न्यायायिक व्यवस्था की समीक्षा कराने से लोगों के स्वार्थ पूरे होना बंद हो जाएंगे : भोपाल गैस त्रासदी

मंगलवार, 8 जून 2010

भोपाल गैस काँड के पच्चीस साल बाद निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी करार दिया है लेकिन अब एक विचित्र बात देखिये कि कल तक जब भूतपूर्व चीफ़ जस्टिस बालाकृष्णन न्यायपालिका से सीधे जुड़े थे इस विषय पर चुप्पी साधे थे लेकिन अब मुँह फाड़-फाड़ कर बयान दे रहे हैं कि जो हो रहा है वह गलत है। जिस विधि के शासन की बात करी जाती है वह अपाहिज और अपंग सा प्रतीत होने लगा है। जाँच एजेन्सियाँ दोषियों को बचाने के लिये दबाव में काम करने की बात बता रही हैं कि फ़लनवा को तो दबाव के कारण जाने दिया गया।
न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सटीक समीक्षा की बेहद आवश्यकता है अन्यथा लोग खुद शस्त्र उठा कर न्याय की उम्मीद लगा लेंगे। राक्षस और आसुरी शक्तियाँ तो चाहती ही यही हैं कि न्यायपालिका में गड़बड़ी बनी रहे ताकि अराजकता का माहौल बना रहे और इनकी पैशाचिक हरकतों की तरफ़ किसी का ध्यान ही न जाए।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

क्या बात है इस बात में भी आपने जैनों को नहीं छॊड़ा? कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके मुताबिक भोपाल गैस कांड के पीछे जैनों का हाथ या पैर या दिमाग था? हो सकता है कि एंडरसन को भगाने के पीछे ये लोग रहे हों आप लोग जरा पता तो लगाइये
जय जय भड़ास

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