लो क सं घ र्ष !: न्याय क्या करेंगे जब न्यायधीश को कानून की जानकारी नहीं
मंगलवार, 12 जनवरी 2010
न्याय विभाग में अकुशल पीठासीन अधिकारियों के कारण जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है । मिलावट के कानून के एक जजमेंट में अपर सत्र न्यायधीश ने माननीय उच्च न्यायलय के समक्ष यह स्वीकार किया कि उन्हें अंतर्गत धरा 272 आई.पी.सी के तहत कितनी सजा देनी चाहिए थी उसकी जानकारी नहीं थी । विधि के अनुसार यह माना जाता है कि कानून जैसे बन गया उसकी जानकारी भारतीय संघ से सम्बंधित सारे लोगो को हो गयी है । न्याय विभाग में गुण-दोष के आधार पर निर्णय नहीं हो पा रहे हैं इसलिए भी वाद लंबित रहते हैं । अकुशल पीठासीन अधिकारी अपने सारे अपराधिक वाद के जजमेंट में सजा सुना कर इतिश्री कर लेते हैं। सजा सुना देने से वाद का निर्णय नहीं हो जाता है और अब व्यवहार में अधिकांश पीठासीन अधिकारी अभियोजन पक्ष के एजेंट के रूप में कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता तथा उससे सम्बंधित अन्य विधियों की अनदेखी होती है जनता पीठासीन अधिकारियो को बड़े सम्मान की निगाह से देखती है लेकिन उनके निर्णय जो आ रहे है उससे न्याय नहीं हो पा रहा है आज आवश्यकता इस बात की है की पीठासीन अधिकारियों को और बेहतर प्रशिक्षण और कानून की जानकारी दी जाए ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
2 टिप्पणियाँ:
विधि के अनुसार यह माना जाता है कि कानून जैसे बन गया उसकी जानकारी भारतीय संघ से सम्बंधित सारे लोगो को हो गयी है
वाह रे साली विधि जो खुद ही वातानुकूलित कमरों में रेशमी चादरों में लेट कर मान लेती है कि सबको उसकी जानकारी है। इससे बड़ा चूतियापा क्या होगा किसी देश में? अगर हम अभी भी नहीं चेते तो एक दिन अरबी या अमेरिकी साम्राज्यवाद हमारे देश को लील लेगा
जय जय भड़ास
सुमन भाई आपको हो सकता है कि बुरा और अजीब लगेगा लेकिन ऐसे वकील और न्यायाधीशों को सामाजिक न्याय के हाथ में सौंप देना चाहिये ताकि जनता इन्हें सड़कों पर नंगा दौड़ा कर जूते मारे। न्यायकर्ता यदि बेशर्मी से इस बात को स्वीकार रहा है कि उसे विधि के अमुक पक्ष की जानकारी ही नहीं है तो क्या वह खुद कड़ी से कड़ी सजा का हकदार नहीं है? ऐसे लोग न जाने कितने बेकुसूर लोगों को सजा दे देते होंगे और कुसूरवारों को खुला छोड़ देते होंगे। क्या गारंटी है कि ऊपर और सबसे ऊपर बैठे बंदे को भी विधि की जानकारी सही होगी और होगी भी तो वह उसे सही इस्तेमाल करेगा ये शक तो दिमाग में आता ही है।
जय जय भड़ास
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