JUCS ने दिग्विजय को जामिया में दिखाया काला झंडा
मंगलवार, 21 सितंबर 2010
दिल्ली 21 अगस्त 10/ जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (JUCS) ने दिल्ली में जामिया विश्वविद्यालय में आतंकवाद विषय पर हो रहे सम्मेलन में दिग्विजय सिंह को काले झंडे दिखाए। जेयूसीएस के पचासों नेताओं और दर्जनों कार्यकर्ताओं ने साजिद-आतिफ के हत्यारे दिग्विजय वापस जाओ, आजमगढ़ को आतंक की नर्सरी के नाम से तब्दील करने वाले कांग्रेसी दिग्विजय वापस जाओ, साजिद और आतिफ की हत्या पर विजय मनाने वाले काग्रेंसी दलाल वापस जाओ, बाटला हाउस आंदोलन को तोड़ने वाले दिग्विजय वापस जाओ, हमारा मानवाधिकार आंदोलन जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए दिग्विजय वापस जाओ के पर्चे फेके। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने भी समर्थन में नारे लगाए।
जेयूसीएस के संयोजक शाह आलम और विजय प्रताप ने कहा कि आजमगढ़ आज पूरे देश में आतंकवाद के नाम पर बेकसूरों के उत्पीड़न के आंदोलन का केंद्र है। बटला हाउस के बाद बने जामिया टीचर्स सालीडैरिटी एसोशिएसन फोरम पर हम आरोप लगाते हैं कि वह इस आंदोलन को दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी दलालों को बुलाकर कमजोर कर रही है। जेयूसीएस ने कहा कि दिग्विजय को काला झंडा दिखाकर हमने आजमगढं के आदोलन की परंपरा को बरकरार किया। जिसने इसी तरह फरवरी में आजमगढ़ जाने पर दिग्विजय को काले झंडे दिखाए थे। इस यात्रा का विरोध जामिया टीचर्स सालीडैरिटी एसोशिएसन फोरम ने भी किया था आज वो बताए कि क्या दिग्विजय ने बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच करवा दी है जो उसे इस तरह मंचो से वो नवाज रही है।
काले झंडे दिखाने वाले जेयूसीएस नेताओं नीरज कुमार, सैयद अली अख्तर, रियाज अहमद, राकेश कुमार, फहद हसन, मो आरिफ ने कहा कि दिग्विजय बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच के लिए नहीं बल्कि इस आंदोलन को तोड़ने के लिए यहां आए। इसी साजिस के तहत देश की सबसे बड़ी सांप्रदायिक पार्टी जिसने चौरासी, बानबे, बाटला हाउस और न जाने कितने ही बार बेकसूरों के खून से अपने हाथ रंगे ने सिर्फ आजमगढ़ मंे मुंह दिखाने के लिए सांप्रदायिकता विरोधी मोर्चे का गठन किया और इसी आंदोलन से जुड़े अमरेश मिश्र जैसे लोगों को प्रभारी बनाया। दिग्विजय ने आजमगढ़ में बेशर्मी की हद पार कर दी एनकाउंटर पर पहले संदेह व्यक्त किया और फिर पलट गए। आजमगढ़ में काले झंडे दिखाने पर कहा था कि मैं कितना अहम हूं यह बताता है यह प्रदर्शन अब बोले दिग्विजय?
