जिसे मतली आ रही हो वो ही यहाँ आए वरना दूसरी जगहों पर पिकनिक मनाए
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
सन्नाटे का सीधा कारण तो संजय कटारनवरे ने लिख दिया है की जब तक लोगों को सहलाया जाय तब तक साथ रहते हैं और जैसे ही आप उनकी असलियत लिखना शुरू करते हैं वे अपना मुंह कला कर लेते हैं। वकील साहब सुमन जी के विषय में जो इसने लिखा उसके स्पष्टीकरण में वकील साहब किसी तरह लीपापोती करके धीरे से ये माहौल बना कर खिसक लिए की कटार नवरे को वे मार्क्सवाद सिखायेंगे लेकिन जब वह लिखना बंद कर देगा। पच्चीसों कम्युनिटी ब्लॉग पर वकील साहब और उनका लोक संघर्ष अपनी पेले पड़ा है क्योंकि वे लोग कंटेंट के मोहताज लोग हैं कि अगर लेखक ही भगा दिए तो क्या ब्लॉग पर घंटा बजाएंगे। भड़ास पर इन बातों कि कभी परवाह ही नहीं करी जाती यहाँ तक कि भाई रजनीश झा खुद अपने निजी ब्लॉग पर काफी कुछ लिखते हैं लेकिन उसे वे भड़ास पर नहीं परोसते हो सकता है उन्हें लगता हो कि ये भड़ास से अलग कुछ है लेकिन यहाँ तो लोग कविता , कहानी , भाषा , गाली सब को भड़ास के मंच पर आकर उगल जाते हैं। इन किस्सा कहानी और कविता आदि के लोगों का लिखा भी प्रकाशित होता है क्योंकि हमारे गुरुदेव डॉ रुपेश जी को जानते हैं कि तमाम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें दूध या घी हज़म नहीं होता, कुछेक को दही या पनीर नहीं पचता तो वे उल्टी कर देते हैं। इसलिए गले और दिल में अटकी बातों और विचारों को निकाल लेने कि यही सही जगह है। जिसे मतली आ रही हो वो ही यहाँ आए वरना दूसरी जगहों पर पिकनिक मनाए।
मेरी व्यस्तता बढ़ गयी है कि पत्नी बच्चे गाँव से आ गए हैं तो बस भड़ास पर विचारण-विचरण कर के भाग जाता हूँ।
गुफरान भाई भी क्या कटार नवरे के बदलने का इन्तेजार कर रहे हैं या रिसिया गए हैं????
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
दीनबंधु भाई आप जान सके कि भड़ास का दर्शन और मनोविज्ञान का क्या आधार है ये बड़ी बात है।
जय जय भड़ास
दीनबंधु भाई अपने को तो शुरू से ही सौ फीसदी बदहजमी रही है, कुछ भी हजम नहीं होता. रोजी रोटी भी हजम नहीं हो रही है.
आपकी शिकायत जायज है मगर बता दूं की मैं हर रोज अपने घर भड़ास पर ही होता हूँ और उल्टियों का सिलसिला जल्द ही शुरू करूंगा.
जय जय भड़ास
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