समाज का सारा का सारा सम्मान क्या लड़की की टांगों के बीच से ही शुरू होता है?

शुक्रवार, 25 जून 2010

बहन भाग गयी और गैर जात या मजहब के लड़के से शादी करली तो सारा समाज ताने देने लगता है जिससे भाई,पिता,चाचा आदि लड़की की हत्या करने पर बाध्य हो जाएं, समाज का ये रूप तो देख लिया है। इसी समाज में कितनी बार ऐसा होता है कि लड़का अगर गैर जात मजहब की लड़की को लेकर भाग जाए तो उसकी हत्या कर दी जाए या घर वालों पर छीटाकशी हो?भारतीय समाज में विभिन्न समुदायों को देख लीजिये यदि लड़का ऐसा करता है तो उसे थोड़ी सी नानुकुर करके परिवार स्वीकार लेता है या फिर फ़ख्र से सीना तान कर चलना शुरू कर देता है। कई बार तो अजीब लगने के साथ घिन भी आती है कि परिवार के लोग अपने बलात्कार करके आए लड़के को बचाने के लिये जमीन आसमान एक कर देते हैं। ऐसा नहीं करते कि परिवार के लोग अपने सामाजिक सम्मान की रक्षा के लिये उसको काट कर फेंक दें। समाज का सारा का सारा सम्मान क्या लड़की की टांगों के बीच से ही शुरू होता है? जब तक लोग अपने भीतर झांक कर इस सत्य को स्वीकार कर कमी दूर नहीं करेंगे ये विषमता बनी रहेगी भले ही कानून कुछ भी बना रहे।
जय जय भड़ास

10 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

फ़रहीन आपने सही सवाल जूता बना कर मारा है समाज के ठेकेदारों पर कि सारा का सारा सामाजिक सम्मान क्या लड़की की टांगों के बीच से ही शुरू होता है????आपकी साइबर कानून की परीक्षा में सफ़लता के लिये अभी से शुभकामना:)
जय जय भड़ास

harish singh ने कहा…

kadva sach, shubhkamna.

vandana gupta ने कहा…

बेहद कटु सत्य को उजागर किया है……………ना जाने कब ऐसा होगा जब समाज का नज़रिया बदलेगा।

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

wah dhamaka kar diya kafi dino bad wapsi huyi badhai

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

सही लिखा आपने कि बलात्कार करके लाक अप में बंद बेटे के लिये पूरा परिवार जमानत के लिये जमीन आसमान एक कर देता है। अभी समाज और कानून के बीच जो दूरी है वह बनी हुई है क्योंकि मेरा निजी तौर पर मानना है कि भारत का संविधान मात्र एक ऐसा पुथन्ना बन कर रह गया है जिसे हमारे नेता भगवद्गीता की तरह लाल कपड़े में लपेट कर रखना चाहते हैं
जय जय भड़ास

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

सामाजिक सोच तो ऐसी ही है अब तक कि लड़कियां यदि अपनी मर्जी से शादी कर लें तो परिवार का सिर झुक जाता है, कम से कम हमारे गांव में तो यही हाल है सो आज तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी लड़की ने जरा सी भी प्यार के झूले पर पींग बढ़ाई हो और उसे घर में जूते न पड़े हों लेकिन जिस लड़के का मामला रहता है उसके घरवाले बेफ़िक्र रहते हैं सचमुच इस ढकोसले से घिन आती है
जय जय भड़ास

ज़ैनब शेख ने कहा…

फ़रहीन आपा,आपने जो लिखा वो सवाल काफ़ी मायने रखता है क्योंकि समाज तो अपनी जवाबदारी मानता ही नहीं है। जब तक ये जवाब नहीं आएगा लोग अपनी इज़्ज़त को बेटी की टांगों के बीच ही तलाशते बचाते रहेंगे।
जय जय भड़ास

आयशा धनानी ने कहा…

Dear Farheen aapne sahi sawaal uthaya hai lekin jawaab dene vale chuppi rakhe hain.

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