शाह आलम, विजय प्रताप
संयोजक जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (JUCS) दिल्ली ।
मो0- 09873672153, 09015898445
इस कार्यक्रम में बाटला हाउस में साजिद और आतिफ की हत्या करवाने वाली कांग्रेस के एजेंट दिग्विजय सिंह का हम अपने संगठन जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (JUCS) की तरफ से विरोध करते हैं। यह विरोध हम फासीवाद के खिलाफ लोकतंत्र के लिए लड़ रही आजमगढ़ की जनता के आंदोलन को देखते हुए कर रहे हैं। जिसने काले झंडों से इनका स्वागत किया था। यही दिग्विजय सिंह आजमगढ़ में साजिद और आतिफ के गांव संजरपुर गए थे और कहा था कि इन दोनों को लगी गोलियां एनकाउंटर नहीं दर्शाती हैं और दूसरे ही दिन आजमगढ़ में ही प्रेस कांफ्रेस में सवाल पूछने पर अपनी बात को यह कहते अपना दोहरा कांग्रेसी चरित्र दिखा दिया कि यह मेरी व्यक्तिगत राय है। दिग्विजय सिंह अगर व्यक्तिगत स्तर पर आ रहे हैं तो उनके धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के बारे में बताया जाय कि जिस एनकाउंटर पर वो संदेह करते हैं उसी कांग्रेस के वो पैरोकार हैं जिसने साजिद और आतिफ की हत्या कर आतंकवाद पर विजय पाने का एलान किया था। अगर व्यक्तिगत राय रखने वाला यह व्यक्ति एक हत्यारी पार्टी के प्रमुख पद पर है तब ऐसे में हम नहीं समझते कि इस व्यक्ति को हमें किसी भी प्रकार का मंच देना चाहिए और जिन व्यक्तियों के समकक्ष इसे बैठाया जा रहा है वो कोई नासमझी नहीं बल्कि आंदोलन को कमजोर करने की साजिस है और दिग्विजय को वैधता देना है।
हम जामिया टीचर्स सालीडैरिटी एसोशिएसन द्वारा इस कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह को बुलाने की कडे़ शब्दों में निंदा करते हैं और इस बात को पूछना चाहते हैं कि जब यह संगठन बाटला हाउस के बाद बना था और आजमगढ़ में चल रहे राष्ट्ीय स्तर के आंदोलन की कड़ी बना था उस वक्त और आज कांग्रेस या उसके इस नुमाइंदे दिग्विजय की नीतियों में क्या परिवर्तन आ गया? हम पूछना चाहते हैं कि अभी पिछली फरवरी में जब दिग्विजय आजमगढ़ गए थे तो इसी जामिया टीचर्स सालीडैरिटी एसोशिएसन ने उनका विरोध किया था आज वो कौन सी परिस्थितियां आ गयीं की दिग्विजय को मंच दिया जा रहा है? क्या भूल गए कि आजमगढ़ के चट्टी-चौराहों पर काले झंडे से इसी दिग्विजय का स्वागत हुआ था और लाजवाब दिग्विजय के पास कोई जवाब नहीं था।
जामिया में इस तरह का राजनीतिक कार्यक्रम निःसदेह काबिले तारीफ है। इसे राजनीतिक नासमझी या बुद्धिजीवियों का कार्यक्रम कह कर नहीं टाला जा सकता। क्योंकि इसी दिग्विजय सिंह ने आजमगढ़ जाने से पहले आजमगढ़ वालों को झासा देकर समर्थन लिया कि जांच करवा देंगे और वहां अपनी वैधता हासिल करने के बाद कभी पूछने तक नहीं गए और आंदोलन को हर स्तर पर तोड़ने की कोशिश की।
द्वारा जारी- शाह आलम, विजय प्रताप, नीरज कुमार, गुफरान, फहीम, लारेब अकरम, रियाज अहमद, मिथलेश, फहद, शिवदास, राकेश आदि। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (JUCS) दिल्ली इकाई। मो0- 09873672153, 09015898445
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नई पीढ़ी द्वारा नई पीढ़ी के लिए 9/21/2010 07:36:00 PM को पोस्ट किया गया
RAJEEV YADAV
Organization Secretary, U.P.
Peoples Union for Civil Liberties (PUCL)
09452800752
www.naipirhi.blogspot.com
3 टिप्पणियाँ:
DIGVIJAY HI KYO? KISI BHI ANDOLAN ME KOI NETA SAMIL HUA SAMJHIYE USI DIN US ANDOLAN KE ANT HONE KI SURUAT HO GAYI. BATLA HOUSE BHI AISA HI ANDOLAN N BANKAR RAH JAY? ISKE LIYE SARE PRAYAS ....
मनोज भाई की बात से पूरी तरह सहमति है। जिस पल किसी आंदोलन का राजनीतिकरण हो जाता है वह आंदोलन मर जाता है फिर उसके बाद तो उस आंदोलन के मुर्दे पर कभी समाधि और कभी दरगाह बना कर धंधा करा जाता है
जय जय भड़ास
क्या बात है, मनोज भाई एकदम भडासी उत्त्तर,
शतप्रतिशत सहमत.
जय जय भड़ास
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