जरा इस सलीम खान की दुकान जिसे ये लखनऊ ब्लागर्स एसोसिएशन कहते हैं उस पर बैठे लोगों को गौर से देखिये

शनिवार, 24 जुलाई 2010

आप सब गौर से देखिये.. लोकसंघर्ष के नाम पर साम्यवाद का फटा ढोल पीटने वाले कॉमरेड वकील रणधीर सिंह सुमन जिनके बनावटीपन की परतें जब श्री अजय मोहन जी ने उधेड़ना शुरू करी और इसमें मैंने भी हिस्सा लिया तो ये चूँ करके भाग लिये, ये महाशय इनके विधिक सलाहकार हैं जिन्हें पूरे भारत में सिर्फ़ झूठे मामलों में मुसलमान ही फंसते दिखते हैं ये बात भी भड़ास पर प्रमाण के साथ रखी गयी तो चिचिया पुपुआ कर रह गये और हगे की लीपापोती करने लगे। दूसरे गुफ़रान सिद्दकी जो कि मेरे द्वारा इनके कट्टरपन पर सवाल उठाया तो गालिब और मीर की टक्कर में आ खड़े हुए और ब्रेक के बाद हाजिर हुए शायरी लेकर, ये सोच कर कि शायद अब तक तो लोग पुरानी बात भूल चुके होंगे। ये सोचते हैं कि भारत की जनता को तो भूल जाने की आदत है सदियों से बड़े से बड़ा धोखा और कमीनापन आसानी से भूल कर वही जनता पाँच साल बाद गले लगा लेती है फिर नेता वही सड़े गले वायदे करता है। ये गुफ़रान सिद्दकी और रणधीर सिंह सुमन भी ऐसी ही नेतागिरी की जमीन तलाश रहे हैं। गलती कर बैठे कि भड़ास के मंच पर आ गये इन्हें लगा कि ये भड़ास तो यशवंत सिंह जैसे खोखले हड्डियों वाले सिद्धान्तहीन, दारूखोर और लम्पट जैसे लोगों का मंच है। कितनी भारी गलती करी कि आत्माहीन भड़ासblog का मुर्दा सजा कर मुर्दापरस्तों की भीड़ जमा करके रखने वाले के साथ भड़ास को जुड़ा मान बैठे, ये नहीं जानते कि भड़ासी तो कब का भड़ास की हत्या के बाद उस मुर्दे को भड़ासblog बना कर रखे उस मुर्दाघर से भड़ास की आत्मा को खुलेआम डाका डाल कर ले आए और उसे पुनर्जन्म दे दिया। भड़ास अपने मूल रूप और दर्शन के साथ अपना भड़ासाना मनोविज्ञान लिये पुनः सामने आ गया। अब इस बीच सलीम खान जैसे लोगों के लिये तो भड़ास परिवार आतंक का पर्याय न बने तो क्या हो? ये सचमुच बहुत बड़े बौद्धिक धूर्त हैं जो कि मुसलमानों में एक खौफ़ जीवित रखते हैं कि ये देश मुसलमानों के लिये सुरक्षित नहीं है, यहाँ तुम्हें लड़ कर हक़ लेना पड़ेगा, यहाँ जो सत्ता पर काबिज है वह तुम्हारा हितैषी नहीं है, मुसलमान लड़कों को जबरन आतंकी मामलों में फंसाया जाता है आदि आदि।
 मनीषा दीदी ने सलीम को रगेदा
गुफ़रान मुद्दा छोड़ शायरी करने लगा
शम्स ने डा.अनवर जमाल से सवाल करा
बात शम्स ने अनवर जमाल से शुरू करी थी उनके अनावश्यक लेबल "सेक्स" को लेकर
मैंने रणधीर सिंह से कई बार सवाल करे लेकिन लीपापोती के अलावा कुछ नहीं उत्तर मिला
दोनो शब्द प्रपंचियों की अलग अलग किस्सागोई है ये रहा रणधीर सिंह सुमन का उत्तर
रणधीर सिंह की लोईलप्पी पर लिखा था मैने
ये सवाल कट्टरपंथी मुसलमान गुफ़रान सिद्दकी से करा गया था
गुफ़रान सिद्दकी को उसी की भाषा में उत्तर देना मैंने भड़ास से ही सीखा और मुँहतोड़ जवाब दिया


