डॉ.अनवर जमाल द्वारा बनायी "भड़ास ब्रिगेड" को ईश्वरीय वितरण प्रणाली जानना है उनसे......

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

डॉ.अनवर जमाल अब आपके लिये ही विचार है तो भड़ास की तमाम पोस्ट आपको समर्पित रहने वाली हैं। वाद,विवाद,प्रतिवाद,अपवाद,संवाद और जितने भी इस काफ़िये में शब्द बन सकें उन्हें साथ ले लिया जाए तब आगे बढ़ते हैं।
"भड़ास ब्रिगेड" शब्द नया लेकिन सुपाच्य है अभी तक तो ऐसा किसी ने कहा न था अच्छा है कुछ कुछ फौजी पुट लिये प्रतीत हो रहा है।
समाज वर्गों में विभाजित क्यों को कोई शासक और कोई शासित क्यों हो। जब सब इंसान एक जैसे हैं तो कोई किसी पर राज्य करके कैसे निर्धारित करे कि क्या वाजिब है क्या नहीं?बात सिर्फ़ जबरई और ताकत की है जो काबिज हो गया वह अपने हिसाब से अपनी सोच पर धार्मिकता का रंग चढ़ा कर किताबें लिखवाता है कि ये ईश्वरीय संदेश है और यही जायज़ और हक़ बात है। क्यों नहीं सभी संसाधनों पर सबका अधिकार समान रहता जैसे कि प्रकृति ने सबको दिया है।
ईश्वरीय वितरण प्रणाली का स्पष्ट उल्लेख करिये साथ ही ये भी बताइये कि इस वितरण प्रणाली में धन का उल्लेख है?क्योंकि यही वो चीज़ है जो ईश्वर ने बनाई नहीं और मानवों ने अपने अनुसार देश काल के अनुसार अलग अलग वस्तुओं को विनिमय सिद्धान्तों से जोड़ कर अमीर-गरीब के वर्ग बनाए जैसे जिसके पास ज्यादा ऊंट वो अमीर जिसके पास नहीं वो गरीब आजकल जिसके पास ज्यादा रुपया वो अमीर जिसके पास नहीं वो गरीब। आप ईश्वरीय वितरण प्रणाली जो कि सर्वमान्य हो तत्काल सूचित करें कि जाति धर्म क्षेत्र उम्र स्थान लिंग आदि जैसे वर्गीकरण में संसाधनों की ईश्वरीय वितरण व्यवस्था क्या है। इस सिद्धान्त के आधार पर जितने भी वाद और उनसे उपजे विवाद हैं उनके हल तलाशे जाएंगे। इतनी बात लिखी लेकिन अब तक लेबल वाली बात की कहानी न बतायी। खैर वो तो आप जब बताना चाहेंगे जरूर जानना चाहेंगे लेकिन आप फिलहाल तो भाई दीनबंधु की समस्या का हल और ईश्वरीय वितरण प्रणाली स्पष्टतः बता दें। अग्रिम आभार सहित
जय जय भड़ास

6 टिप्पणियाँ:

दीनबन्धु ने कहा…

"भड़ास ब्रिगेड" भड़ासियों के लिये एक बहुत छोटा दायरा है इस शब्द से भड़ासी व्याख्यायित नहीं हो पाते महाराज....
आप पहले समझिये कि हम कौन हैं धर्म का उन्माद लिये खून के प्यासे लोग या खेतों में पसीना बहा कर अन्न उपजाते किसान?भूख लगने पर रोटी चुरा लेने वाले चोर या देश को मजहबी उन्माद की आग में लगातार झोंके रहने वाले लोग??
भड़ास समझने में वक्त लगेगा बाबू ये इंसानी बातें हैं चुटिया और दाढ़ी नहीं है कि किसी किताब में लिखी हो
जय जय भड़ास

