माओवादी बनिये और सरकार से रोजगार लीजिये ये ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बढ़िया है

मंगलवार, 31 अगस्त 2010

केन्द्र सरकार ने माओवादी हिंसा से प्रभावित राज्यों को ऐसी नीति बनाने के लिये कहा है जिस तरह कि केन्द्र ने पिछले साल घोषित करा था। केन्द्र सरकार की इस नीति के तहत नक्सलवादियों को एक आर्थिक पैकेज देने की बात कही गयी थी। इन नीति के अंतर्गत हिंसा छोड़ कर हथियार डाल देने वाले हर नक्सली को डेढ़ लाख रुपए तत्काल अनुदान और लगभग तीन साल तक वोकेशनल ट्रेनिंग के दौरान तीन हजार रुपये माहवार देने की बात है।
ये सब जान कर बेरोजगारों में उम्मीद की एक किरण जाग सकती है क्योंकि इसमें शिक्षा आदि की बात नहीं है बस आपको करना इतना है कि किसी भी नक्सली संगठन को ज्वाइन करिये और फिर कुछ लोगों को बेरहमी से मार दीजिये चाहें तो पर्सनल दुश्मनों को भी लगे हाथ निपटा लीजिये, दोचार बार पुलिस के जवानों पर बम फेंक कर दो तीन सौ जवान मार दीजिये बस इतना ही तो करना है फिर सरकार आपको इस नीति के अंतर्गत आर्थिक सहायता का पात्र मान लेगी।
जिन परिवारों के लोगों को आप मार देंगे उनके बारे में सरकार ने अभी सोचा नहीं है लेकिन जब वो लोग संगठित हो कर बंदूक उठा लेंगे और सरकार को डंडा कर देंगे तो मुझे पूरा यकीन है कि सरकार उस बारे में भी सोचेगी लेकिन वो आपका सिरदर्द नहीं है आप तो अपनी सोचिये।
आइये नक्सलवादी बनिये ताकि रोजगार की गारंटी हो सके। तीन साल पूरे होने के बाद फिर कुछ ऐसा ही दूसरा विचार करियेगा फिलहाल तो जुगाड़ हो गयी है।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

क्या मुंबई में भी गुंजाइश है इस तीन हजार रुपए महीने की नौकरी की?? और एक साथ डेढ़ लाख रुपए... मजा आ जाएगा
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

कितना अच्छा आइडिया दिया है आपने हमारे बेरोजगारों को और हमारी निर्लज्ज सरकारें क्या कर रही हैं ये भी दिखा दिया
जय जय भड़ास

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

यह तो हमारी परंपरा का हिस्सा है । सामूहिक आपराधिक कृत्य पहले डाकू कहलाता था अब नक्सली या आतंकवादी। सामूहिक अपराधी को पहले भी दिशा भटक जाने वाले के रूप में मुख्य धारा में ससम्मान वापस लाया जाता था , अब इसे पैकेज कहा जाता है ।
इसलिए अपराध करना है तो संगठित होकर करो, कुछ क्षद्म मानवाधिकारवादी को साथ में लो, हो गयी पो बारह । कोई भाई लोगों के लिए सलाहकार नहीं है क्या !!

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