 आप खुद सोचिये कि ये कितने खतरनाक लोग हैं जो अपने ही भाई बहनों की चिता पर रोटी सेंकने की फ़िराक में रहते हैं। इन्हीं की टीम में जाकिर अली रजनीश नाम का व्यक्ति भी है जिसे कई बार भड़ास पर अनावश्यक टिप्पणियाँ करने के बारे में रगेदा गया है ये पट्ठा अपनी दुकान के प्रचार के लिये हाइपर लिंक लगी असंबद्ध टिप्पणी करा करता था जब इसे पलटा गया तो ये भी भाग गया। सलीम खान कह रहा है कि आतंक परिवार इसके पीछे लगा है साथ ही ये भी लिख रहा है कि इसने अपनी पोस्ट पर टिप्पणी करी है लेकिन इसका तस्वीर के साथ प्रमाण महाभड़ासिन मनीषा नारायण दीदी जी ने सामने रख दिया है। अब इसे ये नहीं पता कि भड़ासी इस चिरकुट को तब तक दौड़ाएंगे जब तक ये मक्कारी से बाज न आ जाए। लिख रहा है कि  विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक चिट्ठा है, इसे ये भी नहीं पता कि जैसे ही सौ सदस्य होंगे सदस्यता की दुकान ब्लॉगर बंद कर देगा(पोपट होने में अभी समय है)।
बाकी बेचारे उस तरह के लोग हैं जो भीड़ देख कर किधर भी सदस्यता ले कर पिछलग्गू बन कर चल देते हैं ये भी नहीं जानते कि उनका आगे चलने वाला उन्हें गड्ढे  में ढकेल कर उनके कंधे पर पैर रख कर आगे बढ़ने के सपने देख रहा है भड़ासी जानते हैं कि बिल्ली के सपने में छीछड़े ही होते हैं। खुर्शीद नाम का बंदा डर कर पता नहीं किस चश्मुल्ली से सावधान रहने की हिदायत कर रहा है। ऐसे मक्कार और धूर्तों को तो भड़ास से आतंकित रहना ही जनहित में है। छद्मनेता और धूर्त लोग ऐसे ही झुंड बना कर लोगों को दशकों से चूस रहे हैं लेकिन अब इन्हें भड़ास पर घसीटा जाएगा और इनके असल चेहरे सामने लाए जाएंगे जो कि मच्छर,खटमल,जोंक जैसे खून पीने वाले हैं।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे

7 टिप्पणियाँ:

अनुनाद सिंह ने कहा…

बहुत सही। अधिकांश लोग पत्तियाँ और टहनियाँ तोड़कर विषवृक्ष को नष्ट करने की कोशिश करते हैं किन्तु कुछ समझदार भी होते हैं जो जड़ पर प्रहार करते हैं।

हमारीवाणी ने कहा…

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हमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.

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बेनामी ने कहा…

यहाँ इन लोगों का पूरा एक ग्रुप(जिसमें लेखक, पत्रकार, वकील, वैज्ञानिक, डाक्टर, प्रोफैसर जैसे लोग भी शामिल हैं) काम रहा है जिसमें कुछ लोग सामने और बाकी जाकिर अली जैसे कुछ लोग अन्दरखाते छिपे रूप में इनके किसी सुनियोजित षडयन्त्र के भागीदार हैं/ देख लीजिएगा एक न एक दिन राज से पर्दा जरूर उठ जाएगा कि ये सब लोग मिलकर पाकिस्तान या अरब के लिए काम कर रहे हैं/

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

ये लोग पाकिस्तान या अरब के आम आदमी के लिये भी काम करें तो दिल को तसल्ली होगी कि आम आदमी कहीं तो चूसा जाने से बचा है। लेकिन अनाम जी आपका नाम बड़ा ही बेनाम और गुमनाम सा है कुछ सरनेम वगैरह भी है या बस्स्स......
जय जय भड़ास

Unknown ने कहा…

अनुनाद जी से सहमत…
रुपेश जी, हम जैसे कई लोग "अति-शराफ़त" में मारे जाते हैं… वरना…

खैर कोई तो है जो इन्हें "सटीक" और "उचित" भाषा में "समझाइश" दे रहा है… :) :)

बेनामी ने कहा…

एकदम सही कहा गुरुदेव आपने, सुसरे किसी धरती के किसी भी जगह के इंसान के काम तो आये .
जय जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

चमत्कार... घोर चमत्कार...
भड़ास पर सुरेश चिपलूणकर पधारे और वो भी प्रसन्नता जताते हुए देख कर अच्छा लगा। आपका स्वागत है भाई कम से कम किसी बात पर तो आप सहमत हुए। शराफ़त की अति या न्यूनता पर हम भड़ासी विचार ही नहीं कर पाते जो दिल में आया लिखते हैं जिसे जो तमगा लगाना हो लगा दे वो बाद की बात है।
पुनः स्वागत
जय जय भड़ास

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