बिहार विकास, हकीकत तो है मगर इसके अनजाने चेहरे भी हैं...
शुक्रवार, 9 जुलाई 2010
अभी अभी गाँव से आ रहा हूँ, बेटे का मुंडन था सो घर जाना ही था मगर इसी बहाने नितीश सरकार के विकास को भी देखना था और राजधानी पटना से लेकर सुदूर भारत नेपाल सीमा तक देख अपने अनुभव सहेज आया.
बात अगर सड़क की करें तो नि:संदेह नितीश जी बधाई के पात्र हैं क्यूंकि बिहार में बड़े पैमाने पर सड़क का निर्माण हुआ है, पुल और पुलिया बने हैं और साथ ही कई सड़क और पुलिए का काम चालू है मगर इस विकास के साथ सबसे बड़ा सवाल जो उठने से पहले ही सरकारी नुमायिंदे, मीडिया और बुद्धिजीवियों द्वारा उठाया ही नहींगया और अगर किसी ने उठाने की जुर्रत की तो तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा उसे दबा दिया जाता है फिर भी बिहार के विकाश को विगत सालों में जिस तरह से बिहार विकास को सरकारी मशीनरी द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है आगे वो पटरी पर वापस आ रही है तो हम वर्तमान सरकार को जरूर साधुवाद देंगे.
एक छोटा सा रास्ता ४ किलोमीटर का जिसे तय करने में लगते हैं अभी भी आधा घंटा का वीडियो का पहला भाग देखिये, कहानी के दुसरे पहलु को अगले पोस्ट में आपके सामने लाऊंगा.
3 टिप्पणियाँ:
चाहे कोई भी सरकार रहे .. किसी भी क्षेत्र का जादुई विकास तो नहीं हो सकता .. समय तो देना ही होगा !!
रजनीश भाई आपने जो सड़क दिखाई है उस पर आप चार किलोमीटर यदि पैदल निकल पड़ें तो शायद जल्दी गंतव्य तक पहुंच सकते हैं आपसे किसने कहा कि आप बड़ी गाड़ी लेकर इस सड़क पर आइये। कहीं भी एक बोर्ड लगा दिखा कि ये सड़क कार आदि के लिये बनाई गई है? नहीं न.... तो फिर क्यों चलाते हो भाई उस पर कार? विकास हुआ है सड़कों का दिख रहा है
जय जय भड़ास
भाई अजय जी,
भारत नेपाल सीमा को जोड़ने वाली ये अति संवेदनशील सड़क है, अंतर्राष्ट्रीय संवेदन शीलता इतनी की इसी सड़क के कारण ये इलाका आई एस आई को अपनी गतिविधियों के लिए जन्नत लगता है.
संगीता जी आपसे सहमत हूँ मगर सीमांचल जब आतंकवाद की भट्ठी में जल रहा है और पाकिस्तानियों के लिए नेपाल एक खुला रास्ता है तो सरकार इस संवेदनशीलता को अपनी जातिगत राजनीति पर कैसे तौल सकती है.
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