आईटी दूल्हा हाईटेक दुल्हन

शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

दूल्हा शब्द अपने आप में ही इतनी शक्ति रखता है कि हर कुंवारे के रोम-रोम में झूरझूरी पैदा हो जाती है। आप इस झूरझूरी को मोबाइल के वायब्रेशन से कंपेयर कर सकते हैं। क्योंकि हाईटेक ज़माना है और इस कंम्यूटरीकृत माहौल में हिंग्लिश ज्यादा समझ में आती हैं, इसलिए कन्फ्यूजियाईये बिल्कुल नहीं हम आपको, आपकी ही भाषा में समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं। चूंकि मंदी ने ऐसा मनगढंत माहौल क्रियेट कर दिया है कि आईटी दूल्हों की मांग में अचानक कमी का दौर देखा जा रहा है। मगर, हाईटेक दुल्हनें हैं कि मानने को तैयार ही नहीं। ऑनलाइन दूल्हा सर्च करने के इस युग में बाप और मां की भूमिका भी नगण्य हो चली है। एक ज़माना था, जब पिता के पैरों की कई जोड़ी चप्पलें एक अदद दूल्हा खोजने में ही घिस जाया करती थी। तब भी दुर्लभ प्रजाति का दूल्हा मिल ही जाता था, क्योंकि अंत में उसे भी तो एक गऊ जैसी बेगम की दरकार होती थी? सच तो यही है महाराज! कि दूल्हा शब्द की उत्पत्ति ही संस्कृत के दुर्लभ शब्द से हुई है, बाद में दुल्लहो हुआ और खड़ी बोली आने के बाद इसे दूल्हा नामक शार्ट और सिंपल शब्द में तब्दील होना पड़ा। खैर, यह हमारा विषय नहीं है, हम बात कर रहे हैं आज के आईटी दूल्हे और हाईटेक दुल्हन पर। तो मामला ऑनलाइन चल रहा था, हाईटेक दुल्हन ने बाकायदा अपना विज्ञापन किया- नाम बन्नो रानी, उम्र 28 साल (हालांकि मामला 35 के उपर था), रंग- गोरा, जबकि गेहूंआ रंग से भी एक प्वांइट कम कलर था बन्नो रानी का, लंबाइ 5 फीट 1 इंच, हकीकत यह थी कि 6 इंच मोटी हाई हील पहनने के बाद भी लंबाई बमुश्किल साढ़े चार फीट का आंकड़ा पार कर पाती थी। मगर विज्ञापन तो विज्ञापन है और हर विज्ञापर का अपना हिडेन एजेंडा तो होता ही है। चूंकि मामला दूल्हा खोजने से जुड़ा हुआ था, इसलिए यह सब चलता है। फिर क्या था, ऑनलाइन दूल्हा ढूढऩे का दावा करने वाली वेबसाइट ने कुछ हजार की डिमांड की और पैसा मिल जाने पर हाईटेक दुल्हन का जबरदस्त प्रोफाइल बनाकर दूल्हा खोजन यज्ञ चालू कर दिया गया। उस वेबसाइट पर जितने भी कुंवारे, विधुर पंजीकृत थे, सबको दनादन मेल दाग दिया गया। आलम यह था कि कोई भी फंसे और इस हाईटेक दुल्हन के लिए सुघड़, सुन्दर और टिकाऊ दूल्हे का बंदोबस्त किया जा सके। इधर पिछले कई सालों से कुंवारेपन का दंश झेल रहे रामखेलावन को अखबार का विज्ञापन रोमांचित कर गया। मगर, बेचारे करें तो क्या करें, उम्र 38 बसंत के झूले झूल चुकी थी और कमाई के नाम पर सरकारी स्कूल की प्यूनगिरी! मगर, उन्होंने भी हार न मानने की ठान रखी थी और मन में यह दृढ़प्रतिज्ञ हो चुके थे कि शादी करेंगे जरुर मगर किसी शहर वाली अंग्रेजी बूकती छोरी से ही। इसीलिए बेचारे आज तक कुंवारे ही रह गये थे। अखबार का पन्ना बगल में दबाये सुबह से ही घूम रहे थे, तभी झूरी मास्टर की नज़र रामखेलावन पर पड़ी। झूरी मास्टर चिल्लाकर बोले- अबे रामखिलवना कहां गुमशुम घूम रहा है रे, तनिक इधर तो आ। रामखेलावन चुपचाप मास्टर जी के सामने जाकर खड़ा हो