लोग ठंड से मर रहे हैं ये बात बिल्कुल गलत है
शनिवार, 9 जनवरी 2010
आजकल समाचार पत्रों में खबर पढ़नें आती हैं कि देश में लोग सर्दी से मर रहे हैं। ध्यान दीजिये कि क्या सर्दी इससे पहले नहीं पड़ी है या इससे ज्यादा नहीं पड़ी है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि लोगों की इस तरह हुई मौतों को मीडिया इस बार ही कवरेज दे रहा है? ऐसे बहुत सारे सवाल भड़ास के साथ दिमाग में आए तो विचार करने पर पता चलता है कि असल बात तो ये है कि मरने वाले ठंड से नहीं गरीबी से मर रहे हैं। इस कदर गरीबी बढ़ रही है कि हर साल पड़ने वाली सर्दी भी अब गरीब आदमी की जान ले रही है। अभी जब गर्मी आएगी तो यही आदमी जो गरीब है गर्म लू के थपेड़ों से मरेगा और बरसात आने पर भी इसी का झोपड़ा डूब जाता है, गरीब आदमी की मौत हर मौसम में हो रही है। अरे यार! गर्मी होगी तो अमीर आदमी साधन संपन्न है ए.सी. चला लेगा, सर्दी लगेगी तो रूम वार्मर चल रहा है उसके बंगले पर और बारिश में तो वाटर प्रूफिंग है बंगला गिरना तो दूर पानी तक नहीं टपकता उसके बेडरूम में, अमीर आदमी बारिश को एन्ज्वाय करता है और बेवकूफ़ गरीब कहीं का उस आनन्ददायक बरसात में भी मर जाता है। पता नहीं क्यों इस देश में गरीब लोग हैं जब देखो जहां देखो मर जाते हैं खामखां ही। भारत सरकार को चाहिए कि या तो गरीबी खत्म कर दे या सारे गरीबों को ओबामा अंकल के पास अमेरिका भेज दे ताकि ये सर्दी से लोग मर रहे हैं इस तरह की बेवकूफ़ी भरी खबरों से अखबार वाले पकाना तो बंद करें।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
आप ने सही लिखा गुरुदेव कि लोग ठंड से नहीं गरीबी से मर रहे हैं। सरकार की बेशर्मी है जो इस कलंक को नज़र लगने से बचने का डिठौना मान रही है।
जय जय भड़ास
करारा व्यंग्य
आपकी बात बिल्कुल सही है जी
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