ग्लोबल वार्मिंग के लिये जैन राक्षस जिम्मेदार हैं मनुष्य नहीं

मंगलवार, 25 मई 2010

हर धर्म की किताबों को पलट कर देख लीजिये आपको उसमें ईश्वरीय शक्ति के साथ ही शैतानी और जादुई ताकत की जिक्र अवश्य मिल जाएगा। इस्लाम के गन्थ इन बातों की पुष्टि करते हैं, ईसाईयत की किताबें भी इस बातों की पुरजोर पुष्टि करती हैं, हिन्दू धर्म गृन्थ तो साफ़ साफ़ ही देवताओं के साथ दानवों, असुरों और राक्षसों के बारे में और उनकी हमेशा पूरी सृष्टि पर काबिज़ हो जाने की हमेशा की इच्छा बतायी जाती है। हिन्दू धर्म गृन्थ बताते हैं कि हमारे देवी-देवताओं ने हमेशा मानव जाति और उसके स्वर्ग यानि धरती को बचाए रखने लिये न जाने कितनी बार राक्षसों से लड़े हैं।
आप देख सकते हैं कि आज हालात ऐसे हो गये हैं कि जब हिन्दुओं के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और लीला पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण के बारे में सरकारी तौर पर कह दिया जाता है कि ये सब काल्पनिक चरित्र हैं लेकिन ईसा और हजरत मोहम्मद काल्पनिक नहीं हैं उनके तो लिखित इतिहास मौजूद हैं। चलिये राम और कृष्ण की बात ही मत करिये लेकिन कम से कम बाइबिल और कुरान पर तो ध्यान दीजिये जिसमें सोलोमन और मोहम्मद के समय जादू की बात बतायी गयी है और हजरत मोहम्मद ने तो जादूगरों को जान से मार देने के निर्देश भी दिये थे ऐसा हमारे एक इस्लाम के महापंडित ने बताया है।
फिर आज ऐसा क्या हो गया है कि हम मनुष्य इन जादूगरों और इनके शैतानी जादू को नहीं पहचान पा रहे हैं, ये असुर कहीं खत्म नहीं हुए बल्कि हम मनुष्यों में मिलजुल कर रह रहे हैं लेकिन अपनी काली करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। सत्ता से लेकर धर्म संस्थाओं में घुसपैठ बना कर ये दुष्ट नीतियों और आर्थिक ववस्था पर काबिज हो गये हैं। इनकी पहचान भारत में जैनों के रूप में करी गयी है जो कि नग्न मूर्तियों की उपासना करते हैं और "जयति जिन शासनम" का नारा बुलंद करते हैं, जिन(ये शब्द प्रपंच करके कहते हैं कि ये जिन्न और जिन अलग अलग हैं जबकि आप इस बात को किसी भी मुसलमान मित्र से जान सकते हैं कि ये शब्दों का खेल करके भ्रमित करते हैं) क्या और कौन होते हैं
अभी हाल ही में ग्लोबल वार्मिंग के प्रति मानवों में समझ आयी है कि ये अनर्थ हो रहा है कि धरती का तापमान बढ़ रहा है इसके लिये वृक्षों की अंधाधुंध कटाई एक बड़ा कारण है। ये राक्षस अहिंसा, करुणा, जीवदया जैसे शब्दों की भूल भुलैय्या में सबको उलझा कर खामोशी से अपना काम कर रहे हैं।
हाल ही में मुंबई में मेट्रो रेल के प्रोजेक्ट में हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं चेंबूर में जैन मंदिर के सामने से ये प्रोजेक्ट जब गुजरेगा तब गुजरेगा लेकिन इन राक्षसों ने पेड़ काटे जाने का जरा भी विरोध न करा है क्योंकि इन्हें हरियाली पसंद नहीं है ये तो कबूतरों को दाना खिलाएंगे जो कि खंडहरों में रहने वाला पक्षी है गौरैया को दाना नहीं डालेंगे; चींटियों को चारा डालेंगे ये दिखाने के लिये कि ये जीवों से प्रेम करते हैं पर सिर्फ़ वहीं जीव जो कि इंसानों के घरों को खोखला कर दें।
इन राक्षसों को पहचानिये और इनके कथित धर्म को समझ कर सावधान हो जाइये। भारत में ये असुर राक्षस जैन हैं। जिसे इस विषय पर कोई शक शुबहा हो वह हमसे सीधा विमर्श कर सकता है।
अभी आप देखियेगा कि हमारी इस हक़ बात पर ये राक्षस कैसे तिलमिलायेंगे।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice...............nice..............nice

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

अभी तो ये हालत है कि आप इस बात पर इतना लिख चुके हैं कि जैन लोगों ने भी प्रतिक्रिया बंद कर दी वरना अब तक आपके नाम से पच्चीसों बेनामी कमेंट आ चुके होते जिसमें आपकी माँ-बहन एक करी हुई होती......
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

लगे रहो , कभी तो बिली के भागो छीका गिरेगा...:)

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