश जी और भड़ास परिवार के इस प्रयास को सादर नमन। इस शुरूआत से जो राक्षस दवाओं के कारोबार में लगे हैं पहले बीमारियों का हौव्वा खड़ा करके उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी और वो मरने लगेंगे।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

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