सत्य गौतम ने कहा…

http://sunehribaten.blogspot.com/2010/07/blog-post.html?showComment=1279734108179_AIe9_BFwoqWUpIBLUMJAvTAUNanRnTWxKG2mMUsQcT47PLAzZwpg88T8YHaOktVDGVA3vS0ufM1xtbacLMe80-cX63w85QqAY53YeuEKfAnQxsJhPmagQXEfQ_DQbVvbIyA624rwEtBybkZNlbyVQs1q3RE8SgP9pc0WMpk9vKcKO9XtSfj-eyGqEVB2o9Y3Gdxa1-Rp6c1ZL9vwsReuaQJtdZ-cSuqzhl_3OCdy4Y4cphRk6jX1xp7wKGnyyITihwD_nTqsSVsloH-ZtY7FFg1W62SM7PCWD8VzT3LA-YaNuN8Be92-S8_aw2kMBkseXpBTeldoPhymM67zO75AO96rfYnVSU4phYMKwSiWpXAfKHavQJYgdy86OkjoaK4WOG_s0QxMt7ggnS9KguMmGUiFZc2Iz2Ql1DbijUe4-9N9qOsc1SO6_NDVyTB8-aZ_jHMywyrNhilXy6v5F7pBCb2JhXsHutRSD5wcIg1AUuqwsF4M3j3T2T79PFEkYwTGsKr4de1YBjY7NOkuvZdBmeRPQuSXCfobVnob04dzXB5xKuJPDn_yYd7-XTF5rDDg5Pts1ZKz2LNUn-yWJaOhONDw_hKFjKwAxO3e7D0QaQkPbxkDAosMWykuUCyTKl0lpKYrjsuo2vN0m0BP3X3T10YqGiSI6I_8H8CGY55fsaETbMcPBYGsszHb-_p2HK_qeABUZNuZyQgf#c6414835805705556810

सत्य गौतम ने कहा…

राष्ट्रवादी चिपलूनकर और सुधारवादी अनवर जमाल भी एकमत हो सकते हैं अगर मुसीबत उनके चेले पर पड़ जाये । वह दोनों को गुरूतुल्य कहता है।
अब यह पता नहीं कि उनका गुरू है कौन ?
जिनके तुल्य इन दोनों को उनके साझा शिष्य महक जी मानते हैं ।दोनों ने उन्हें समझाया परंतु उनकी समझ में तो तब आये जब वे समझना चाहें।जब उन्हें अपने गुरूओं के दिशा निर्देश को मानना ही नहीं है तो काहे को दिखावे के लिये उन्हें गुरूतुल्य कहकर उनके हाथ में इज्जत की लॉलीपॉप थमाते हैं जी ?
अनवर जमाल जी मेरे विचार भांप रहे हैं और समय उपयुक्त पाकर उनका अंतिम संस्कार करेंगे, वाह।हम इंतिजार करेंगे उस समय का, बिल्कुल पक्का।खुद वेद और रामायण में कमियां बताएं तो रिसर्च और सच कहलाये और वही काम हम कहलायें तो वे हमपर गुर्रायें, ठीक भी है, पठान रूलिंग क्लास में ही तो आता है, क्षत्रिय ही तो ठहरा।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

'भड़ास बिग्रेड' को बताना चाहिये कि वह कौन सी तकनीक या विधि है जिसकी वजह से
शासक वर्ग लोगों को उनका वाजिब हक़ अदा करने के लिये खुद को बाध्य महसूस करे?
और जनता जो मिले उस पर संतुष्ट हो जाये, फ़ालतू आंदोलन करके बवंडर खड़ा न करे ?
और सबसे बड़ी बात यह कि ‘वाजिब हक़‘ क्या है यह कौन तय करेगा ?
शासक या जनता ?

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

भाई डॉ.अनवर जमाल जी स्पष्ट कर दीजिये कि शासक और शासित के तय करने पर तो प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है लेकिन ये कौन निर्धारित करेगा कि आपके द्वारा बताए "वाजिब हक़" को कौन तय करेगा मुसलमानों का अल्लाह,हिन्दुओं का भगवान,ईसाइयों का गॉड,जैनों के तीर्थंकर या कोई और???? किस किताब से निर्धारित करेंगा कुरान शरीफ़ से,वेदों से,त्रिपिटक से,बाइबिल से?????
इन प्रश्नचिन्हों के भी उत्तर आपके पास अवश्य होंगे।
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

मित्र दीदी का प्रश्न अनुत्तरित है कृपया उत्तर दें,
जय जय भड़ास

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