पत्रकारिता का सबसे बड़ा जुतखोर, अपने हित के लिए किसी को भी बेचने वाला मोहल्ला का अविनाश पत्रकारिता की दलाली कर पत्रकारिता से निकले जाने के बाद वेब पर दलाली का अड्डा बना बैठा है, जहाँ सिर्फ अपने फायदे के लिए अपने हित की बातों को पब्लिश कर धंधे के राह में वेब को अपनी गंदगी से गंध कर रहा है. निरुपमा की मृत्यु होने के समय इसने अपने रिश्तेदार प्रियभान्शु को बचाने के लिए ना सिर्फ मोहल्ले का उपयोग किया अपितु अपने प्रभात खबर के दिनों की पहचान का उपयोग करते हुए पाठक परिवार को धमकाना और पुरे मामले में पुलिस प्रशासन को प्रभावित करने में सभी क्षद्म हथकंडे का उपयोग किया.
आवेश तिवारी के मोहल्ले के लेख पर जब आवेश को उसकी हकीकत के बारे में बताते हुए टिप्पणी की गयी तो इस शातिर ने बड़े शातिराना तरीके से उन सभी टिप्पणियों को हटा दिया जिस से इसकी और आवेश तिवारी की हकीकत खुल सकती थी.
अपने पोस्ट पर खुद ही बेनामी टिप्पणी करने में मशहूर इस कलुए ने बेनामी नाम से स्वयं की टिप्पणियों को सहेज कर रखता है क्यूंकि इसी बहाने ये पत्रकारिते के नए वंश को अपने पत्रकार होने के बारे में बता सकता है जिस से की इसका इतिहास छिप जाए. दूसरों के ब्लॉग से पोस्ट को चुरा चुरा कर साईट चलाने वाला ये कलुआ अपनी इसी हड्कतों की वजह से प्रभात खबर और एन डी टी वी से जूते खा कर निकला जा चुका है.
2 टिप्पणियाँ:
कलुआ सुधरने वाला तो है नहीं तो सीधी बात है कि वो तो ऐसी ही हरकते करेगा। हम और आप उसे चाहे कितना भी रिन साबुन से रगड़ें वो चरित्तर में गोरा तो होने से रहा। एक बात समझ नहीं आती कि यशवंत सिंह ज्यादा बड़ा छिछोरा है या ये कालू? ये शोधकर्ताओं के लिये एक गहरा विषय हो सकता है
जय जय भड़ास
गुरुदेव दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं और अपनी फायदे के लिए किसी को बेच सकते हैं, रिश्ते तक को गिरवी रख सकते हैं. एका कलुआ दूसरा गोरा गैंडा.
जय जय भड़ास
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