क्या आपको नहीं लगता कि सीमा पर सुरक्षा में जादूगरों का सहयोग लेना चाहिये?
शनिवार, 10 जुलाई 2010
जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की स्थिति थी तो उस दौरान सोवियत संघ के विघटन से पहले इस तरह की खबरें सैकड़ों बार उठीं कि अमेरिका में सैन्य प्रणाली में परामानसिक शक्ति सम्पन्न लोगों की सहायता ली जाती है जो कि अपने ध्यान आदि की शक्ति से सोवियत संघ की कूटनीतिक गतिविधियों की टोह लेते हैं। ये बात कथित विज्ञान के अंधविश्वासियों को हास्यास्पद लग सकता है जो कि मॉडर्न फिजिक्स या कैमिस्ट्री की चार किताबें पढ़ कर खुद को आधुनिक और अतिमानवीय शक्तियों पर यकीन करने वालों को दकियानूसी मान लेते हैं। सब जानते हैं कि अमेरिका खुद को आधुनिक विज्ञान का झंडाबरदार मनवाए पड़ा है लेकिन आप देखिए कि वहाँ की फिल्में जो कि उस समाज की झलक देती हैं आपको वैम्पायर, वेयर वोल्फ़, सुपर मैन आदि जैसी धारणाओं के अत्यंत पुष्टता से होने का प्रमाण है कि ये विषय वहाँ सहज स्वीकार्य है। अमेरिका ने अपनी प्रगति के लिये समेकित प्रयास करे एक तरफ लार्ज हेड्रान कोलाइडर जैसी महामशीन के द्वारा पदार्थ की उत्पत्ति को समझने का प्रयास करा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ डिस्कवरी चैनल पर आप नित्य ही हॉन्टेड हाउस वगैरह जैसे कार्यक्रम देख पाते हैं जहाँ भूत प्रेतों के अस्तित्त्व को यंत्रों और कैमरों की सहायता से सिद्ध करने का प्रयास करा जाता है।
मेरा मानना है कि जादू को एक कला के रूप में स्वीकारा जाए भले ही वह हाथ की सफ़ाई हो या दाँत की सफ़ाई, नज़रबंदी हो या मेस्मेरिज़्म की ट्रिक्स लेकिन कुल मिला कर ये एक कला का रूप धारण कर लेता है। यदि सीमा सुरक्षा में बंकर या चौकी बनाने में इन कलाकार जादूगरों की सहायता ली जाए जो कि ताजमहल से लेकर ट्रेन तक गायब कर देने का हुनर रखते हैं इतना बड़ा धोखा यदि हम शत्रु पक्ष में बैठी सेना को दे सकें तो शायद हम अपनी रक्षा में होने वाले बजट को कम कर सकेंगे साथ ही इन जादूगरों को पर्याप्त सम्मान दे सकेंगे जिसके ये हकदार हैं। मेरा मानना है कि जादूगर कोई विदूषक या जोकर नहीं है जो कि महज मनोरंजन के लिये ही कार्य करें।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
गुरुदेव जादूगर तो हमारे राजनेता और पत्रकार हैं जो मामले को उलझा कर रखना चाहते हैं की इन लोगों की रोटियां सिकती रहे नहीं तो आम लोग तो हमेशा से सौहार्द चाहते हैं,
जय जय भड़ास
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