लो क सं घ र्ष !: जाति न पूछो जज की
सोमवार, 24 मई 2010
कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीण्डी दिनाकरन पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं वो किसी से छुपे नहीं है। इस बाबत महाभियोग कि प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है|उन पर 400 एकड़ ज़मीन ग़ैरक़ानूनी ढंग से हथियाने का आरोप है। न तो उन्होंने ही त्यागपत्र दिया है और न ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन ने उन्हें हटने को कहा है। बालाकृष्णन ने तो ये जानते हुए भी कि दिनाकरन भ्रष्टाचार में लिप्त है उनके नाम की संस्तुति सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए की, इस से न्यायपालिका की छवि धूमिल हुई है। रही सही कसर मायावती ने पूरी कर दी। उन्होंने कहा कि क्योंकि दिनाकरन दलित हैं इसलिए उनपर आरोप लगाया जा रहा है। अब भ्रष्टाचार का जात पात से क्या लेना ? जज पहले जज होता है फिर कुछ और। मैं पूछता हूँ कि अगर दिनाकरन के साथ दलित होने के कारण ये सब किया जा रहा है तो क्या वे तब दलित नहीं थे जब वे कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए थे। लोगो का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ाने के लिए न्यायपालिका को ही उदाहरण पेश करने होंगे।
मुकेश चन्द्र
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