लो क सं घ र्ष !: अपनी केचुल बदलती भाजपा
सोमवार, 21 दिसंबर 2009
लोकसभा चुनाव में चारो खाने कांग्रेस से चित्त होने के पश्चात भाजपा ने अपनी पुरानी केचुल यानी अडवाणी को उतार फेंका है, अब वह पार्टी के लिए कोच की भूमिका निभाएंगे और लोकसभा में अपनी पुरानी प्रतिद्वंदी सोनिया गाँधी से दो-दो हाथ करने सुषमा स्वराज मैदान में उतर रही हैं । साथ ही अडवाणी के चहेते राजनाथ सिंह भी बड़े बे- आबरू होकर अध्यक्ष की कुर्सी से उतारे जा चुके हैं । इस पद पर संघ ने अपनी राईट च्वाइज़ को सुशोभित किया है जिनका बचपन व जवानी दोनों ही संघ के आँगन में बीता है ।
दरअसल संघ ने खूब सोच समझ कर टू टायर व्यवस्था इस बार की है । पार्टी संघ संचालक चलाये और सदन में सुषमा स्वराज कांग्रेस से नाराज दलों को अपनी लच्छेदार बातों से उसी प्रकार रिझा कर लायें जैसे कि पार्टी के अवकाश प्राप्त लीडर अटल बिहारी बाजपेई उदारवादी एवं धर्म निरपेक्ष मुखौटा चढ़ा कर अन्य दलों को साथ मिला कर किया करते थे । ज्ञातव्य रहे की सुषमा स्वराज जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन के समय राजनीति में आई थी और नितीश कुमार , लालू यादव, शरद यादव व मुलायम सिंह सभी के साथ वह जनता पार्टी में कंधे से कंधा मिला कर चल चुकी हैं ।
-तारिक खान
loksangharsha.blogspot.com
2 टिप्पणियाँ:
भाई देश के नागरिकों को शायद आप सीधे शब्दों में चेताने की कोशिश कर रहे हैं कि देखो आंख वाले अंधों जो केंचुल बदलता है वह सांप होता है और आपको कभी भी डंस सकता है, अतीत में डंसता ही रहा है। बदली हुई केचुल के बाद सांप ज्यादा तेज़ और फुर्तीला हो जाता है ये ध्यान रहे। कांग्रेस तो अंग्रेजों के जमाने से एक जैसी ही है अंग्रेजों जैसी न बदली है न बदलेगी....
जय जय भड़ास
बहुत सही बात कही है आपने,
लोग पता नहीं कब बदलेंगे.
भड़ास की चीख पुकार जारी रहेगी.
जय जय भड़ास
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