चलिये दंगा-फ़साद करें वरना मौसम सूखा-सूखा जा रहा है

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

मैं चीख चीख कर सबसे कह रहा हूँ कि अरे भाई हिंदुओं मुसलमानों इतने साल से मुकदमेबाजी हो रही थी अब जब फैसला कर दिया हाईकोर्ट ने तो तुम चुप क्यों हो? सुप्रीम कोर्ट में जाकर दोबारा साठ साल इंतजार करने का इरादा है क्या? मैं जो सलाह दे रहा हूँ उसे मानो और सड़कों पर आकर एक दूसरे के घर जला कर, बूढ़े लाचार और बच्चों को मार कर औरतों को बेइज़्ज़त करके फैसला कर लो जैसे कि लगभग हर समस्या का हल तुम लोग कर लेते हो। जरा एक दूसरे के घर दुकान जलाओ तो दिल को तसल्ली होगी भला ये भी कोई बात हुई कि घरों में खामोश बैठ कर जैसे टीवी पर क्रिकेट मैच देखते हो उसी तरह समाचार में फैसला सुन लिया। मजा नहीं आया यार मौसम गुजरा जा रहा है चलो कुछ दंगा-फ़साद करो ताकि तुम्हारे हिंदू या मुसलमान होने का पता चले इंसान तो तुम रह ही नहीं गये हो क्योंकि.....।
जय जय भड़ास

6 टिप्पणियाँ:

राजन ने कहा…

chup isiliye hai ki ab dharam ke naam par apna ghar jalaakar tamaasha dekhna ab koi nahi chahta.itne saalon baad ab sab samajh chuke hai ki na raam unhe muft me khane ko dega aur na allah.lekh ki mool bhawna achchi hai.aabhar.

राजन ने कहा…

mujhe ye nahi samajh aaya ki ye blog pure blogjagat me alag thalag sa kyon hai? jabki aap log itne saamyik aur vicharneeya mudde apne lekhon ke jariye uthate hai.

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

दद्दा कमाल का नजरिया है आपका ज़िन्दगी को देखने का.... सिम्पली ग्रेट। इतना गहरा व्यंग तो आप ही कर सकते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि कोर्ट के फैसले से हर भारतीय को तो संतुष्ट करा नहीं जा सकता इसलिये कुछ घर जलेंगे और पत्थर तो फेंके ही जाएंगे।
@ RAJAN भाई आप भड़ास पर नए हैं आपका स्वागत है साथ ही आप ब्लागिंग में जिस तरह से लोगों को साफ़-सुथरा समझते हैं वैसा नहीं है एक से बढ़ कर एक मक्कार लोग मौजूद हैं आप पिछले आलेख देखेंगे तो आपको भड़ास के अलग थलग रह कर मस्त रहने का कारण समझ आ जाएगा। आपको भड़ासियों का फक्कड़्पन पसंद आया इसके लिये धन्यवाद।
जय जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

मैने पिछली बार मुंबई में हुए दंगों की भयावहता को करीब से देखा और झेला है। फ़साद के माहौल में लोग एक तरह के पागलपन का शिकार हो जाते हैं लेकिन बाद में पछताते भी हैं। आपने सही व्यंग करा कि इंसान तो रह ही नहीं गए हो हिंदू या मुसलमान बन चुके हो
जय जय भड़ास

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

क्या बात है गुरुदेव,
अंतरात्मा को झकझोरा इस चंद शब्दों ने.
एक दम सही बात लिखी है आपने.
जय जय भड़ास

ZEAL ने कहा…

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हिन्दू जागो ---पहले आधा हिन्दुस्तान गया, कश्मीर पे नज़र है ही। आसाम, तिब्बत चाहिए चीन को। अयोध्या की महिमा एक तिहाई हुई। एक दिन सब चला जायेगा। वो दिन दूर नहीं जब सुबहे बनारस और शामे अवध नहीं होगी। बल्कि जब आँख खुलेगी तो करांची में अजान हो रही होगी।

मुस्लिम जागो--- एक-तिहाई में संतोष मत करो , नहीं तो तुम्हारी आदत बिगड़ जायेगी और तुम माँगना भूल जाओगे। हक से मांगो हिन्दुस्तान, कर लो मुट्ठी में ये जहान ॥

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