मीडिया क्लब ने डॉ.रूपेश श्रीवास्तव को प्रतिबंधित करके अविवेक का परिचय दिया है।
मंगलवार, 7 सितंबर 2010
मीडिया क्लब के कुलदीप श्रीवास्तव के बार बार निमंत्रण भेजे जाने पर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी ने सदस्यता स्वीकार ली और जब लिखना शुरू करा तो जो बनावटी और ढकोसलेबाज लोग वहाँ मौजूद थे उनमें खलबली मच गयी। सच तो ये है कि कुलदीप श्रीवास्तव भी एक कुपत्रकार ही सिद्ध हुए जो शायद डॉ.रूपेश श्रीवास्तव से ये पूछ बैठे कि आप पत्रकारिता और ब्लॉग लेखन में कैसे और कब आ गये। कुलदीप ने भड़ास की क्षमता को इतना कम आँक लिया कि ये सोच बैठे कि मीडिया क्लब जैसी धंधेवाली वेबसाइट पर प्रतिबंधित कर देने से महाभड़ासी डॉ.रूपेश श्रीवास्तव को रत्ती भर भी अंतर पड़ेगा। ये तुम्हारा अविवेक और अलोकताँत्रिक स्वभाव ही है जो कि तुम बिना किसी चर्चा के किसी को भी प्रतिबंधित कर देते हो। तुम लोग अव्वल दर्जे के मूर्ख हो इसलिये कि तुमने सिर्फ़ उनके कम्प्यूटर के आई.पी.एड्रेस से बैन लगा कर ये सोच लिया कि उनके विचार रुक जाएंगे। दुष्ट बालक बुद्धियों तुम्हें ये नहीं पता कि ब्लॉगवाणी नामका एग्रीगेटर जिसे सब ब्लॉगर तेलमालिश करते थे उसने डॉ.रूपेश के आयुषवेद ब्लॉग और भड़ास को प्रतिबंधित कर दिया तो भी उनका क्या बिगड़ गया उल्टा ब्लॉगवाणी के ही बुरे दिन आ गये थे। वो विचार हैं व्यक्ति नहीं कि तुम उन्हें रोक लोगे। वो एक जगह नहीं हजार जगह से चाहें तो तुम्हारी दुकान पर आकर तुम्हारे गुड़ की जगह गू और धनिया की जगह घोड़े की लीद बेचने की नीति का बनियापा दुनिया के सामने ला सकते हैं लेकिन हम सब जानते हैं कि भड़ास ही काफ़ी है। तुम्हारे गैर सरकारी संगठन चलाने वाले धूर्त सहयोगी हों या फिर पत्रकारिता के कलंक सबकी रुलाई रोके नहीं रुक रही थी जब भड़ास का लावा तुम्हारे मंच पर बहने लगा, सियार और लोमड़ चिल्ला चिल्ला कर भागने लगे और भड़ासी पर प्रतिबंध लगा दिया। हम तुम्हारे अविवेकी और अलोकताँत्रिक निर्णय की निन्दा करते हैं, थू... है तुम और तुम्हारी नीतियों पर। दया आती है उन भोले लोगों पर जो तुम्हारे पाखंड में फँस कर तुम्हें बहुत उदार लोकताँत्रिक मंच मान रहे हैं।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
हरभूषण भाई आप जानते हैं कि डॉ.रूपेश श्रीवास्तव को प्रतिबंधित कर देना लोकतंत्र का गला घोंटना है\ ये मीडिया क्लब का दुर्भाग्य है। ऐसे लोग खुद ही नष्ट हो जाते हैं।
जय जय भड़ास
अरे भाई वो सारे के सारे लोग हिंदी के क्षेत्र में भागवत पढ़ने वालों का जमावड़ा है। श्याम जगोता खुद को कट्टर हिंदू लिखता है तो फिर वहाँ लोकतंत्र की उम्मीद क्यों करी जाए? डॉ.साहब जैसे लोग वहाँ से चलता कर ही दिये जाएंगे। हमें खुद इन चिरकुटों को इसी तरह वर्चुअली नंगा करके दौड़ाते रहना चाहिए साइबर स्पेस में ताकि इनकी असलियत सामने आती रहे।
जय जय भड़ास
भाई हरभूषण जी,
क्या भडासी को रोका जा सकता है? क्या भड़ास की आग लपटों को कम करने का सहास किसी में है फिर हम इन चुतियापे से फिकरमंद होने की बजाय भड़ास की आग में इन चूतियम सल्फेतों को ना जला दें.
जय जय भड़ास
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