रणधीर सिंह सुमन को nice के अलावा welcome भी लिखना आता है साथ ही सच से बचना भी
सोमवार, 31 मई 2010
मैंने ब्लाग दुनिया के सामने रणधीर सिंह सुमन नाम के उन महाशय का नकाब नोचना शुरू करा है जो कि लोकसंघर्ष नाम से एक राजनैतिक पत्रिका, ब्लाग और न जाने क्या क्या चला रहे हैं। मैंने अपने पिछले पत्र में लिखा था कि ये महाशय स्पष्ट बताएं कि ये जैन लोगों को राक्षस और असुर कहने वाले सिरफ़िरे अनूप मंड्ल के लोगों को प्रोत्साहित करके क्या सिद्ध कर रहे हैं?
पिछला प्रकाशित पत्र देखिये
कोई सारी जैनों को राक्षस कहता है तो ये उसकी प्रशंसा में आ जाते हैं यानि कि ये मानते हैं कि इन्हें हार्ट अटैक से लेकर ग्लोबल वार्मिंग के लिये जैन जिम्मेदार हैं। अपनी कुटिल सोच के चलते इन्होंने एक नया टोटका अपनाया है प्रसिद्धि के भूखे लोगों के लिये जिसे ये ब्लागोत्सव कह रहे हैं जिसमे तमाम हाइपर लिंक्स दी रहती हैं, क्या कभी भड़ास की भी लिंक इस ब्लागोत्सव में दी है या बस इस सच्चे लोकतांत्रिक मंच को अवसरवादियों की तरह इस्तेमाल ही कर रहे हो?
अब तक सिर्फ़ नाइस लिख कर काम चलाते रहे लेकिन मुझे वेलकम लिख रहे हो याद रखो कि जल्द ही मैं तुम्हारी कुटिलता और प्रसिद्धि की बेलगाम वासना को नंगा कर दूंगा। यदि सचमुच सत्य स्वीकारने का साहस है तो अपने ब्लाग पर लिखो कि देश के लगभग चार करोड़ जैन राक्षस हैं और तुम्हारे लोकसंघर्ष में इनके लिये कोई स्थान नहीं है।
भड़ास की जय हो
जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
सुमन जी
कुछ तो कहिये
लोकसघर्ष की सभी पोस्टों को 7-8 सामुदायिक चिट्ठों पर एक साथ प्रकाशित करने का औचित्य भी समझ नही आता है।
प्रणाम
nice
सुमन जी,क्या बात है क्या ये nice भी आप किसी दूसरे से लिखवा रहे हैं जिसमें इतनी भी अक्ल नहीं है कि कोई बंदा आपके कपड़े उतारे दे रहा है और ये है कि इस पर भी nice(भड़ास पर इस नाइस को बुखार की दवा निमैसुलाइड का ब्रान्ड नेम बताया जा चुका है)लिख रहा है। आप अपना पक्ष क्यों स्पष्ट नहीं करते? या अगली पोस्ट पर welcome लिखवा देंगे?
अंतर सोहिल जी ने भी आपके मत को जानना चाहा है वैसे आपके लाखों चाहने वाले इच्छा रखते होंगे कि आप साफ़ बात करें।
जय जय भड़ास
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