गया। झूरी मास्टर तपाक से उसके बगल में दबा अखबार छिन लिए और बोले कौनौ फंसी है का रे, बहुत दबाये फिर रहा है। मामला यह था कि रामखेलावन को जो भी प्रोफाइल अखबार के स्वंयवर विज्ञापन में जम जाता, वे उसे ऐसे ही लेकर दिन भर घूमते रहते थे और मास्टरी जी लोग मजे ले लेकर उनका मजाक उड़ाया करते थे। आज भी वहीं हुआ, झूरी मास्टर ने आवाज़ लगाकर पूरी मास्टर मंडली इकट्ïठी कर ली और रामखेलावन की हंसी उड़ा, उसका मोह भंग कर डाला। लेकिन आज प्रदीप मास्टर नहीं हंस रहे थे, सबके वहां से बिदा हो जाने के बाद प्रदीप मास्टर ने रामखेलावन के कंधे पर हाथ रखा और बोले, आज शाम को मेरे घर आ जाना, तुम्हारी समस्या का समाधान ढूढ़ा जायेगा। शाम को तय समय पर रामखेलावन, प्रदीप मास्टर के घर पहुंच गया। प्रदीप मास्टर के घर पर कंम्प्यूटर था और उन्होंने बाकायदा इंटरनेट सेवा भी ले रखी थी। प्रदीप मास्टर ने ऑनलाइन ही रामखेलावन को आईटी इंजिनियर घोषित कर, उनकी बढिय़ा वाली प्रोफाइल बना डाली और एक हाईटेक दुल्हन की खोज में उसका विज्ञापन दे डाला। अल सुबह ही बेवसाइट वालों ने रामखेलावन से संपर्क किया और कुछ हजार रुपये लेकर, उनके लिए हाईटेक दुल्हन खोज देने का वायदा कर, चलते बने। कुछ दिनों के बाद वेबसाइट वालों ने सोचा कि क्यों न घोषित आईटी इंजिनियर रामखेलावन व हाईटेक दुल्हन बन्नो रानी की शादी करा दी जाए। आइडिया अच्छा था, सो सबको पसंद भी आया और वेबसाइट वालों ने दोनों पक्षों को टेलीफोन कर मीटिंग फिक्स कर ली। इधर प्रदीप मास्टर ने रामखेलावन को पूरी तरह ट्रेंड कर दिया। ब्रांडेड जींस, कट वाले जूते और हल्के रंग का धारीदार शर्ट पहनाकर, उन्हें समझा दिया कि यस, नो और वेरीगुड से काम न बने तो नो कमेंट्ïस बोल देना। शहर के मंहगे रेस्टोरेंट में मिलन तय हुआ था। ऑनलाइन हाईटेक बन्नो रानी, दरअसल शहर के मॉल में लैडिज प्रोडक्ट का काउंटर संभालती थीं, मगर अपने को रईस और रसूखदार घोषित कर रखा था। खैर, कंम्प्यूटर की आभासी दुनिया में दोनों ने अपनी-अपनी वर्चुअल इमेज बनायी थी, जिसका एक ही घोषित उद्ïदेश्य था, शादी। दोनों ही अंग्रेजी में अटक-अटककर बोलने वाले थे, इसलिए सोच-समझकर कम ही शब्द निकालते थे। जो भी हो रेस्टोरेंट की मुलाकात में यस, नो, वेरीगुड के साथ या या करके मामला सुलटा लिया गया। दोनों पक्ष राजी हो गये, एक-दूसरे को पसंद भी कर लिया। बन्नो रानी को आईटी दूल्हा मिल गया और रामखेलावन को अंग्रेजी बूकती हाईटेक दुल्हन! तो टेंशन खतम हो चुकी थी और बड़े ही धूम-धाम से पंडित की मौजूदगी तथा बारातियों की गैरमौजूदगी में ऑनलाइन महाराज को साक्षी मानकर दोनों विवाह के बंधन में बंध गये। तो अब आप भी हमारे साथ बोलिए ऑनलाइन महाराज की जय
जय भड़ास जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

मनोज भाई बेहतरीन है मजा आ गया पढ़ कर। हम सब भी एक सुर में बोलें....ऑनलाइन महाराज की जय
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

ऑनलाइन महाराज की जय
ऑनलाइन महाराज की जय

ये लेख लिखने के लिए आप की भी जय ........:)

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