मैं अजमल कसाब की हत्या करना चाहता हूं।

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

ये है वो पोस्ट जिसे परिवार के दबाव में हटा देना पड़ा था लेकिन भड़ास है की निकल ही आयी
पिछ्ले साल २६ नवंबर को अजमल कसाब और उसके साथियों ने मुंबई पर एक भयानक आतंकी हमला करा और १५५.६७ करोड़ रुपए की संपत्ति के नुकसान के साथ ही लगभग पौने दो सौ लोगों निर्दोष लोगों को बेरहमी से मार डाला। हमारे कुछ जांबाज़ पुलिस अफ़सरों ने अपनी जान पर खेल कर एक आतंकी को जीवित गिरफ़्तार कर लिया। ये कहानी आप सब जानते हैं।
उसके बाद जो हो रहा है वो भी आप सब देख रहे हैं कि सरकार ने उस सुअर को एक वकील दिया है जो उसे बेकुसूर सिद्ध करने के लिये हर माह पचास हजार रुपए सरकार से लेता है, इस आतंकी सुअर की सुरक्षा भारत के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा है, जिसमें करोड़ों रुपए खर्च करे जा रहे हैं।
वो सुअर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का खुलेआम मजाक उड़ा रहा है और संवैधानिक कार्यवाही के नाम पर खुल कर चूतियापे का खेल हमारी सरकार पिछले साल भर से खेल रही है। आप किसी को एक थप्पड़ मार दें तो पुलिस आपको नंगा करके उल्टा लटका देगी अगर वो रसूखदार है और हो सकता है कि आपको लाक अप में ही मार दिया जाए।
आज मैं डॉक्टर रूपेश श्रीवास्तव, भड़ास का संचालक सारी दुनिया के सामने कुछ दिल की बातें रखना चाहता हूं। मुझे इसके संभावित परिणाम भी पता हैं कि हो सकता है मुझे तत्काल गिरफ़्तार कर लिया जाए। जांच शुरू हो जाए कि कहीं मैं किसी हिंदू कट्टर पंथी संगठन का सरगना तो नहीं, कर्नल पुरोहित का साथी तो नहीं, पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी के लिये कसाब को मारने के लिये मुझे भी एफ़।बी।आई। और सी।आई।ए। के संग आई।एस।आई से अरबों खरबों रुपया तो नहीं मिल रहा है। मेरे साथ मेरे सारे साथी तुरंत शक के घेरे में जाएंगे ,मेरा परिवार भाई बहन आदि सब लपेट में जाएंगे। जाने क्या क्या होगा इसका अंदाज भी नहीं लगाया जा सकता।
मैं अपने देश पर हमला करने के अपराधी पर अब तक दंडात्मक कार्यवाही कर पाने वाली सरकार को निकम्मी और निर्लज्ज मानते हुए स्वयं इस नतीजे पर एक साल तक इस प्रकरण को समझने के बाद आया हूं कि मुझे इस देश का एक जिम्मेदार स्वाभिमानी नागरिक होने के नाते अजमल कसाब का वध कर देना चाहिये। मैंने इरादा बनाया है ये हमारी सरकार की नजरों में एक जुर्म है ये मैं लिख कर दे रहा हूं जिसके लिये मुझे फांसी पर चढ़ना स्वीकार है। मरते समय दिल में तसल्ली रहेगी कि जो करा वो राष्ट्रहित में था, देश की अस्मिता की रक्षा के लिये था, कोई राजनैतिक या कूटनैतिक उद्देश्य नहीं था। मुझे नहीं पता कि मेरे ऊपर कितना लंबा मुकदमा चलेगा, क्या क्या सवाल उठेंगे, बस जो दिल में है वो आप सबको साक्षी बना कर बता रहा हूं।
मेरे साथ इस इरादे में कोई शामिल नहीं है ये एक व्यक्तिगत निर्णय है। मेरे पास कोई हथियार नहीं है मैं उसे अपने हाथों से ही मारूंगा उस सुअर की एक एक हड्डी को हिंदुस्तानी हाथ का स्वाद चखाना चाहता हूं और उसे तड़पा-तड़पा कर मारना चाहता हूं , हर लात और घूंसे के साथ उस सुअर को बताउंगा कि देख ये उस आदमी का हाथ है जो भारतमाता की रक्षा के लिये जान दे सकता है और जान ले भी सकता है। यहां के लोग अब भी देश को प्यार करते हैं यहां सिर्फ़ हिजड़े नेता ही नहीं आम आवाम भी है जिसकी गै़रत जाग उठी तो वो किसी भी दुश्मन के चिथड़े उड़ा सकती है।
भारत की मौजूदा सरकार जो कि कसाब जैसे लोगों के सामने साक्षात षंढत्त्व की मूर्ति बनी खड़ी है उससे मेरी दरख्वास्त है कि मुझे कसाब की हत्या का इरादा रखने के इल्जाम में सजा दे। जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र आदि के नाम पर लड़ाने वाले राजनेताओं को भी चेतावनी है कि कहीं ऐसा हो कि ये लावा उनकी तरफ भी मुड़ जाए इसलिये कसाब से पहले मुझे फांसी दे डालो।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

गुरूदेव ऐसा नहीं है कि मैं उस दुष्ट पिशाच को नहीं मारना चाहता हूं लेकिन आपमें कह पाने का साहस है मुझमें अभी वो बात नहीं आ पायी है। भड़ास से जुड़ा हर व्यक्ति आपकी बात से इत्तेफ़ाक रखता है लेकिन अजीब बात तो ये है कि किसी ने अब तक सहमति तक नहीं जताई...
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

एकदम सही बात,
जब तक ऐसे अपराधी को सजा नहीं मिलेगी ये हत्यारे ऐसे ही दुर्दांत बनते रहेंगे, हमारे यहाँ ह्त्या का तांडव मचा कर सरकारी दामाद बन सरकार के पैसे पर केस लड़ते रहेंगे और हमारी व्यवस्था को धत्ता बताते रहेंगे.
गुरुदेव आप ही नहीं हिन्दुस्तान का बच्चा बच्चा आपसे सहमति रखेगा.
जय जय भड़ास

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